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सरकार की बड़ी तैयारी! 10 हजार स्कूलों को बंद करने का फैसला, जानें क्या है पूरा मामला

निजी स्कूलों की मान्यता खतरे में! नए नियमों और तकनीकी अड़चनों से संचालकों में आक्रोश, विरोध प्रदर्शन की तैयारी – जानिए पूरी कहानी!

By Saloni uniyal
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राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक हरजिंदर सिंह द्वारा जारी किए गए एक पत्र के अनुसार, सत्र 2025-26 के लिए मान्यता नवीनीकरण और नवीन मान्यता के आवेदन की अंतिम तिथि 7 फरवरी निर्धारित की गई है। इस निर्णय ने निजी स्कूल संचालकों में हलचल मचा दी है, क्योंकि कई स्कूल अभी तक आवश्यक दस्तावेज जमा नहीं कर पाए हैं। शिक्षा केंद्र के इस सख्त निर्देश के कारण संचालकों के समक्ष नई चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं।

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निजी स्कूल संचालकों की चिंता और विरोध की रणनीति

निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि मान्यता प्रक्रिया में कई तकनीकी कठिनाइयाँ आ रही हैं, जिसके कारण वे आवेदन प्रक्रिया को पूरा करने में असमर्थ हैं। विशेष रूप से, कई स्कूलों को किरायानामा पंजीकरण संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर संचालकों ने 4 फरवरी को भाजपा कार्यालय के सामने धरना देने और सरकार से इच्छामृत्यु की अनुमति मांगने की धमकी दी है। यह मामला राज्य में शिक्षा नीति से जुड़े गंभीर विवाद को जन्म दे सकता है।

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तकनीकी अड़चनें और पंजीकरण की जटिलताएँ

इस बार की मान्यता नवीनीकरण प्रक्रिया में राज्य शिक्षा केंद्र ने पंजीकृत किरायानामा की अनिवार्यता लागू की है, जिसे राजस्व पोर्टल संपदा 2.0 के माध्यम से तैयार करना आवश्यक है। लेकिन इस पोर्टल पर आने वाली तकनीकी समस्याओं के कारण कई स्कूल संचालक आवश्यक दस्तावेज तैयार करने में विफल रहे हैं। इसका सीधा असर मान्यता आवेदन प्रक्रिया पर पड़ रहा है और संचालक असमंजस में हैं कि वे समय पर अपनी मान्यता कैसे सुरक्षित कर पाएंगे।

बिना मान्यता के स्कूल संचालन की समस्याएँ

राज्य शिक्षा केंद्र ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई स्कूल समय सीमा के भीतर मान्यता नवीनीकरण या नवीन मान्यता के लिए आवेदन नहीं करता है, तो उसकी मान्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उन स्कूलों का संचालन अवैध हो जाएगा और उन्हें बंद करने के आदेश भी दिए जा सकते हैं। इससे न केवल स्कूल संचालकों बल्कि छात्रों और उनके अभिभावकों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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सरकार से राहत की मांग

निजी स्कूल संचालकों ने सरकार से अपील की है कि वे आवेदन प्रक्रिया की समय सीमा को बढ़ाएं और तकनीकी दिक्कतों को दूर करने के लिए कोई वैकल्पिक समाधान पेश करें। संचालकों का कहना है कि शिक्षा केंद्र की नीतियाँ निजी स्कूलों के लिए अव्यवहारिक सिद्ध हो रही हैं, और उन्हें सहूलियत देने के बजाय शिक्षा प्रणाली को जटिल बनाया जा रहा है।

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