
Bihar Land Survey के तहत राज्य सरकार ने रैयतों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। जिन जमीन मालिकों ने अब तक स्वघोषणा जमा नहीं की है, उन्हें अब जमीन से संबंधित जो भी उपलब्ध दस्तावेज हैं, उनके आधार पर ही ऑनलाइन स्वघोषणा (Self Declaration) जमा करने की अनुमति मिल गई है। बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री आलोक मेहता ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि बाकी कागजात बाद में किस्तवार प्रक्रिया और खानापुरी के दौरान जमा किए जा सकते हैं।
अब देरी से भी कर सकते हैं स्वघोषणा, दस्तावेज की बाध्यता में मिली राहत
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री ने गुरुवार को आयोजित समीक्षा बैठक में यह अहम घोषणा की। उन्होंने कहा कि जिन रैयतों के पास अभी सारे दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं, वे चिंता न करें। जो भी जमीन से जुड़े कागजात उनके पास हैं, उसी के आधार पर ऑनलाइन स्वघोषणा कर सकते हैं। बाकी जरूरी कागजातों को बाद में प्रक्रिया के अलग-अलग चरणों में जमा कराया जा सकता है।
सरकार का मानना है कि यह कदम भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया में तेजी लाने के साथ-साथ अधिक रैयतों को प्रक्रिया से जोड़ने में मदद करेगा।
तिथि बढ़ाने पर भी विचार, तकनीकी और कानूनी पहलुओं की जांच के आदेश
मंत्री ने यह भी संकेत दिया कि स्वघोषणा की अंतिम तिथि को बढ़ाने पर भी सरकार विचार कर रही है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला तकनीकी और कानूनी पहलुओं के अध्ययन के बाद लिया जाएगा। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस संबंध में जल्द से जल्द रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुत करें।
अब तक 1 करोड़ 15 लाख से अधिक स्वघोषणाएं हुईं जमा
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च 2025 तक कुल 1,15,916,00 स्वघोषणाएं प्राप्त हो चुकी हैं। ये स्वघोषणाएं ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में जमा की गई हैं। यह संख्या पहले और दूसरे चरण में शुरू किए गए सभी 36 जिलों के 445 अंचलों से प्राप्त की गई घोषणाओं को जोड़कर बताई गई है।
राज्य सरकार का लक्ष्य 1.35 करोड़ स्वघोषणाएं प्राप्त करना है, और इसके अनुसार प्रक्रिया को और सरल बनाया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक लोग इससे जुड़ सकें।
प्रदर्शन खराब करने वाले जिलों को मिला 15 दिन का अल्टीमेटम
मंत्री ने समीक्षा बैठक में बताया कि कुछ जिलों ने अभी तक भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं किया है। पश्चिम चंपारण के बेतिया, पिपरासी, मधुबनी, ठकराहा और भितहा अंचलों तथा पूर्वी चंपारण के पिपराकोठी, तुरकौलिया, बनकटवा, छौड़ादानो और रक्सौल अंचलों में स्वघोषणाओं की संख्या बेहद कम रही है।
उदाहरण के तौर पर, बेतिया सदर में अब तक केवल 187 स्वघोषणाएं, जबकि पिपरासी अंचल में मात्र 524 स्वघोषणाएं प्राप्त हुई हैं।
इस पर नाराजगी जताते हुए मंत्री ने ऐसे जिलों को प्रदर्शन सुधारने के लिए 15 दिनों का समय दिया है, ताकि सर्वे प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।
कुछ जिलों ने किया बेहतर प्रदर्शन, जमा की गई बड़ी संख्या में घोषणाएं
जहां कुछ जिलों में धीमी रफ्तार देखने को मिली है, वहीं अररिया, दरभंगा, समस्तीपुर और औरंगाबाद जैसे जिलों में रैयतों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है।
अररिया सदर, जौकीहाट, फारबिसगंज, पलासी, बिरौल, बहेड़ी, कुशेश्वर स्थान, कल्याणपुर और नबीनगर जैसे अंचलों में स्वघोषणाओं की संख्या संतोषजनक रही है।
सरकार इन जिलों के मॉडल को आगे बढ़ाने और बाकी जिलों में लागू करने की योजना पर भी विचार कर रही है, जिससे समूचे राज्य में भूमि सर्वेक्षण को एकरूपता के साथ सफल बनाया जा सके।
अब ऑनलाइन प्रक्रिया होगी ज्यादा आसान, रैयतों को मिलेगी सुविधा
इस पूरे अभियान के तहत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को ज्यादा उपयोगकर्ता अनुकूल (User Friendly) बनाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। रैयतों को अब वेबसाइट के माध्यम से अपने मोबाइल या कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए ऑनलाइन स्वघोषणा फॉर्म भरने की सुविधा होगी।
राजस्व विभाग का मानना है कि यदि प्रक्रिया को सरल और सुगम बना दिया जाए, तो अधिक से अधिक रैयत इससे जुड़ सकेंगे और भूमि सर्वेक्षण अभियान को समय पर पूरा किया जा सकेगा।