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इस राज्य में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी अनिवार्य! विपक्ष भड़का – भाषा पर फिर गरमाई राजनीति

सरकार के इस चौंकाने वाले फैसले से उठे सियासी तूफान जानिए क्यों विपक्ष ने बताया इसे ‘भाषा थोपने’ की साज़िश, और कैसे बदल सकती है इससे आपके बच्चे की शिक्षा और भविष्य की दिशा!

By Saloni uniyal
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इस राज्य में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी अनिवार्य! विपक्ष भड़का – भाषा पर फिर गरमाई राजनीति
इस राज्य में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी अनिवार्य! विपक्ष भड़का – भाषा पर फिर गरमाई राजनीति

महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक बड़ा शैक्षिक निर्णय लेते हुए राज्य के सभी स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी भाषा को अनिवार्य कर दिया है। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत लिया गया है, जिसका उद्देश्य है प्रारंभिक शिक्षा को मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से प्रदान करना। हालांकि इस नीति के तहत हिंदी की अनिवार्यता ने राजनीतिक हलकों में एक नई बहस को जन्म दे दिया है।

नीति का मकसद: राष्ट्रीय स्तर पर संवाद और अवसरों की वृद्धि

सरकार का यह मानना है कि हिंदी को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने से छात्रों को राष्ट्रीय स्तर पर संवाद स्थापित करने की बेहतर क्षमता प्राप्त होगी। इसके साथ ही यह कदम छात्रों के लिए शैक्षिक और व्यावसायिक संभावनाओं को व्यापक करेगा। हिंदी एक लिंक लैंग्वेज के रूप में काम कर सकती है, जिससे महाराष्ट्र के छात्र न केवल अन्य राज्यों के लोगों से संवाद कर सकेंगे, बल्कि विभिन्न राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं और नौकरियों के लिए भी बेहतर तरीके से तैयार हो सकेंगे।

बहुभाषी बनने की दिशा में एक प्रयास

राज्य सरकार का कहना है कि इस निर्णय का उद्देश्य छात्रों को बहुभाषी बनाना है, न कि किसी एक भाषा को थोपना। ग्लोबल और इंटरनेशनल स्कोप की बात करें तो बहुभाषावाद (Multilingualism) आज के समय की एक प्रमुख आवश्यकता है। इस नीति के अंतर्गत मराठी, जो राज्य की प्रमुख भाषा है, को भी शिक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा बनाए रखा गया है। हिंदी की अनिवार्यता केवल एक अतिरिक्त भाषा के रूप में प्रस्तुत की गई है, जिससे छात्रों की लैंग्वेज स्किल्स में विविधता और गहराई आ सके।

विपक्ष का विरोध: भाषा थोपने का प्रयास

हालांकि सरकार की इस मंशा पर विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह निर्णय महाराष्ट्र की बहुभाषी संस्कृति और मराठी भाषा की समृद्ध विरासत के लिए खतरा है। उनका तर्क है कि यह कदम छात्रों की भाषाई पहचान को सीमित कर सकता है और यह एक तरह से भाषा थोपने का प्रयास है।

विपक्षी नेताओं का मानना है कि एक क्षेत्रीय राज्य में राष्ट्रीय भाषा को अनिवार्य करने से स्थानीय भाषाएं पीछे छूट जाएंगी। साथ ही, वे इस नीति को सांस्कृतिक विविधता को बाधित करने वाला और संविधान द्वारा दिए गए भाषाई अधिकारों के खिलाफ भी बता रहे हैं।

अभिभावकों और शिक्षाविदों की मिली-जुली प्रतिक्रिया

इस निर्णय पर अभिभावकों और शिक्षाविदों की प्रतिक्रियाएं भी बंटी हुई हैं। कुछ शिक्षाविदों का मानना है कि हिंदी की शिक्षा से छात्रों को भारतीय संदर्भ में बेहतर प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा। वहीं, कुछ अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि प्राथमिक स्तर पर कई भाषाओं का भार डालना छात्रों के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकता है।

कुछ अभिभावक इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं, उनका मानना है कि हिंदी सीखना आज के युग में अंतरराज्यीय संवाद और राष्ट्रीय स्तर पर नौकरी के अवसरों के लिए जरूरी है। वहीं कुछ अन्य अभिभावकों का तर्क है कि बच्चों को मातृभाषा और अंग्रेज़ी के बीच संतुलन बनाने की चुनौती पहले से ही है, ऐसे में हिंदी को अनिवार्य बनाना अतिरिक्त दबाव डालेगा।

शिक्षा नीति 2020 और भाषाई दृष्टिकोण

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का एक प्रमुख स्तंभ प्रारंभिक शिक्षा को मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में देना है। इस नीति में यह भी सुझाव दिया गया है कि छात्रों को कम से कम तीन भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए, जिसमें से एक भाषा हिंदी या अंग्रेजी हो सकती है। महाराष्ट्र सरकार का तर्क है कि उनका यह निर्णय इसी नीति का पालन है और इसका उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है।

आगे क्या?

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस निर्णय को ज़मीनी स्तर पर कैसे लागू किया जाता है। क्या स्कूलों में पर्याप्त हिंदी शिक्षकों की व्यवस्था की गई है? क्या पाठ्यक्रम को इस बदलाव के अनुरूप ढाला जाएगा? और क्या यह निर्णय वास्तव में छात्रों के हित में साबित होगा या फिर यह एक राजनीतिक और भाषाई टकराव का कारण बनेगा—इन सभी सवालों के जवाब आने वाले महीनों में स्पष्ट होंगे।

सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस नीति के कार्यान्वयन से स्थानीय भाषाओं की उपेक्षा न हो, और यह बदलाव शिक्षा प्रणाली में संतुलन बनाए रखे। नीति के इरादे भले ही समावेशी हों, लेकिन उसकी सफलता इस पर निर्भर करेगी कि उसे किस तरह से लागू किया जाता है।

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