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PF से कितनी पेंशन मिलेगी बुढ़ापे में? इस आसान फॉर्मूले से करें खुद कैलकुलेशन – जानिए अभी

अगर आप भी प्राइवेट नौकरी करते हैं और सोचते हैं कि रिटायरमेंट के बाद कितनी पेंशन मिलेगी, तो यह खबर आपके लिए है। EPS के इस आसान फॉर्मूले से खुद करें कैलकुलेट मिनिमम ₹1000 से लेकर मैक्सिमम ₹7500 तक, सबकुछ अभी जानें!

By Saloni uniyal
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PF से कितनी पेंशन मिलेगी बुढ़ापे में? इस आसान फॉर्मूले से करें खुद कैलकुलेशन – जानिए अभी
PF से कितनी पेंशन मिलेगी बुढ़ापे में? इस आसान फॉर्मूले से करें खुद कैलकुलेशन – जानिए अभी

बुढ़ापे में पीएफ से कितनी पेंशन (Pension) मिलेगी, यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में होता है जो प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करता है और Employee Provident Fund Organisation (EPFO) के तहत रजिस्टर्ड है। EPS यानी कर्मचारी पेंशन योजना (Employees’ Pension Scheme) एक ऐसी स्कीम है जो रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सहारा देती है। यह योजना EPFO द्वारा संचालित की जाती है और इसका उद्देश्य बुजुर्ग अवस्था में एक सुनिश्चित आय प्रदान करना है।

EPS स्कीम क्या है और कैसे काम करती है?

EPS यानी Employee Pension Scheme, EPFO द्वारा चलाई जाने वाली रिटायरमेंट योजना है, जिसमें प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों की बेसिक सैलरी और डीए (DA) का हिस्सा हर महीने जमा किया जाता है। कर्मचारी की ओर से EPF में हर महीने बेसिक सैलरी + डीए का 12 प्रतिशत जमा होता है, जबकि कंपनी/नियोक्ता भी इतना ही योगदान करता है। नियोक्ता द्वारा दिए गए इस 12% में से 8.33% हिस्सा EPS में और बाकी 3.67% EPF में जमा होता है।

EPS के लिए जरूरी शर्तें

EPS का लाभ लेने के लिए कम से कम 10 साल की सर्विस अनिवार्य है यानी आपको 10 साल तक नौकरी करनी होगी और EPS में नियमित योगदान करना होगा। वहीं, अधिकतम पेंशनेबल सर्विस की सीमा 35 साल रखी गई है। पेंशन की शुरुआत 58 साल की उम्र के बाद ही होती है। हालांकि, अगर आप 58 साल से पहले पेंशन लेना शुरू करते हैं, तो आपकी पेंशन में हर साल 4 फीसदी की कटौती होगी। वहीं, यदि आप 60 साल के बाद पेंशन लेते हैं तो आपको सामान्य राशि से 8 फीसदी अधिक पेंशन मिलेगी।

EPS पेंशन कैलकुलेशन का फॉर्मूला

EPS से मिलने वाली पेंशन की गणना एक तय फॉर्मूले से की जाती है:

EPS पेंशन = (औसत सैलरी × पेंशनेबल सर्विस)/70

यहां औसत सैलरी से तात्पर्य है रिटायरमेंट से पहले के अंतिम 12 महीनों की बेसिक सैलरी + डीए का औसत।

इसमें पेंशनेबल सर्विस की अधिकतम सीमा 35 साल मानी जाती है और औसत वेतन की अधिकतम सीमा 15,000 रुपए तय की गई है। यानी, पेंशन की गणना में यदि आपकी औसत सैलरी 15,000 है और आपने 35 साल की नौकरी की है, तो:

EPS = 15,000 × 35 / 70 = 7,500 रुपए प्रति माह

इस हिसाब से EPS से अधिकतम पेंशन ₹7,500 प्रति माह मिल सकती है। वहीं, EPS स्कीम में न्यूनतम पेंशन ₹1,000 तय की गई है।

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EPS के अन्य नियम

कर्मचारी पेंशन योजना 15 नवंबर 1995 के बाद लागू हुई और इसके नियम संगठित क्षेत्र के सभी कर्मचारियों पर लागू होते हैं। यह स्कीम उन कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है जो लंबे समय तक एक या कई संगठनों में नौकरी करते हैं और निरंतर EPS में योगदान करते हैं।

58 वर्ष की उम्र के बाद ही पेंशन शुरू होती है, लेकिन इससे पहले अगर कोई कर्मचारी पेंशन लेना चाहता है तो उसे प्रति वर्ष 4% कम राशि मिलेगी। दूसरी ओर, अगर कोई 60 की उम्र के बाद पेंशन का दावा करता है तो उसे 8% ज्यादा राशि मिलेगी।

EPS से अधिकतम और न्यूनतम पेंशन का गणित

EPS स्कीम के तहत, अधिकतम पेंशनेबल वेतन ₹15,000 तय किया गया है। नियोक्ता का 8.33% हिस्सा हर महीने EPS में जमा होता है यानी:

15,000 × 8.33% = ₹1,250 प्रति माह

इस राशि को EPS अकाउंट में हर महीने जमा किया जाता है। लंबे समय तक नौकरी करने पर यह राशि एक अच्छी पेंशन में बदल जाती है।

यदि कोई कर्मचारी 35 वर्षों तक काम करता है और उसका औसत पेंशन योग्य वेतन ₹15,000 ही रहता है, तो उसे रिटायरमेंट के बाद हर महीने ₹7,500 की पेंशन मिल सकती है।

EPS योजना के फायदे

EPS स्कीम रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा देती है, विशेष रूप से उन कर्मचारियों के लिए जो प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत हैं। इस स्कीम की सबसे खास बात यह है कि यह सरकार द्वारा गारंटीड पेंशन देती है। इसके साथ ही, यह योजना संगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम मानी जाती है।

EPS पेंशन से जुड़ी कुछ जरूरी बातें

  • EPS में शामिल होने के लिए UAN (Universal Account Number) एक्टिव होना चाहिए।
  • पेंशन क्लेम के लिए कर्मचारी को फॉर्म 10D भरना होता है।
  • रिटायरमेंट के बाद, नजदीकी EPFO ऑफिस में जाकर आवश्यक दस्तावेजों के साथ पेंशन का क्लेम किया जा सकता है।
  • EPFO की वेबसाइट या UMANG ऐप से भी पेंशन स्टेटस और जानकारी देखी जा सकती है।

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