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हीटवेव से तबाही तय! हरियाणा-पंजाब में अलर्ट, गुजरात में पारा छू सकता है 46 डिग्री – बचने के उपाय भी जानें

MD की चेतावनी ने बढ़ाई चिंता सावधानी ही सुरक्षा, जानिए कैसे बचें इस खतरनाक हीटवेव से; विशेषज्ञों ने चेताया, यह सिर्फ शुरुआत है!

By Saloni uniyal
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हीटवेव से तबाही तय! हरियाणा-पंजाब में अलर्ट, गुजरात में पारा छू सकता है 46 डिग्री – बचने के उपाय भी जानें
हीटवेव से तबाही तय! हरियाणा-पंजाब में अलर्ट, गुजरात में पारा छू सकता है 46 डिग्री – बचने के उपाय भी जानें

भारत के कई हिस्सों में हीटवेव का कहर जारी है, खासकर पंजाब, हरियाणा, गुजरात और राजस्थान जैसे उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में हालात चिंताजनक बने हुए हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इन राज्यों के लिए हीटवेव (Heatwave) और गंभीर हीटवेव (Severe Heatwave) की चेतावनी जारी की है, जो 18 अप्रैल तक प्रभावी रहेगी। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अगले कुछ दिनों तक तापमान में और बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।

पंजाब और हरियाणा: पारा 46 डिग्री के पार जाने की चेतावनी

उत्तर भारत के अहम राज्यों पंजाब और हरियाणा में तापमान लगातार बढ़ रहा है। IMD के अनुसार इन क्षेत्रों में तापमान 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, जो हीटवेव की गंभीर श्रेणी में आता है। खासतौर पर अमृतसर, लुधियाना, पटियाला, रोहतक, हिसार और पानीपत जैसे शहरों में गर्मी का प्रकोप चरम पर है। इन इलाकों में तेज धूप और उमस की वजह से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

गुजरात: सौराष्ट्र और कच्छ में अगले 7 दिनों तक हीटवेव की संभावना

पश्चिम भारत के गुजरात राज्य में भी हालात कुछ बेहतर नहीं हैं। सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में तापमान 45-46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है और आने वाले 5 से 7 दिनों तक हीटवेव की स्थिति बने रहने की संभावना है। यह क्षेत्र समुद्र के पास होने के बावजूद गर्म हवाओं की चपेट में है, जिससे यहां रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। IMD ने चेताया है कि यह गर्मी सामान्य से काफी अधिक है और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है।

राजस्थान: पूर्वी क्षेत्र में गंभीर हीटवेव, पश्चिमी भागों में 3 दिनों तक राहत की उम्मीद नहीं

राजस्थान की स्थिति भी चिंताजनक है। पूर्वी राजस्थान जैसे कोटा, जयपुर, भरतपुर और अलवर में 18 अप्रैल को गंभीर हीटवेव की चेतावनी दी गई है। वहीं पश्चिमी राजस्थान जैसे बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर और बाड़मेर में 16 से 18 अप्रैल तक हीटवेव जारी रहने की संभावना है। गर्म हवाएं और धूलभरी आंधियां इन क्षेत्रों में लोगों की मुश्किलें और बढ़ा रही हैं।

हीटवेव से बचाव: क्या करें, क्या न करें

तेज गर्मी और हीटवेव के दौर में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। IMD और स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों को कुछ जरूरी सावधानियां बरतने की सलाह दी है।

दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, भले ही प्यास न लग रही हो। शरीर को हाइड्रेटेड रखने से हीट स्ट्रोक का खतरा कम होता है।

हल्के, ढीले और सूती कपड़े पहनें ताकि शरीर को ठंडक मिलती रहे। गहरे रंग के कपड़े गर्मी को ज्यादा सोखते हैं, इसलिए इनसे बचें।

धूप में निकलते समय छाता, टोपी या स्कार्फ का इस्तेमाल करें, और कोशिश करें कि धूप में ज्यादा समय न बिताएं।

दोपहर 12 से 4 बजे के बीच बाहरी गतिविधियों से बचें क्योंकि इस समय गर्मी सबसे ज्यादा तीव्र होती है।

घर के अंदर पर्दे बंद रखें, पंखे और कूलर का इस्तेमाल करें ताकि अंदर की गर्मी कम हो।

ओआरएस (ORS), नींबू पानी, छाछ और अन्य तरल पदार्थों का सेवन करें ताकि शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी न हो।

बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों का विशेष ध्यान रखें क्योंकि ये वर्ग हीटवेव के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं।

लक्षणों को पहचानना है जरूरी

हीटवेव के समय शरीर में कई तरह के चेतावनी संकेत दिखाई दे सकते हैं। इनमें चक्कर आना, सिरदर्द, अत्यधिक पसीना या पसीना बंद हो जाना, त्वचा का लाल या सूखा हो जाना, मिचली या उल्टी आना शामिल हैं। यदि इन लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे, तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें और मरीज को ठंडे स्थान पर ले जाएं।

सरकार और प्रशासन की भूमिका

स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकारों द्वारा स्कूलों का समय बदलने, बिजली और पानी की सप्लाई सुनिश्चित करने और स्वास्थ्य केंद्रों को हाई अलर्ट पर रखने जैसे कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा, IMD लगातार अपडेट दे रहा है ताकि आम जनता को समय रहते सचेत किया जा सके।

पर्यावरणीय और वैश्विक दृष्टिकोण

भारत में हीटवेव की यह स्थिति जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के बढ़ते प्रभाव को भी दर्शाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि ग्लोबल वार्मिंग और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर लगाम नहीं लगाई गई, तो आने वाले वर्षों में हीटवेव की घटनाएं और अधिक सामान्य और घातक हो सकती हैं।

Renewable Energy के विकल्पों को बढ़ावा देना, हरित आवरण को बढ़ाना और शहरी क्षेत्रों में जल संचयन को अनिवार्य करना जैसे कदम इस चुनौती से निपटने में सहायक हो सकते हैं।

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