
उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली कंपनियों के निजीकरण के खिलाफ 29 मई से प्रस्तावित हड़ताल को लेकर सख्त रुख अपनाया है। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के नेतृत्व में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी सूरत में विद्युत आपूर्ति बाधित न होने पाए। इस मुद्दे पर प्रदेश में सियासी और प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है।
निजीकरण के विरोध में 42 जिलों में हड़ताल की तैयारी, सरकार ने दिखाई सख्ती
पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम से जुड़े 42 जिलों में बिजली कर्मियों ने 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की घोषणा की है। ये कर्मचारी विद्युत कंपनियों के निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करने जा रहे हैं। सरकार ने इसे आवश्यक सेवा में बाधा के तौर पर देखा है और साफ कर दिया है कि हड़ताल करने वालों को प्रमोशन, इंक्रीमेंट और अन्य सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है।
मुख्य सचिव ने की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, डीएम और एसपी को दिए निर्देश
गुरुवार को हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे बिजली कर्मचारियों से बैठक करें और उन्हें समझाएं कि अफवाहों पर ध्यान न दें। सरकार ने कर्मचारियों को यह आश्वासन भी दिया कि निजीकरण की स्थिति में उनके हितों का पूर्ण ध्यान रखा जाएगा।
पावर कारपोरेशन ने जारी किया परामर्श, कार्रवाई की दी चेतावनी
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने सभी डिस्कॉम के अधिकारियों और कर्मचारियों को परामर्श जारी करते हुए चेतावनी दी है कि किसी भी कर्मचारी द्वारा हड़ताल या कार्य बहिष्कार करने पर कठोर विभागीय और विधिक कार्रवाई की जाएगी। परामर्श में यह भी कहा गया कि हड़ताल की साजिश या किसी अन्य कर्मचारी को इसके लिए प्रेरित करना भी दंडनीय होगा।
कार्य बहिष्कार को गंभीर अपराध मानते हुए होगी चरित्र पंजिका में प्रविष्टि
पावर कारपोरेशन द्वारा जारी परामर्श में यह साफ किया गया है कि यदि कोई कर्मचारी हड़ताल में शामिल होता है तो उसकी जानकारी व्यक्तिगत पत्रावली और चरित्र पंजिका में दर्ज की जाएगी। इससे भविष्य में पदोन्नति (Promotion), स्थानांतरण (Transfer) और अन्य लाभों पर रोक लग सकती है।
हड़ताल के पुराने मामलों का हवाला, कोर्ट के आदेश का भी उल्लेख
प्रबंधन ने अपने परामर्श में इस बात का भी जिक्र किया है कि इससे पहले भी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने अवैध मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार कराया था, जिससे प्रदेश में अशांति फैली थी। वर्ष 2023 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस प्रकार के आंदोलन को लेकर सख्त आदेश पारित किए थे। कोर्ट ने कहा था कि आवश्यक सेवा में बाधा डालना जनहित के खिलाफ है।
ESMA लागू, धरना-प्रदर्शन पर भी रोक
सरकार ने Essential Services Maintenance Act (ESMA) के तहत विद्युत क्षेत्र को हड़ताल निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया है। इसके बावजूद संघर्ष समिति धरना और प्रदर्शन कर रही है। यह कर्मचारियों की आचरण नियमावली का उल्लंघन माना गया है।
उपभोक्ता परिषद ने उठाए निजीकरण प्रक्रिया पर सवाल
दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पावर कारपोरेशन द्वारा अपनाई जा रही निजीकरण प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। परिषद ने कहा है कि विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 131 के तहत सरकार पहले ही पावर कारपोरेशन सहित अन्य कंपनियों का गठन कर चुकी है, इसलिए अब इस प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। परिषद का मानना है कि यह कदम पूरी तरह गैरकानूनी है।
प्रदेश की बिजली आपूर्ति पर संकट, सरकार तैयार कर रही बैकअप योजना
सरकार इस पूरे मसले को अत्यंत गंभीरता से ले रही है। सभी जिलों को निर्देश दिए गए हैं कि अगर किसी जगह बिजली आपूर्ति बाधित होती है, तो तत्काल वैकल्पिक इंतजाम किए जाएं। राज्य सरकार यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि किसी भी स्थिति में आवश्यक सेवाएं, जैसे अस्पताल, जल आपूर्ति, सरकारी कार्यालय आदि प्रभावित न हों।