
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध खाटू श्याम मंदिर में भक्तों को अब दर्शन के लिए कुछ समय का इंतज़ार करना होगा, मंदिर प्रशासन ने विशेष पूजा और गर्मी के मद्देनज़र दर्शन व्यवस्था में बदलाव किए हैं, जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए योजना बनाते समय सावधानी बरतनी होगी।
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विशेष पूजा के कारण 19 घंटे बंद रहेंगे मंदिर के कपाट
मंदिर प्रशासन के अनुसार, 30 अप्रैल की रात 10 बजे से 1 मई की शाम 5 बजे तक मंदिर के कपाट बंद रहेंगे। इस दौरान बाबा श्याम का विशेष तिलक और श्रृंगार किया जाएगा, जो हर अमावस्या के बाद की परंपरा का हिस्सा है। इस 19 घंटे की अवधि में भक्तों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
गर्मी के चलते दर्शन समय में बदलाव
भीषण गर्मी को देखते हुए मंदिर कमेटी ने सोमवार से शुक्रवार तक दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक मंदिर के कपाट बंद रखने का निर्णय लिया है। यह व्यवस्था शनिवार, रविवार और शुक्ल पक्ष की एकादशी-द्वादशी को लागू नहीं होगी। इन विशेष दिनों में मंदिर सामान्य समय पर खुला रहेगा।
एकादशी और विशेष पर्वों पर 24 घंटे खुले रहेंगे कपाट
शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन, जब भक्तों की संख्या अधिक होती है, मंदिर 24 घंटे खुला रहेगा। इस दिन श्रद्धालु कभी भी बाबा श्याम के दर्शन कर सकेंगे। यह व्यवस्था विशेष पर्वों पर भी लागू होती है, जिससे भक्तों को किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।
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दर्शन के लिए योजना बनाते समय रखें ये बातें ध्यान में
मंदिर प्रशासन ने भक्तों से अपील की है कि वे दर्शन के लिए अपनी यात्रा की योजना बनाते समय मंदिर के खुलने और बंद होने के समय की जानकारी अवश्य लें। इससे उन्हें लंबी कतारों में खड़े होने से बचाव मिलेगा और दर्शन सुगम होंगे। साथ ही, गर्मी से बचाव के लिए छाता, पानी और आवश्यक दवाएं साथ लेकर चलने की सलाह दी गई है।
खाटू श्याम मंदिर: आस्था का केंद्र
खाटू श्याम मंदिर महाभारत के पात्र बर्बरीक को समर्पित है, जिन्हें श्रीकृष्ण ने ‘श्याम’ नाम दिया और कलियुग में भक्तों की पुकार सुनने का वरदान दिया। मंदिर में पांच विशेष आरतियाँ—मंगला, श्रृंगार, भोग, संध्या और शयन आरती—होती हैं, जिन्हें दर्शन के समय अवश्य देखने की सलाह दी जाती है।
यात्रा की योजना बनाते समय ध्यान दें
खाटू श्याम मंदिर सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन रींगस और एयरपोर्ट जयपुर है। पहली बार मंदिर जाने वाले भक्तों को इसके पौराणिक इतिहास, आरती के समय और यात्रा की सुविधा की जानकारी अवश्य लेनी चाहिए।