
महाराष्ट्र सरकार की लाडकी बहिन योजना के तहत लाभार्थियों की सूची में बड़े बदलाव की तैयारी है। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि लगभग 9 लाख महिलाओं के नाम इस योजना की लाभार्थी सूची से हटाए जाएंगे। यह कदम उन लाभार्थियों की पहचान के बाद उठाया गया है जो योजना की पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं।
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लाडकी बहिन योजना महाराष्ट्र सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य राज्य की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को सशक्त बनाना है। हालांकि, योजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि केवल योग्य लाभार्थियों को ही इसका लाभ मिले। सरकार द्वारा की जा रही यह जांच और अनियमित लाभार्थियों को हटाने की प्रक्रिया इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
योजना की पृष्ठभूमि
लाडकी बहिन योजना की शुरुआत जुलाई 2024 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा की गई थी। इस योजना का उद्देश्य राज्य की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना है। योजना के तहत, उन परिवारों की महिलाओं को, जिनकी वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है, हर महीने 1,500 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है।
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पात्रता मानदंड और अनियमितताएँ
हालांकि, हाल ही में यह पाया गया कि कई महिलाएँ, जो इस योजना का लाभ उठा रही थीं, वे निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करती हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने बताया कि आयकर विभाग और परिवहन विभाग की मदद से लाभार्थियों की जांच की जा रही है। जांच में यह सामने आया है कि कुछ लाभार्थियों की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से अधिक है, कुछ के पास एक से अधिक निजी वाहन हैं, कुछ सरकारी नौकरी में हैं, और कुछ विवाह के बाद अन्य राज्यों में स्थानांतरित हो चुकी हैं। ऐसे मामलों में, लाभार्थियों को योजना से बाहर किया जाएगा।
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ई-केवाईसी और जीवन प्रमाण पत्र की आवश्यकता
योजना की पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए, लाभार्थियों को हर साल 1 जून से 1 जुलाई के बीच अपने संबंधित बैंकों में जाकर ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी करनी होगी और जीवन प्रमाण पत्र जमा करना होगा। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि केवल योग्य और जीवित लाभार्थियों को ही योजना का लाभ मिले।
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सरकारी खजाने पर भार
इस योजना के तहत वर्तमान में लगभग 2.43 करोड़ महिलाएँ लाभान्वित हो रही हैं, जिससे राज्य के खजाने पर हर महीने लगभग 3,700 करोड़ रुपये का भार पड़ता है। अनियमित लाभार्थियों को हटाने से सरकारी खर्च में कमी आने की उम्मीद है, जिससे वास्तविक जरूरतमंद महिलाओं को अधिक प्रभावी ढंग से सहायता प्रदान की जा सकेगी।