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क्या ग्रेच्युटी आपकी CTC में शामिल होती है? जानिए पूरा कैलकुलेशन और सैलरी पर इसका असर

CTC में शामिल ग्रेच्युटी की असली गणना क्या है? क्या आपकी नौकरी के सालों का सही मोल मिल रहा है? जानें हर जरूरी डिटेल, कैलकुलेशन ट्रिक और ऑफर लेटर की छुपी बातें, जिससे आप लाखों की ग्रेच्युटी मिस न करें

By Saloni uniyal
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क्या ग्रेच्युटी आपकी CTC में शामिल होती है? जानिए पूरा कैलकुलेशन और सैलरी पर इसका असर
क्या ग्रेच्युटी आपकी CTC में शामिल होती है? जानिए पूरा कैलकुलेशन और सैलरी पर इसका असर

किसी भी कर्मचारी को जब नौकरी का ऑफर मिलता है, तो उसमें CTC (Cost to Company) का ज़िक्र होता है। इस CTC में कई तरह के भत्ते, योगदान और अन्य लाभ शामिल होते हैं। इसमें एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है ग्रेच्युटी (Gratuity), जो कर्मचारी को सेवा समाप्ति के बाद मिलती है। हालांकि कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) की गणना करना अपेक्षाकृत आसान है, लेकिन ग्रेच्युटी की कैलकुलेशन कई बार लोगों को भ्रमित कर सकती है।

क्या होती है ग्रेच्युटी?

ग्रेच्युटी वह राशि होती है जो किसी कर्मचारी को कंपनी छोड़ते समय दी जाती है, बशर्ते उसने कम से कम 5 साल तक उस कंपनी में काम किया हो। भारत में ग्रेच्युटी का भुगतान पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972 (Payment of Gratuity Act 1972) के तहत किया जाता है। यह एक तरह की सेवा के बदले दी जाने वाली ‘थैंक यू’ राशि होती है, जिसे कर्मचारी की वफादारी और दी गई सेवाओं के लिए दिया जाता है।

ग्रेच्युटी की गणना कैसे होती है?

ग्रेच्युटी की गणना कर्मचारी के अंतिम प्राप्त बेसिक सैलरी के आधार पर की जाती है। इसका फॉर्मूला इस प्रकार है:

ग्रेच्युटी = (अंतिम मासिक सैलरी × 15/26) × पूरे किए गए सेवा वर्षों की संख्या

यहां “15/26” का अर्थ है कि एक वर्ष की सेवा के बदले कर्मचारी को 15 दिनों की सैलरी दी जाती है, और महीने को 26 कार्यदिवस मानकर यह भाग निकाला गया है।

उदाहरण से समझें:

मान लीजिए किसी कर्मचारी की सालाना बेसिक सैलरी ₹6,00,000 है, तो:

  • मासिक बेसिक सैलरी = ₹6,00,000 ÷ 12 = ₹50,000
  • सेवा के वर्ष = 10

अब फॉर्मूला लगाएं:

  • ग्रेच्युटी = (₹50,000 × 15/26) × 10 = ₹28,846 × 10 = ₹2,88,460
  • इस प्रकार, 10 वर्षों की सेवा पर कर्मचारी को ₹2,88,460 की ग्रेच्युटी मिलती है।

ऑफर लेटर में ग्रेच्युटी का ज़िक्र कैसे होता है?

अधिकांश कंपनियां अपने ऑफर लेटर में ग्रेच्युटी को सालाना बेसिक सैलरी का 4.81% मानकर CTC में जोड़ती हैं। इसका अर्थ है कि भले ही यह राशि आपको हर महीने नहीं मिलती, लेकिन यह आपके कुल पैकेज का हिस्सा होती है।

उदाहरण:

अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹6,00,000 है, तो:

ग्रेच्युटी = ₹6,00,000 × 4.81% = ₹28,860 प्रति वर्ष

ग्रेच्युटी पर सैलरी वृद्धि का प्रभाव

चूंकि ग्रेच्युटी की गणना कर्मचारी की अंतिम बेसिक सैलरी पर आधारित होती है, इसलिए जैसे-जैसे सैलरी में वृद्धि होती है, वैसे-वैसे ग्रेच्युटी की राशि भी बढ़ती जाती है। सामान्यतः हर वर्ष अप्रेजल के दौरान सैलरी में इज़ाफा होता है, जिससे ग्रेच्युटी पर सीधा असर पड़ता है।

क्या ग्रेच्युटी टैक्स फ्री होती है?

ग्रेच्युटी पर टैक्स छूट सीमित होती है। अगर कर्मचारी किसी कंपनी में कार्यरत है जो ग्रेच्युटी एक्ट के अंतर्गत आती है, तो अधिकतम ₹20 लाख तक की ग्रेच्युटी टैक्स फ्री होती है। इससे अधिक राशि पर टैक्स देना पड़ सकता है।

ग्रेच्युटी की पात्रता क्या है?

ग्रेच्युटी पाने के लिए कर्मचारी को कम से कम 5 वर्ष तक कंपनी में लगातार कार्य करना चाहिए। हालांकि, यदि कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है या वह अपंग हो जाता है, तो 5 वर्ष की शर्त लागू नहीं होती।

ग्रेच्युटी और CTC का संबंध

कंपनी द्वारा घोषित CTC में ग्रेच्युटी भी शामिल होती है, लेकिन यह एक डिफर्ड बेनिफिट होता है, यानी कि यह राशि तत्काल नहीं मिलती। यह कर्मचारी के कंपनी छोड़ने या रिटायरमेंट के समय मिलती है।

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