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High Court का अहम फैसला: क्या दामाद का होता है ससुर की संपत्ति पर हक? जानिए कानूनी स्थिति

क्या सिर्फ शादी करने से मिल जाती है ससुर की प्रॉपर्टी? कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, दामाद की याचिका को बताया 'शर्मनाक'! जानिए कानून क्या कहता है इस विवादित मुद्दे पर, जिससे जुड़ा है हर परिवार का भविष्य

By Saloni uniyal
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High Court का अहम फैसला: क्या दामाद का होता है ससुर की संपत्ति पर हक? जानिए कानूनी स्थिति
High Court का अहम फैसला: क्या दामाद का होता है ससुर की संपत्ति पर हक? जानिए कानूनी स्थिति

भारत में संपत्ति को लेकर अक्सर पारिवारिक विवाद सामने आते हैं, और इनमें से कई मामलों में कानून को स्पष्ट रुख अपनाना पड़ता है। हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें यह प्रश्न खड़ा हुआ कि क्या दामाद का अपने ससुर की संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार (Son-in-law’s rights on father-in-law’s property) होता है? इस पर हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कानून की व्याख्या की है। यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी काफी अहम है।

शादी से जुड़ते हैं रिश्ते, पर क्या जुड़ता है संपत्ति पर अधिकार?

भारतीय समाज में शादी (Marriage in India) को केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन माना जाता है। बेटी के विवाह के बाद माता-पिता चाहते हैं कि उसकी ससुराल में अच्छी देखभाल हो। कई बार वे आर्थिक सहायता भी करते हैं, ताकि बेटी को किसी प्रकार की असुविधा न हो। पर सवाल यह है कि क्या इसी आधार पर दामाद को ससुर की संपत्ति में हिस्सा मिल जाता है?

कानून क्या कहता है दामाद के अधिकार को लेकर?

भारतीय कानून इस विषय में पूरी तरह स्पष्ट है कि दामाद का अपने ससुर की संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार (Legal rights) नहीं होता, चाहे उसने उस संपत्ति के निर्माण या ख़रीद में कोई आर्थिक सहायता ही क्यों न दी हो। High Court ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया है कि अगर ससुर स्वेच्छा से अपनी संपत्ति दामाद को न दें, तो वह उस पर दावा नहीं कर सकता।

केरल हाई कोर्ट का अहम फैसला

हाल ही में केरल हाई कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई हुई जिसमें कन्नूर के डेविस राफेल नामक दामाद ने अपने ससुर की संपत्ति पर अधिकार जताया। उसका तर्क था कि उसने ससुर की बेटी से शादी की है, इसलिए वह परिवार का हिस्सा बन चुका है और उसे उस घर में रहने का अधिकार मिलना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया।

जस्टिस एन अनिल कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केवल विवाह संबंध के आधार पर किसी व्यक्ति को ससुर की संपत्ति पर अधिकार नहीं मिल सकता। कोर्ट ने साफ किया कि दामाद को परिवार का सदस्य मानना भी मुश्किल है, और गोद लिए जाने का तर्क “शर्मनाक” करार दिया।

दामाद का दावा क्यों खारिज किया गया?

मामले में ससुर हेंड्री ने ट्रायल कोर्ट में दामाद के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की थी। उन्होंने कहा कि दामाद उनकी संपत्ति पर अवैध कब्जा (Illegal possession) करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि यह संपत्ति उन्हें त्रिचंबरम के सेंट पॉल चर्च से उपहार (Gifted property) के रूप में मिली थी और उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से घर बनवाया है।

दूसरी ओर दामाद ने याचिका में कहा कि वह परिवार का हिस्सा है और इसलिए घर में रहने का अधिकार रखता है। लेकिन हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि शादी के बाद भी दामाद का कोई कानूनी अधिकार ससुर की संपत्ति पर नहीं होता (No legal claim on property)

पत्नी के अधिकार क्या हैं?

इसी तरह का एक सवाल अक्सर पत्नी को लेकर भी उठता है। पत्नी का अपने पति या ससुराल की पैतृक संपत्ति (wife’s right on ancestral property) पर कोई अधिकार नहीं होता। अगर पति की मृत्यु हो जाती है तो पत्नी को वही हिस्सा मिलता है जो उसके पति को प्राप्त होता। अगर सास-ससुर की मृत्यु के बाद उन्होंने कोई वसीयत नहीं बनाई हो, तो पत्नी को भी संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है।

संपत्ति विवाद से जुड़ी कानूनी स्थिति

अगर ससुर अपनी संपत्ति दामाद के नाम कर दें तो वह कानूनी रूप से उसकी संपत्ति बन जाती है। लेकिन अगर यह ट्रांसफर धोखाधड़ी (fraudulent transfer) या बलपूर्वक हुआ हो, तो उसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है। यानी बिना स्वैच्छिक हस्तांतरण के, दामाद को कोई अधिकार नहीं मिल सकता।

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