
राजस्थान में खाद्य सुरक्षा योजना-Food Security Scheme के तहत हर माह गरीब और जरूरतमंद परिवारों को फ्री गेहूं (FREE Wheat) का वितरण किया जाता है, लेकिन इस योजना के संचालन में गंभीर खामियां सामने आई हैं। विभागीय पोर्टल की पड़ताल में यह खुलासा हुआ है कि साल 2024 में करीब 4.69 लाख क्विंटल गेहूं का उठाव नहीं हो सका और वह लैप्स हो गया। यह गेहूं उन 80 हजार लाभार्थियों को मिल सकता था जो योजना के दायरे में आते हैं।
खाद्य सुरक्षा योजना में बड़ी लापरवाही, हर माह गेहूं नहीं उठा पाए डिपो
Food Security Scheme के तहत हर महीने राशन डिपो को आवंटित गेहूं तय समय सीमा के भीतर उठाना होता है, लेकिन कई जिलों में डिपो समय पर गेहूं नहीं उठा सके। परिणामस्वरूप, हर महीने हजारों क्विंटल और साल भर में 4 लाख 69 हजार क्विंटल गेहूं लैप्स हो गया। इसका खुलासा विभागीय पोर्टल के आंकड़ों से हुआ है, जबकि विधानसभा में पेश किए गए आंकड़े इस सच्चाई से बिल्कुल अलग हैं।
विधानसभा में मंत्री का दावा: गेहूं लैप्स नहीं हुआ
इस मुद्दे को विधानसभा में कोटा विधायक और पूर्व मंत्री शांति धारीवाल ने उठाया। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि वर्ष 2024 (1 जनवरी से 31 दिसंबर तक) के दौरान खाद्य सुरक्षा योजना के तहत कितना गेहूं लैप्स हुआ। इस पर खाद्य मंत्री सुमित गोदारा ने जवाब में यह बताया कि किसी भी माह में गेहूं लैप्स नहीं हुआ। विभाग की ओर से जो दस्तावेज विधानसभा में पेश किए गए, उसमें हर महीने के लिए लैप्स की मात्रा शून्य (0) दिखाई गई है।
विभागीय दस्तावेज बनाम पोर्टल डेटा: सच्चाई पर उठे सवाल
विधानसभा में दिए गए दस्तावेजों के अनुसार, उठाव और आवंटन के बाद किसी भी महीने में गेहूं लैप्स नहीं हुआ, लेकिन विभागीय पोर्टल की सच्चाई इससे अलग है। पोर्टल के आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि कुल 4.69 लाख क्विंटल गेहूं डिपो से समय पर नहीं उठाया गया और यह खाद्य सुरक्षा योजना के तहत लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाया।
जयपुर में ही 24 हजार क्विंटल से अधिक FREE गेहूं रह गया बिना उठाव के
राजधानी जयपुर की स्थिति भी चिंताजनक रही। यहां 24 हजार 225 क्विंटल गेहूं का उठाव नहीं हो सका और यह गेहूं लैप्स हो गया। जिले की क्रय विक्रय सहकारी समितियां गेहूं का समय पर उठाव करने में विफल रहीं। पूरे साल (जनवरी 2024 से दिसंबर 2024) के दौरान जयपुर समेत अन्य जिलों में गेहूं का परिवहन प्रबंधन चरमराया रहा, जिससे यह स्थिति बनी।
खाद्य सुरक्षा योजना के 80 हजार लाभार्थियों को होता लाभ
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह गेहूं सही समय पर उठाकर बांटा जाता, तो योजना के तहत चयनित 80 हजार लाभार्थियों को इसका सीधा लाभ मिलता। लाखों क्विंटल गेहूं का लैप्स होना यह दर्शाता है कि योजना के क्रियान्वयन में बड़ी लापरवाही बरती गई है।
प्रशासनिक चूक या जानबूझ कर गड़बड़ी?
यह सवाल अब चर्चा में है कि यह महज प्रशासनिक चूक थी या फिर इस पूरे मामले में जानबूझ कर कोई गड़बड़ी की गई है। कई जिलों से यह भी खबरें सामने आई हैं कि कुछ राशन डीलरों द्वारा गेहूं का गायब होना या गैरकानूनी तरीके से बेच देना जैसे मामले सामने आए हैं। डोलपुर में एक राशन डीलर पर 461 क्विंटल फ्री गेहूं गायब करने का आरोप लगा है।
विभाग की जवाबदेही तय करने की ज़रूरत
अब सवाल यह है कि जब विभागीय पोर्टल पर गेहूं लैप्स होने के स्पष्ट आंकड़े मौजूद हैं, तो विधानसभा में गलत जानकारी क्यों दी गई? क्या विभाग के अधिकारी जानबूझकर इस सच्चाई को छुपा रहे हैं? क्या इसका उद्देश्य सरकार की छवि को बेहतर दिखाना है? इन सभी सवालों की गहराई से जांच होनी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
गेहूं उठाव और वितरण की व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग
विशेषज्ञों और जनप्रतिनिधियों की मांग है कि खाद्य सुरक्षा योजना के तहत उठाव और वितरण प्रणाली को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाए। साथ ही संबंधित अधिकारियों और समितियों को समयबद्ध रूप से गेहूं उठाव के लिए बाध्य किया जाए, ताकि आगे इस तरह की लापरवाही न हो।