
मध्य प्रदेश सरकार ने 1 अप्रैल 2025 से एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए राज्य के 19 प्रमुख धार्मिक स्थलों पर शराब की बिक्री (Liquor Sale Ban) पर पूर्ण प्रतिबंध लागू कर दिया है। इस निर्णय के तहत, इन धार्मिक क्षेत्रों में स्थित सभी शराब की दुकानें और बार को बंद कर दिया गया है। यह कदम राज्य के धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के उद्देश्य से उठाया गया है, और यह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में 24 जनवरी 2025 को महेश्वर में आयोजित कैबिनेट बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया था।
धार्मिक स्थलों की गरिमा बनाए रखने की दिशा में बड़ा कदम
राज्य सरकार का यह निर्णय Religious Tourism, सांस्कृतिक धरोहरों की पवित्रता और सामाजिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की मंशा को दर्शाता है। सरकार ने यह साफ कर दिया है कि इन 19 स्थानों पर शराब की बिक्री अब किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं होगी। यह कदम राज्य में नशामुक्ति अभियान (De-Addiction Drive) को भी बल प्रदान करेगा और धार्मिक स्थानों की पवित्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने में मदद करेगा।
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कौन-कौन से क्षेत्र आए शराबबंदी के दायरे में
इस नीति के तहत जिन धार्मिक स्थलों पर शराबबंदी लागू की गई है, उनमें शामिल हैं: उज्जैन नगर निगम, ओंकारेश्वर, महेश्वर, मंडलेश्वर, ओरछा, मैहर, चित्रकूट, दतिया, पन्ना, मंडला, मुलताई, मंदसौर, अमरकंटक, सलकनपुर, कुंडलपुर, बांदकपुर, बरमान कला, बरमान खुर्द और लिंगा ग्राम पंचायत।
इन क्षेत्रों को धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक महत्व के केंद्र के रूप में देखा जाता है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। शराबबंदी से यहां का धार्मिक वातावरण और शुद्धता और अधिक सुदृढ़ होगी।
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450 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का अनुमान
इस निर्णय से जहां एक ओर आध्यात्मिक स्वच्छता और सामाजिक स्वास्थ्य (Social Health) को बल मिलेगा, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार को 450 करोड़ रुपये के वार्षिक आबकारी राजस्व (Excise Revenue) के नुकसान का अनुमान है। लेकिन सरकार ने इस घाटे की भरपाई के लिए एक ठोस रणनीति तैयार की है।
राज्य सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष में शराब दुकानों के नवीनीकरण शुल्क (Liquor Shop Renewal Fee) में 20 प्रतिशत की वृद्धि की है, जिससे राजस्व में आई कमी को संतुलित किया जा सके। यह एक संतुलित दृष्टिकोण है, जहां धार्मिक मूल्यों और आर्थिक संसाधनों के बीच संतुलन साधने की कोशिश की गई है।
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धार्मिक पर्यटन और सामाजिक प्रभाव पर संभावित असर
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से धार्मिक पर्यटन (Religious Tourism) को नया आयाम मिलेगा। इन क्षेत्रों में अब परिवारों और श्रद्धालुओं के लिए अधिक सुरक्षित और सात्विक वातावरण उपलब्ध होगा, जिससे स्थानीय पर्यटन उद्योग को भी लाभ होगा। इसके साथ ही, स्थानीय युवाओं में नशे की लत पर भी नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी।
मध्य प्रदेश सरकार की नशामुक्ति नीति को नई दिशा
यह निर्णय नशामुक्त समाज की दिशा में एक प्रभावी पहल माना जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि “हमारा उद्देश्य सिर्फ कानून लागू करना नहीं है, बल्कि समाज को एक सकारात्मक दिशा में ले जाना है।” शराबबंदी के इस निर्णय को राज्य में सामाजिक सुधारों की एक श्रृंखला की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
इस नीति से न केवल धार्मिक स्थलों की गरिमा बढ़ेगी, बल्कि यह निर्णय समाज में एक स्वास्थ्यवर्धक वातावरण (Healthy Environment) बनाने की दिशा में भी एक मजबूत आधारशिला सिद्ध होगा।
शराबबंदी के आर्थिक और सामाजिक संतुलन की मिसाल
मध्य प्रदेश सरकार ने यह साबित कर दिया है कि यदि नीयत सही हो और योजना ठोस हो, तो आर्थिक नुकसान के बावजूद भी सामाजिक भलाई को प्राथमिकता दी जा सकती है। शराबबंदी के कारण जहां एक तरफ राज्य को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर इसका दीर्घकालिक सामाजिक लाभ कहीं अधिक महत्वपूर्ण और दूरगामी हो सकता है।