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ट्रैफिक सिग्नल पर 1 मिनट रुकने में गाड़ी कितना पेट्रोल पी जाती है? जानते हैं क्या

हर दिन ट्रैफिक सिग्नल पर रुकते हैं, लेकिन क्या कभी सोचा है कि आपकी गाड़ी उस एक मिनट में कितना पेट्रोल खा जाती है? ये छोटा-सा ठहराव हर महीने आपकी जेब से हजारों निकाल सकता है! जानिए इस चौंकाने वाले सच के पीछे की गणना और कैसे इससे बचा जा सकता है आगे पढ़ें!

By Saloni uniyal
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ट्रैफिक सिग्नल पर 1 मिनट रुकने में गाड़ी कितना पेट्रोल पी जाती है? जानते हैं क्या
ट्रैफिक सिग्नल पर 1 मिनट रुकने में गाड़ी कितना पेट्रोल पी जाती है? जानते हैं क्या

आज के समय में Car Fuel Consumption एक गंभीर विषय बन चुका है, खासकर तब जब पेट्रोल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं और ट्रैफिक का स्तर महानगरों में दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। आमतौर पर देखा गया है कि ट्रैफिक सिग्नल पर रुकने के दौरान अधिकतर लोग अपनी कार को बंद नहीं करते हैं। उनका मानना होता है कि गाड़ी को बार-बार स्टार्ट करने से अधिक पेट्रोल की खपत होती है। लेकिन क्या वाकई में ऐसा है? क्या आपकी गाड़ी ट्रैफिक सिग्नल पर एक मिनट में इतना पेट्रोल खर्च करती है कि उसे बंद करना घाटे का सौदा साबित हो? इस लेख में हम इसी सवाल का उत्तर ढूंढेंगे और जानेंगे कि Car Fuel Consumption किन कारकों पर निर्भर करती है।

गाड़ी बंद करने से वाकई होता है फ्यूल सेव?

अगर आपकी कार ट्रैफिक सिग्नल पर एक मिनट या उससे अधिक समय के लिए रुकती है, तो विशेषज्ञों की राय के अनुसार, गाड़ी को बंद कर देना पेट्रोल की बचत में सहायक होता है। रिसर्च के अनुसार, अगर आप एक सामान्य पेट्रोल कार को एक मिनट तक आइडल (Idle) रखते हैं तो वह औसतन 0.13 से 0.25 लीटर तक पेट्रोल की खपत कर सकती है। अब इसे अगर मौजूदा पेट्रोल की कीमतों (जो लगभग ₹100 प्रति लीटर मानी जाए) से गुणा करें, तो हर एक मिनट में ₹13 से ₹25 तक का खर्च केवल इंजन को चालू रखने में होता है। यानी एक दिन में कई बार ट्रैफिक सिग्नल पर रुकने से यह खर्च हजारों में जा सकता है।

Car Fuel Consumption किन बातों पर निर्भर करती है?

Car Fuel Consumption यानी आपकी कार कितना पेट्रोल खर्च करती है, यह केवल इंजन ऑन रखने से नहीं बल्कि कई और महत्वपूर्ण कारकों पर भी निर्भर करता है। इनमें सबसे प्रमुख है आपकी गाड़ी का मॉडल और इंजन की क्षमता। बड़ी और हैवी इंजन वाली गाड़ियां आइडलिंग के दौरान ज्यादा पेट्रोल पीती हैं। इसके अलावा गाड़ी का वजन, एयर कंडीशनर (AC) का इस्तेमाल, इंजन का तापमान, और ट्रैफिक कंडीशन जैसे फैक्टर भी फ्यूल कंजम्प्शन को प्रभावित करते हैं।

ट्रैफिक सिग्नल पर गाड़ी बंद करना क्यों है जरूरी?

आज के शहरी माहौल में जहां हर गली और चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल लगे हैं, वहां गाड़ी बंद करना एक समझदारी भरा निर्णय हो सकता है। अगर गाड़ी को एक मिनट या उससे अधिक समय के लिए चालू रखा जाता है तो वह ना केवल अधिक फ्यूल खपत करती है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाती है। ऐसे में Renewable Energy और ग्रीन ड्राइविंग को बढ़ावा देने के लिए यह जरूरी हो जाता है कि आप छोटी-छोटी आदतों में सुधार लाएं।

क्या बार-बार गाड़ी स्टार्ट करना नुकसानदेह है?

कई लोग सोचते हैं कि बार-बार गाड़ी स्टार्ट करने से इंजन पर दबाव पड़ता है और फ्यूल की खपत अधिक होती है। लेकिन आधुनिक कारों में यह समस्या पहले की तुलना में बेहद कम हो गई है। आजकल की ज्यादातर गाड़ियों में स्टार्ट-स्टॉप सिस्टम पहले से ही आता है, जो खुद-ब-खुद गाड़ी को ट्रैफिक सिग्नल पर बंद और फिर चलने पर स्टार्ट कर देता है। इससे ना केवल फ्यूल बचता है, बल्कि इंजन की लाइफ पर भी ज्यादा असर नहीं पड़ता।

क्या कहती है गाड़ी की मैनुअल?

हर गाड़ी के साथ एक मैनुअल आता है जिसमें गाड़ी की तकनीकी जानकारी के साथ-साथ फ्यूल कंजम्प्शन की अनुमानित जानकारी दी जाती है। यदि आप जानना चाहते हैं कि आपकी गाड़ी आइडलिंग के दौरान कितना पेट्रोल खपत करती है, तो सबसे पहले उसकी मैनुअल को चेक करें। इसके साथ ही सर्विसिंग का समय पर होना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि नियमित सर्विस से इंजन की परफॉर्मेंस बेहतर होती है और फ्यूल एफिशिएंसी में सुधार आता है।

कैसे करें फ्यूल की बचत?

फ्यूल की बचत के लिए सबसे जरूरी है स्मार्ट ड्राइविंग। यात्रा शुरू करने से पहले रास्ते की योजना बना लें ताकि ट्रैफिक जाम से बचा जा सके। साथ ही अगर पता हो कि किसी सिग्नल पर 60 सेकंड या उससे ज्यादा रुकना है, तो गाड़ी बंद कर देना एक बेहतर विकल्प होगा। इसके अलावा, AC का प्रयोग तभी करें जब अत्यावश्यक हो और टायर प्रेशर सही रखें।

पर्यावरण पर क्या असर पड़ता है?

Car Fuel Consumption केवल आपके खर्च को ही नहीं बढ़ाता बल्कि यह पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है। जितना अधिक पेट्रोल बर्न होगा, उतनी अधिक मात्रा में CO₂ और अन्य हानिकारक गैसें वातावरण में मिलेंगी। ऐसे में ईंधन की खपत कम करके आप ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों में अपनी एक छोटी सी भूमिका निभा सकते हैं।

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