
E-Challan of Bullock Cart MP: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सागर जिले (Sagar District) में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने न सिर्फ आम जनता को हैरान कर दिया बल्कि ट्रैफिक पुलिस को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। इस बार ई-चालान (E-Challan) किसी कार, बाइक या स्कूटर का नहीं बल्कि एक बैलगाड़ी (Bullock Cart) का काटा गया है। और सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि उस बैलगाड़ी पर ना तो कोई नंबर प्लेट थी और ना ही कोई ट्रैफिक नियम तोड़ने जैसा प्रमाण, फिर भी चालान कट गया।
कैसे हुआ बैलगाड़ी का चालान, ट्रैफिक सिस्टम पर सवाल
इस अजीबो-गरीब घटना का खुलासा तब हुआ जब एक वाहन मालिक के पास ऐसा ई-चालान पहुंचा जो उसकी गाड़ी का नहीं बल्कि एक बैलगाड़ी का था। दरअसल, सागर में स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम द्वारा रोजाना 1000 से अधिक ई-चालान ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के आधार पर काटे जा रहे हैं। लेकिन इस डिजिटल प्रक्रिया में बार-बार लापरवाही और तकनीकी गड़बड़ियों (Technical Glitch) की वजह से अब यह सिस्टम मजाक बनता जा रहा है।
बिना नंबर प्लेट, बिना पते के कैसे हुआ चालान?
सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि बैलगाड़ी पर न तो कोई नंबर प्लेट लगी थी, और न ही उस पर मालिक का कोई नाम या पता अंकित था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि ई-चालान कैसे और किस आधार पर काटा गया? ऐसा माना जा रहा है कि ट्रैफिक कैमरे की तकनीकी गड़बड़ी या फिर सिस्टम के डेटा फीडिंग में हुई चूक के कारण किसी गाड़ी की जगह बैलगाड़ी को अपराधी घोषित कर चालान काट दिया गया।
गलती से किसी और को भेजा गया चालान
इस तकनीकी गलती का एक और पहलू यह है कि बैलगाड़ी का कटा चालान किसी अन्य गाड़ी मालिक को भेज दिया गया। जब उस व्यक्ति ने चालान देखा तो वह चौंक गया क्योंकि उस तारीख को न तो वह उस रास्ते पर गया था और न ही उसका वाहन उस लोकेशन पर था। जब मामले की तह में जाकर जांच की गई तो पता चला कि चालान जिस वाहन का कटा है वह असल में एक बैलगाड़ी थी।
ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन की लापरवाही उजागर
इस घटना के बाद ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। हर दिन ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जहां लोगों को बिना कारण के चालान भुगतना पड़ रहा है। कुछ मामलों में वाहन घर पर खड़ा होता है, फिर भी उसके नाम पर चालान आ जाता है। कहीं हेलमेट पहनकर भी चालान कट रहा है तो कहीं गाड़ी ही किसी और कंपनी की होती है और चालान किसी और का।
स्मार्ट सिटी सिस्टम पर उठते सवाल
सागर जिले में स्मार्ट सिटी योजना (Smart City Scheme) के तहत लगाए गए कैमरे और ऑटोमेटेड ई-चालान सिस्टम अब जनता के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। रोजाना 1000 से ज्यादा चालान काटने के दबाव में कर्मचारी गलती कर रहे हैं और आम नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह मामला साबित करता है कि डिजिटल सिस्टम कितना भी आधुनिक क्यों न हो, अगर उसमें मानवीय निगरानी न हो तो वो गलत फैसले ले सकता है।
ट्रैफिक डीएसपी का बयान
सागर जिले की ट्रैफिक डीएसपी मयंक सिंह चौहान ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीते दो महीनों से ट्रैफिक नियमों का पालन न करने वालों पर सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। यदि किसी को लगता है कि उसके साथ गलत चालान किया गया है तो वह स्मार्ट सिटी ऑफिस जाकर शिकायत दर्ज करा सकता है। लेकिन इस घटना ने यह तो साबित कर ही दिया कि सिस्टम को दुरुस्त करने की तत्काल जरूरत है।
डिजिटल इंडिया या डिजिटल लापरवाही?
यह मामला उस समय और भी गंभीर हो जाता है जब हम डिजिटल इंडिया (Digital India) के तहत रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy), ऑटोमेशन, और ई-गवर्नेंस (E-Governance) जैसी योजनाओं पर करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं। अगर इसी तरह से बिना सोच-विचार के तकनीक पर निर्भरता बढ़ाई जाएगी तो ऐसी हास्यास्पद घटनाएं आम हो जाएंगी और जनता का विश्वास प्रशासन पर से उठने लगेगा।