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अब नहीं चलेगी अवैध कॉलोनी की चाल! MP सरकार ला रही है नया कानून – 10 साल की सजा तय

मोहन सरकार ने बना दिया है सख्त प्लान! मध्य प्रदेश में अवैध कॉलोनी बनाने वालों की अब खैर नहीं, नया कानून लाकर सरकार देगी बड़ा झटका, लेकिन पुराने निवासियों को मिल सकती है राहत जानिए पूरा प्लान विस्तार से।

By Saloni uniyal
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अब नहीं चलेगी अवैध कॉलोनी की चाल! MP सरकार ला रही है नया कानून – 10 साल की सजा तय
अब नहीं चलेगी अवैध कॉलोनी की चाल! MP सरकार ला रही है नया कानून – 10 साल की सजा तय

MP में अवैध कॉलोनियां बनाने वालों के दिन अब लदने वाले हैं, क्योंकि राज्य सरकार अवैध कॉलोनियों को लेकर बेहद सख्त कानून लाने जा रही है। मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार जल्द ही एक नया कानून लाने वाली है, जिसके तहत अवैध कॉलोनी विकसित करने वालों को 10 साल की जेल और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। सरकार के इस कदम को शहरी विकास और भूमि प्रबंधन में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बड़ा फैसला माना जा रहा है।

नया कानून एक महीने में हो सकता है लागू

नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि नया कानून लगभग तैयार हो चुका है और अगले एक महीने के भीतर इसे लागू कर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब किसी भी अवैध तरीके से कॉलोनी काटने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। यह कानून मध्य प्रदेश नगरपालिका एक्ट में संशोधन कर लाया जाएगा।

सरकार की मंशा साफ है—अवैध कॉलोनियों के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी। इस कानून का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में अव्यवस्थित विकास पर रोक लगाना और लोगों को मूलभूत सुविधाओं से युक्त वैध कॉलोनियों में बसाना है।

2016 से पहले की अवैध कॉलोनियों को वैध करने पर विचार

जहां एक ओर सरकार सख्त कानून लाकर नए अवैध कॉलोनियों पर लगाम लगाने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी ओर 2016 से पहले बनी कॉलोनियों को वैध करने पर भी विचार किया जा रहा है। हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय अभी नहीं लिया गया है। बताया जा रहा है कि सरकार उन कॉलोनियों की समीक्षा कर रही है, जो 2016 या 2022 से पहले अस्तित्व में आ गई थीं।

कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि सरकार की कोशिश है कि पुराने समय से रह रहे लोगों को राहत दी जाए, लेकिन इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी नया निर्माण अवैध न हो और नियमों के तहत हो।

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जिला कलेक्टरों से मांगा गया डेटा

सरकार की इस योजना को साकार रूप देने के लिए पिछले साल ही नगरीय प्रशासन मंत्री ने जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए थे कि वे अपने-अपने जिले में 2016 तक बनी अवैध कॉलोनियों का विस्तृत डेटा उपलब्ध कराएं। इसका उद्देश्य यह जानना था कि किन-किन स्थानों पर कॉलोनियां बिना किसी वैध प्रक्रिया के बसाई गई हैं और कितने लोग वहां रह रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस डेटा के आधार पर ही सरकार यह तय करेगी कि किन कॉलोनियों को वैध किया जा सकता है और किन पर कार्रवाई जरूरी है।

पहले भी हुई थी घोषणा, अब होगा कानूनी अमल

गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी विधानसभा चुनाव 2023 से पहले घोषणा की थी कि 2022 से पहले बनी अवैध कॉलोनियों को वैध किया जाएगा। हालांकि, इस दिशा में कोई ठोस कानूनी कदम नहीं उठाया गया था। अब मोहन सरकार इस घोषणा को कानूनी रूप देने जा रही है, जिससे राज्यभर में हजारों कॉलोनियों के भविष्य का रास्ता तय होगा।

जनता को मिलेगा लाभ या परेशानी?

अब सवाल उठता है कि इस नए कानून से जनता को कितना लाभ होगा? विशेषज्ञों का मानना है कि इससे रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ेगी और लोग अवैध कॉलोनियों में निवेश करने से बचेंगे। इससे भविष्य में शहरी विकास योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा। हालांकि, वे लोग जो पहले से अवैध कॉलोनी में रह रहे हैं, उन्हें राहत देने के लिए सरकार कुछ विशेष प्रावधान ला सकती है।

रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy और स्मार्ट सिटी मिशन को मिलेगा बल

अवैध कॉलोनियों पर लगाम लगाकर राज्य सरकार स्मार्ट सिटी मिशन और रिन्यूएबल एनर्जी आधारित योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेगी। संगठित और वैध कॉलोनियों में ही सरकारी योजनाएं प्रभावी रूप से लागू की जा सकती हैं, जिससे लोगों को बिजली, पानी, सड़क और सफाई जैसी सुविधाएं आसानी से मिल सकेंगी।

जुर्माना और सजा के प्रावधान में नहीं होगी कोई नरमी

नए कानून में स्पष्ट कर दिया गया है कि अवैध कॉलोनी बनाने वाले बिल्डरों, डेवलपर्स और ज़मीन मालिकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। 10 साल की जेल और 50 लाख रुपये तक का फाइन केवल शुरुआत है, बल्कि इन पर अन्य कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। ऐसे में सरकार ने यह संकेत दे दिया है कि शहरी व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।

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