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Fixed Deposit पर कटता है TDS? जानिए टैक्स बचाने की ये 3 आसान ट्रिक्स, FD करते समय जरूर अपनाएं

Fixed Deposit में निवेश तो कर लिया, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उस पर TDS भी कट सकता है? कहीं आपकी कमाई पर टैक्स की कैंची न चल जाए! घबराइए नहीं हम बता रहे हैं ऐसे 3 आसान ट्रिक्स, जिन्हें अपनाकर आप टैक्स बचा सकते हैं और ब्याज का पूरा फायदा उठा सकते हैं।

By Saloni uniyal
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Fixed Deposit पर कटता है TDS? जानिए टैक्स बचाने की ये 3 आसान ट्रिक्स, FD करते समय जरूर अपनाएं
Fixed Deposit पर कटता है TDS? जानिए टैक्स बचाने की ये 3 आसान ट्रिक्स, FD करते समय जरूर अपनाएं

Fixed Deposit यानी FD को आमतौर पर निवेश का एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है। यह उन लोगों के लिए उपयुक्त होता है जो कम जोखिम में स्थिर और गारंटीड रिटर्न चाहते हैं। बैंक, पोस्ट ऑफिस और कई नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (NBFCs) एफडी की सुविधा देती हैं। इसमें निवेश करने पर एक तय समय अवधि के लिए ब्याज मिलता है, जो मार्केट के उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होता।

लेकिन निवेशक अक्सर इस भ्रम में रहते हैं कि FD से मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है, जबकि सच्चाई यह है कि Fixed Deposit पर मिलने वाला Interest पूरी तरह से टैक्सेबल होता है। इसे आपकी सालाना आय (Annual Income) में जोड़ा जाता है और उसी के अनुसार इनकम टैक्स (Income Tax) लगाया जाता है।

FD Interest पर कितना लगता है टैक्स?

FD से मिलने वाला ब्याज आपकी कुल सालाना आय में जोड़ा जाता है और आयकर स्लैब (Income Tax Slab) के अनुसार उस पर टैक्स लगाया जाता है। इसका मतलब ये है कि यदि आपकी सालाना आय टैक्सेबल लिमिट से ऊपर है, तो FD पर मिलने वाला ब्याज भी उस टैक्स के दायरे में आएगा।

वर्तमान नियमों के अनुसार, यदि एक फाइनेंशियल ईयर में किसी व्यक्ति को FD से मिलने वाला ब्याज ₹40,000 से ज्यादा है, तो उस पर टैक्स कटता है। वहीं, सीनियर सिटीजन के लिए यह सीमा ₹50,000 रखी गई है।

यह कटौती टीडीएस (TDS – Tax Deducted at Source) के रूप में होती है। बैंक या वित्तीय संस्था ब्याज की राशि पर 10% की दर से टीडीएस काट लेती है, यदि आपने PAN जमा किया हुआ है। अगर PAN उपलब्ध नहीं कराया गया है, तो यह दर 20% तक हो सकती है।

कब और कैसे कटता है TDS?

जब भी बैंक या एनबीएफसी सालाना ₹40,000 (सीनियर सिटीजन के लिए ₹50,000) से ज्यादा का ब्याज देता है, तब वह TDS काट लेता है। यह TDS हर साल उस समय काटा जाता है जब ब्याज आपके खाते में जोड़ा जाता है, भले ही आपने FD का मेच्योरिटी अमाउंट निकाला न हो।

उदाहरण के लिए, अगर आपने पांच साल की FD की है और हर साल ब्याज ₹45,000 है, तो हर साल TDS कटेगा, भले ही आपने फंड निकाला न हो।

FD के ब्याज पर टैक्स से कैसे बचा जा सकता है?

हालांकि FD Interest टैक्सेबल होता है, फिर भी कुछ तरीके ऐसे हैं जिससे आप टैक्स देनदारी को कम कर सकते हैं या पूरी तरह बच सकते हैं।

अगर आपकी कुल सालाना आय टैक्सेबल लिमिट (₹2.5 लाख सामान्य नागरिक, ₹3 लाख सीनियर सिटीजन) से कम है, तो आप Form 15G (सामान्य नागरिक) या Form 15H (सीनियर सिटीजन) भर सकते हैं। ये फॉर्म भरकर आप बैंक को यह सूचित करते हैं कि आपकी आय टैक्स के दायरे में नहीं आती, इसलिए आपके ब्याज पर TDS न काटा जाए।

इसके अलावा, टैक्स बचाने के लिए आप 5 साल की टैक्स सेविंग FD में निवेश कर सकते हैं, जो कि सेक्शन 80C के तहत ₹1.5 लाख तक के निवेश पर टैक्स छूट देती है। हालांकि, ध्यान दें कि इसमें मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल ही रहेगा, बस निवेश की राशि पर छूट मिलेगी।

निवेश करते समय रखें इन बातों का ध्यान

Fixed Deposit में निवेश करते समय यह ध्यान रखें कि भले ही यह एक सुरक्षित निवेश विकल्प है, लेकिन इसका रिटर्न सीमित होता है और उस पर टैक्स भी देना होता है। यदि आप टैक्स बचाने की योजना बना रहे हैं, तो FD के अलावा PPF (Public Provident Fund), ELSS (Equity Linked Saving Scheme), या NPS (National Pension System) जैसे विकल्पों पर भी विचार कर सकते हैं।

FD से मिलने वाला ब्याज जितना ज्यादा होगा, आपकी टैक्स देनदारी भी उतनी ही बढ़ेगी, खासकर अगर आप उच्च टैक्स स्लैब (20% या 30%) में आते हैं। इसलिए निवेश से पहले अपने टैक्स प्लानर या फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें।

डिजिटल FD से जुड़े कुछ नए ट्रेंड्स

वर्तमान समय में अधिकतर बैंक और फिनटेक कंपनियां ऑनलाइन FD खोलने की सुविधा देती हैं। इसमें आपको पेपरवर्क कम करना होता है और ब्याज दरें भी कुछ मामलों में बेहतर हो सकती हैं। इसके अलावा, कुछ बैंक FD पर विशेष रेट ऑफर भी करते हैं अगर आप डिजिटल मोड से निवेश करते हैं।

हालांकि, डिजिटल FD पर भी वही टैक्स नियम लागू होते हैं जो सामान्य FD पर होते हैं। इसलिए टैक्स प्लानिंग डिजिटल निवेश में भी उतनी ही जरूरी है।

टैक्स को लेकर रहें सतर्क, तभी मिलेगा FD का पूरा फायदा

FD से मिलने वाला ब्याज जितना भी हो, आपको उसे अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाना अनिवार्य है। टैक्स विभाग FD ब्याज की जानकारी बैंकों से प्राप्त कर लेता है, इसलिए इसे छिपाना रिस्की हो सकता है।

इसलिए समझदारी इसी में है कि आप FD में निवेश के साथ-साथ टैक्स प्लानिंग भी करें। इससे आपको भविष्य में किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा और आप अपने निवेश से अधिकतम लाभ उठा सकेंगे।

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