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Home Loan EMI ऐसे होती है तय! बैंक कैसे करता है कैलकुलेशन – जानें लोन लेने से पहले

होम लोन लेने से पहले ये जरूर जान लें कि बैंक कैसे करते हैं EMI का असली कैलकुलेशन! क्या वाकई लंबा टेन्योर लेना समझदारी है या आप दे रहे हैं लाखों रुपये ज्यादा ब्याज? जानिए पूरी रणनीति इस रिपोर्ट में।

By Saloni uniyal
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Home Loan EMI ऐसे होती है तय! बैंक कैसे करता है कैलकुलेशन – जानें लोन लेने से पहले
Home Loan EMI ऐसे होती है तय! बैंक कैसे करता है कैलकुलेशन – जानें लोन लेने से पहले

होम लोन-Home Loan लेने से पहले EMI की गणना को समझना बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई वित्तीय परेशानी न हो। बैंक जब किसी ग्राहक को होम लोन देते हैं, तो वे एक तय फॉर्मूले के आधार पर EMI यानी Equated Monthly Installment तय करते हैं। यह EMI लोन अमाउंट, ब्याज दर और लोन की अवधि पर निर्भर करती है। हालांकि, कई बार ग्राहक केवल EMI कम होने के चक्कर में लंबी अवधि का लोन चुन लेते हैं, जिससे वे ज्यादा ब्याज दे बैठते हैं। इस लेख में जानिए कि बैंक EMI का कैलकुलेशन कैसे करते हैं, होम लोन प्लान चुनते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और लोन जल्दी निपटाने के लिए कौन-से स्मार्ट तरीके अपनाए जा सकते हैं।

EMI क्या है और यह क्यों जरूरी है?

EMI यानी Equated Monthly Installment वो राशि होती है, जिसे लोन लेने वाला व्यक्ति हर महीने चुकाता है। इसमें दो हिस्से होते हैं—प्रिंसिपल अमाउंट और ब्याज। शुरुआत में EMI में ब्याज की हिस्सेदारी ज्यादा होती है, जबकि बाद में धीरे-धीरे प्रिंसिपल घटता है। EMI तय करने का मकसद यह होता है कि ग्राहक हर महीने एक तय राशि देकर लोन की अदायगी कर सके, जिससे उसकी मासिक आय पर ज्यादा दबाव न पड़े।

EMI कैलकुलेशन का फॉर्मूला क्या है?

बैंक होम लोन EMI कैलकुलेशन के लिए एक मानक फॉर्मूला इस्तेमाल करते हैं:

EMI = [P x R x (1+R)^N] / [(1+R)^N – 1]

जहां:

  • P = Principal Amount (मुख्य लोन राशि)
  • R = Monthly Interest Rate (वार्षिक ब्याज दर ÷ 12 ÷ 100)
  • N = Loan Tenure in Months (लोन अवधि महीने में)

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उदाहरण के तौर पर, अगर आपने ₹30 लाख का लोन 7.5% सालाना ब्याज दर पर 20 साल के लिए लिया है, तो इस फॉर्मूले से EMI का अनुमान लगाया जा सकता है।

लंबी अवधि vs छोटी अवधि: क्या है बेहतर?

अगर आप लंबी अवधि का लोन लेते हैं, तो EMI कम हो जाती है, जिससे आपकी मासिक जेब पर कम दबाव पड़ता है। लेकिन ध्यान रखें, अवधि लंबी होने के कारण ब्याज का कुल भुगतान बहुत ज्यादा हो जाता है। उदाहरण के लिए:

  • ₹30 लाख का लोन 20 साल के लिए लेने पर लगभग ₹31 लाख ब्याज देना होगा।
  • वहीं यही लोन 10 साल में चुकाने पर कुल ब्याज सिर्फ ₹13 लाख के आसपास होगा।

इसलिए होम लोन लेते समय सिर्फ EMI को न देखें, बल्कि कुल ब्याज का बोझ भी जरूर समझें।

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बैंक किन बातों के आधार पर तय करते हैं EMI?

बैंक EMI तय करते समय कई बातों को ध्यान में रखते हैं:

1. लोन अमाउंट (Loan Amount): जितना ज्यादा लोन होगा, EMI उतनी ही ज्यादा होगी।
2. ब्याज दर (Interest Rate): फ्लोटिंग और फिक्स्ड रेट दोनों विकल्प होते हैं।
3. लोन अवधि (Loan Tenure): ज्यादा अवधि = कम EMI लेकिन ज्यादा ब्याज।
4. ग्राहक की साख (Credit Score): अच्छा CIBIL स्कोर मिलने पर कम ब्याज दर पर लोन मिल सकता है।
5. इनकम प्रोफाइल: बैंक आपकी मासिक आय, खर्च और मौजूदा लोन की जांच करते हैं ताकि यह तय कर सकें कि आप कितनी EMI चुका सकते हैं।

होम लोन चुकाने के स्मार्ट तरीके

होम लोन को समय से पहले चुकाने के लिए कुछ स्मार्ट तरीके हैं:

प्रीपेमेंट: जब भी आपको बोनस, टैक्स रिफंड या अन्य अतिरिक्त धन मिले, उसे EMI से अलग प्रीपेमेंट में लगाएं। इससे आपकी लोन की अवधि और ब्याज दोनों घटेंगे।

EMI बढ़ाना: जैसे-जैसे आपकी सैलरी बढ़ती है, आप EMI की राशि भी बढ़ा सकते हैं। इससे लोन जल्दी खत्म होगा।

ब्याज दर की तुलना: समय-समय पर विभिन्न बैंकों की ब्याज दरों की तुलना करें और जरूरत पड़ने पर बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प चुनें।

स्ट्रेटेजिक पार्ट पेमेंट: हर साल एक या दो बार अतिरिक्त राशि का भुगतान कर लोन टेन्योर घटा सकते हैं।

होम लोन लेते समय किन बातों का रखें ध्यान?

  • बैंक से ब्याज दर का स्ट्रक्चर (फ्लोटिंग या फिक्स्ड) समझें।
  • प्रोसेसिंग फीस, प्रीपेमेंट चार्ज जैसे छिपे शुल्कों की जानकारी लें।
  • EMI आपकी नेट इनकम का 40-50% से ज्यादा न हो।
  • लोन इंश्योरेंस लेना अच्छा विकल्प हो सकता है, ताकि किसी अनहोनी की स्थिति में परिवार पर बोझ न पड़े।

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