
हिमाचल प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्य में 500 मिलीलीटर तक की प्लास्टिक (पीईटी) पानी की बोतलों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है। यह प्रतिबंध सरकारी आयोजनों और सभी होटलों पर लागू होगा। 23 अप्रैल 2025 को यह निर्णय आधिकारिक रूप से लागू कर दिया गया है। इसके साथ ही राज्य के भीतर वाहनों में कूड़ेदान रखना अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी फैलने से रोका जा सके।
यह कदम राज्य के पर्यटन स्थलों की सुंदरता और पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखने की एक निर्णायक कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि इन नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़ा फैसला
प्लास्टिक प्रदूषण आज पूरे देश के लिए एक गंभीर समस्या बन चुका है। खासकर पर्यटन पर निर्भर हिमाचल जैसे राज्य में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। प्लास्टिक (PET) की बोतलें न केवल जल स्रोतों को प्रदूषित करती हैं बल्कि इन्हें नष्ट करना भी अत्यंत कठिन होता है।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने यह घोषणा ऐसे समय में की है जब राज्य के कई हिस्सों में पर्यावरणीय खतरे लगातार बढ़ रहे हैं। गर्मियों के मौसम में जब पर्यटन चरम पर होता है, प्लास्टिक की छोटी पानी की बोतलों की मांग भी बढ़ जाती है। इससे राज्य में प्लास्टिक कचरा अप्रत्याशित रूप से बढ़ने लगता है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस पर सख्ती से रोक लगाने का निर्णय लिया है।
यह भी पढें- DTC Complaint: ड्राइवर की कैसे करें शिकायत – तुरंत होगी कार्रवाई, देखें प्रोसेस
होटलों और आयोजनों पर रहेगा पूरा नियंत्रण
सरकारी आदेश के अनुसार, अब किसी भी सरकारी कार्यक्रम, सेमिनार, मीटिंग या उत्सव में 500 मिलीलीटर या उससे कम आकार की पानी की प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। इसके साथ ही राज्य के सभी होटल, गेस्ट हाउस और लॉज भी इन बोतलों का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। सरकार ने पर्यटन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन स्थलों की नियमित निगरानी के निर्देश दिए हैं।
इसके स्थान पर स्टील, कांच या बायोडिग्रेडेबल विकल्पों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जल स्रोतों और झीलों के समीप इन बोतलों के अवशेष पाए जाने की घटनाओं के चलते यह कार्रवाई जरूरी मानी जा रही है।
वाहनों में कूड़ेदान अब अनिवार्य
सरकार ने सार्वजनिक और निजी वाहनों में डस्टबिन लगाना अनिवार्य कर दिया है। परिवहन विभाग को आदेश दिया गया है कि सभी वाणिज्यिक वाहनों में सफाई की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। खासकर टूरिस्ट बसें और टैक्सी सेवा देने वाले वाहनों में यात्रियों द्वारा उत्पन्न कचरे को इधर-उधर फेंकने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।
इस नियम के तहत यदि किसी वाहन में कूड़ेदान नहीं पाया गया, तो उस वाहन मालिक पर प्रथम बार ₹500, दूसरी बार ₹1000 और तीसरी बार ₹2000 तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
उल्लंघन पर भारी जुर्माना
प्लास्टिक बैन के उल्लंघन की स्थिति में सरकार ने जुर्माने की स्पष्ट व्यवस्था कर दी है। यदि कोई होटल या सरकारी आयोजन में इस नियम का उल्लंघन करता पाया गया, तो उस पर ₹5000 से लेकर ₹25000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। बार-बार नियमों की अवहेलना करने वालों पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
राज्य का रुख सख्त, लेकिन जागरूकता जरूरी
सरकार का मानना है कि नियम बनाना पर्याप्त नहीं है, जब तक कि आम जनता और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में जागरूकता न फैलाई जाए। इसलिए राज्य के शिक्षण संस्थानों, पर्यटक स्थलों और पंचायतों में विशेष अभियान चलाकर लोगों को इस बदलाव की जानकारी दी जा रही है।
स्वच्छ हिमाचल, सुरक्षित पर्यावरण जैसे नारे इस अभियान के केंद्र में रखे गए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि हिमाचल को देश का पहला प्लास्टिक-मुक्त टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाया जाए।
अब रिन्यूएबल एनर्जी और हरित पर्यटन की ओर बढ़ता हिमाचल
हिमाचल प्रदेश ने पिछले कुछ वर्षों में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy और पर्यावरण के अनुकूल नीतियों को अपनाने की दिशा में कई अहम फैसले लिए हैं। प्लास्टिक पर यह ताजा बैन इसी श्रृंखला का हिस्सा है। इसके जरिए न केवल प्राकृतिक सुंदरता को बचाया जाएगा, बल्कि राज्य के पर्यटन को भी टिकाऊ (Sustainable) बनाया जाएगा।
राज्य सरकार का इरादा है कि आने वाले वर्षों में सभी होटल और पर्यटन स्थल ग्रीन सर्टिफाइड हों। इसके लिए विशेष प्रशिक्षण और वित्तीय सहयोग देने की योजना भी बनाई जा रही है।