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Haryana Liquor Price Hike: हरियाणा में अब शराब नहीं आएगी सस्ती! देसी से लेकर बीयर तक सब हो गया महंगा

हरियाणा सरकार ने शराब की बिक्री पर कड़ा फैसला लेते हुए नई आबकारी नीति लागू कर दी है, जिससे छोटे गांवों और हाईवे किनारे के ठेके होंगे बंद, शराब होगी महंगी और ग्रामीण समाज में आ सकता है बड़ा बदलाव पूरी खबर पढ़िए विस्तार से।

By Saloni uniyal
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Haryana Liquor Price Hike: हरियाणा में अब शराब नहीं आएगी सस्ती! देसी से लेकर बीयर तक सब हो गया महंगा
Haryana Liquor Price Hike: हरियाणा में अब शराब नहीं आएगी सस्ती! देसी से लेकर बीयर तक सब हो गया महंगा

हरियाणा सरकार ने राज्य में शराब बिक्री को लेकर एक बड़ा फैसला लेते हुए नई आबकारी नीति (Excise Policy) लागू कर दी है। इस नई नीति के तहत अब उन गांवों में शराब के ठेके नहीं खोले जाएंगे, जिनकी जनसंख्या 500 से कम है। इस फैसले के चलते राज्य के लगभग 700 से अधिक गांवों में संचालित 152 शराब के ठेके बंद कर दिए जाएंगे। सरकार का यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की उपलब्धता को सीमित करने और सामाजिक संतुलन बनाए रखने की दिशा में उठाया गया है।

नई नीति का सीधा असर ग्रामीण इलाकों पर

हरियाणा सरकार की इस नई आबकारी नीति का सबसे बड़ा प्रभाव उन ग्रामीण इलाकों पर पड़ेगा जहां अब तक कम आबादी के बावजूद शराब के ठेके चल रहे थे। अब 500 से कम जनसंख्या वाले गांवों में एक भी शराब का ठेका (Liquor Shop) संचालित नहीं किया जाएगा। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की खपत पर असर पड़ेगा, बल्कि सामाजिक सुधार की दिशा में भी इसे एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है।

152 ठेकों की होगी बंदी, 700 गांव होंगे प्रभावित

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस नीति के लागू होने से प्रदेशभर में 700 से अधिक गांव सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। इन गांवों में मौजूद 152 शराब के ठेके अब बंद कर दिए जाएंगे। यह निर्णय एक तरफ राजस्व पर असर डाल सकता है, लेकिन सरकार का मानना है कि इससे समाज में सुधार होगा और नशे की लत से लोगों को छुटकारा मिलेगा।

नेशनल और स्टेट हाईवे से भी हटेंगे ठेके

नई आबकारी नीति के अन्य प्रावधानों में यह भी शामिल है कि अब नेशनल हाईवे (National Highway) और स्टेट हाईवे (State Highway) पर भी शराब के ठेके नहीं चलाए जाएंगे। यह कदम सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों के अनुपालन को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि शराब के ठेके कम से कम 500 मीटर की दूरी पर स्थित होंगे ताकि ड्रंक ड्राइविंग जैसी घटनाओं को रोका जा सके।

शराब होगी महंगी, बढ़ेगा एक्साइज टैक्स

इस नीति के तहत शराब की कीमतों में भी इजाफा किया गया है। सरकार ने एक्साइज टैक्स (Excise Tax) बढ़ाने का निर्णय लिया है, जिससे आम आदमी को अब शराब के लिए अधिक कीमत चुकानी होगी। अधिकारियों के अनुसार, यह कदम राज्य के राजस्व को बनाए रखने के लिए उठाया गया है क्योंकि गांवों में ठेके बंद होने से होने वाले घाटे की भरपाई इसी तरीके से की जाएगी।

महिला सुरक्षा और ग्रामीण माहौल को मिलेगा बल

हरियाणा सरकार ने यह भी कहा है कि इस निर्णय से गांवों में महिलाओं की सुरक्षा को बल मिलेगा। अक्सर देखा गया है कि शराब के ठेकों के आसपास असामाजिक गतिविधियां बढ़ जाती हैं, जिससे महिलाओं और लड़कियों को असुविधा होती है। अब जब इन गांवों से शराब के ठेके हट जाएंगे, तो सामाजिक माहौल भी बेहतर होगा।

नशे के खिलाफ सरकार की सख्ती

हरियाणा सरकार पहले से ही राज्य में नशे के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए है। ड्रग्स और शराब से जुड़ी आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए सरकार ने कई स्तरों पर अभियान चलाए हैं। नई आबकारी नीति को इसी दिशा में एक और मजबूत कदम माना जा रहा है।

ग्रामीण विकास में सहयोगी होगा यह निर्णय

विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल नशे पर रोक लगेगी, बल्कि ग्रामीण विकास (Rural Development) में भी मदद मिलेगी। गांवों में शराब की उपलब्धता कम होने से युवा पीढ़ी को नशे की गिरफ्त में जाने से रोका जा सकेगा और वे शिक्षा, खेल और रोजगार की ओर ध्यान दे सकेंगे।

शराब कारोबारियों और ठेकेदारों की चिंता बढ़ी

इस निर्णय से शराब कारोबारियों और ठेकेदारों में चिंता की लहर दौड़ गई है। उन्हें डर है कि 152 ठेकों के बंद होने से उनके व्यवसाय पर गहरा असर पड़ेगा। हालांकि सरकार ने उन्हें अन्य वैकल्पिक स्थानों की पेशकश की है, लेकिन इसका कितना असर होगा, यह समय बताएगा।

नीति को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया

जहां एक ओर समाजसेवी संगठनों और महिला समूहों ने इस फैसले का स्वागत किया है, वहीं कुछ कारोबारी और ग्रामीण लोग इसे अतिवादी निर्णय मानते हैं। उनका कहना है कि इससे वैध व्यापार को नुकसान होगा और अवैध शराब का कारोबार बढ़ सकता है।

हरियाणा मॉडल बन सकता है देशभर के लिए उदाहरण

अगर यह नीति सफल रहती है तो अन्य राज्यों के लिए भी हरियाणा का यह मॉडल एक उदाहरण बन सकता है। सामाजिक कल्याण, महिला सुरक्षा और ग्रामीण सुधार की दृष्टि से यह नीति मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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