
गोल्ड की कीमतों (Gold Prices) को लेकर जो नई भविष्यवाणी सामने आई है, उसने मिडिल क्लास के चेहरे पर उम्मीद की एक हल्की मुस्कान जरूर ला दी है। जहां बीते कुछ समय से सोने की कीमतें ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम के करीब पहुंचने की ओर इशारा कर रही थीं, वहीं अब कुछ विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में Gold की कीमतें ₹55,000 तक गिर सकती हैं। यानी मौजूदा पीक से करीब 40 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिल सकती है।
अभी के हालात: गोल्ड 91,000 के पार, दिल्ली में 94,000
फिलहाल देश के वायदा बाजार और सर्राफा बाजार दोनों ही जगहों पर सोने की कीमतें अपने उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रही हैं। MCX पर सोना ₹91,400 के पार निकल चुका है और दिल्ली के फिजिकल मार्केट में 24 कैरेट गोल्ड की कीमत ₹94,000 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई है। यानी निवेशकों को शानदार रिटर्न मिल रहा है, लेकिन आम उपभोक्ताओं के लिए यह एक आर्थिक बोझ जैसा बन गया है।
55,000 पर क्यों आएगा गोल्ड? जानिए बड़ी भविष्यवाणी
अब सवाल ये है कि जब सबकुछ तेजी की ओर इशारा कर रहा है, तो फिर गिरावट की बात कहां से आ रही है? इसका जवाब है अमेरिका स्थित मॉर्निंगस्टार की रिपोर्ट। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आने वाले वर्षों में गोल्ड की कीमतें 38 से 40 फीसदी तक गिर सकती हैं। मॉर्निंगस्टार के एनालिस्ट जॉन मिल्स का कहना है कि मौजूदा कीमत $3,080 प्रति औंस से गिरकर $1,820 प्रति औंस तक आ सकती है। इसका सीधा असर भारत में सोने के रेट्स पर भी पड़ेगा और कीमतें ₹55,000 तक आ सकती हैं।
डिमांड-सप्लाई में बदलाव बना कारण
इस गिरावट के पीछे कई अहम कारण गिनाए जा रहे हैं। सबसे पहला कारण है गोल्ड की बढ़ी हुई सप्लाई। 2024 की दूसरी तिमाही में माइनिंग प्रॉफिट $950 प्रति औंस तक पहुंच गया है और ग्लोबल गोल्ड रिजर्व 9 फीसदी बढ़कर 2,16,265 टन हो गया है। ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने उत्पादन में तेजी दिखाई है और रीसाइक्लिंग के जरिये सप्लाई भी बढ़ी है।
दूसरा कारण है डिमांड में गिरावट। पिछले साल जिन सेंट्रल बैंकों ने 1,045 टन सोना खरीदा था, अब उनमें से 71 फीसदी बैंक या तो होल्डिंग कम करने या यथावत रखने का प्लान बना रहे हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट इसका प्रमाण देती है।
बाजार का सैचुरेशन और प्राइस करेक्शन का संकेत
2024 में गोल्ड सेक्टर में मर्जर और अधिग्रहण (M&A) में 32 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। आमतौर पर ऐसा तब होता है जब बाजार अपनी ऊंचाई पर पहुंच चुका होता है और करेक्शन की संभावना बन जाती है। इसके साथ ही गोल्ड ETF में हालिया उछाल पिछले प्राइस करेक्शन के ट्रेंड से मेल खाता है।
वैश्विक संस्थाओं के मतभेद
जहां एक ओर मॉर्निंगस्टार जैसी एजेंसियां गोल्ड की कीमतों में भारी गिरावट की आशंका जता रही हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ प्रमुख फाइनेंशियल संस्थाएं इसके ठीक उलट राय रखती हैं। Bank of America का कहना है कि अगले दो वर्षों में गोल्ड $3,500 प्रति औंस तक जा सकता है। वहीं Goldman Sachs को उम्मीद है कि साल के अंत तक गोल्ड की कीमतें $3,300 प्रति औंस रहेंगी।
MCX पर हल्की गिरावट, लेकिन अभी भी हाई लेवल
गुरुवार को दोपहर 3:35 बजे MCX पर गोल्ड ₹90,470 पर ट्रेड कर रहा था, जो पिछले क्लोजिंग प्राइस ₹90,728 से थोड़ा कम था। हालांकि कारोबारी सत्र के दौरान यह ₹91,423 के उच्च स्तर तक भी पहुंच गया था। यानी सोना अभी भी हाई लेवल पर है, लेकिन हल्का प्राइस करेक्शन देखा जा रहा है।
क्या मिडिल क्लास के लिए आएगा सुनहरा मौका?
अगर जॉन मिल्स की भविष्यवाणी सटीक साबित होती है और गोल्ड ₹55,000 तक आता है, तो यह मिडिल क्लास के लिए एक सुनहरा मौका होगा। लंबे समय से महंगे सोने के कारण आम जनता इससे दूरी बना रही थी। लेकिन कीमतें गिरने पर शादी-ब्याह से लेकर इन्वेस्टमेंट तक में गोल्ड एक बार फिर से आकर्षण का केंद्र बन सकता है।