
EPFO Online Claim Settlement Rule 2025 के तहत ईपीएफओ-EPFO ने हाल ही में दो बड़े बदलाव किए हैं, जिनसे करोड़ों ईपीएफ सदस्य और नियोक्ता सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। ये दोनों बदलाव ऑनलाइन क्लेम प्रक्रिया को तेज़, सरल और पेपरलेस बनाने के उद्देश्य से किए गए हैं। इन बदलावों में पहला है— बैंक डिटेल्स से जुड़े डॉक्युमेंट्स की आवश्यकता खत्म करना और दूसरा है— UAN के साथ बैंक अकाउंट सीडिंग के लिए एम्प्लॉयर अप्रूवल की शर्त हटाना।
अब चेक लीफ या पासबुक की इमेज अपलोड करने की आवश्यकता नहीं
EPFO ने ऑनलाइन क्लेम करते समय बैंक खाते के प्रमाण के रूप में चेक लीफ या अटेस्टेड पासबुक की इमेज अपलोड करने की अनिवार्यता को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। यह व्यवस्था पहले केवल पायलट प्रोजेक्ट के तहत KYC-अद्यतित सदस्यों के लिए शुरू की गई थी, लेकिन 28 मई 2024 से अब तक इसे 1.7 करोड़ से अधिक ईपीएफ सदस्यों को लाभ पहुंचाते हुए देखा गया।
अब यह सुविधा सभी ईपीएफओ सदस्यों के लिए उपलब्ध कर दी गई है। जब कोई सदस्य अपने यूनिवर्सल अकाउंट नंबर-UAN से बैंक खाता लिंक करता है, तो उस समय बैंक खाते में दर्ज नाम की पुष्टि पहले से ही हो जाती है। इसीलिए अतिरिक्त दस्तावेज़ की आवश्यकता अब नहीं रह गई है।
EPFO का मानना है कि इस बदलाव से करीब 6 करोड़ सदस्य तुरंत लाभान्वित होंगे। इससे न केवल खराब या अपठनीय इमेज अपलोड करने की वजह से क्लेम रिजेक्शन की समस्या खत्म होगी, बल्कि संबंधित शिकायतों की संख्या में भी भारी कमी आएगी।
यह भी पढें- अब चुटकियों में निकलेगा PF का पैसा! EPFO ने किया प्रोसेस सुपर आसान – जानें पूरा तरीका
अब बैंक अकाउंट सीडिंग के लिए एम्प्लॉयर अप्रूवल की जरूरत नहीं
EPFO ने दूसरा बड़ा बदलाव UAN के साथ बैंक अकाउंट सीडिंग की प्रक्रिया को लेकर किया है। पहले यह जरूरी था कि बैंक द्वारा वेरिफिकेशन के बाद नियोक्ता यानी एम्प्लॉयर डिजिटल सिग्नेचर या ई-साइन के माध्यम से अंतिम अप्रूवल दे।
वर्तमान में हर ईपीएफ सदस्य को अपना बैंक खाता UAN से लिंक करना अनिवार्य है ताकि पीएफ क्लेम सीधे उसी खाते में ट्रांसफर हो सके। वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक 1.3 करोड़ से ज्यादा सदस्यों ने अपने बैंक अकाउंट सीड कराने के लिए अनुरोध भेजे हैं।
हालांकि, बैंक आमतौर पर 3 दिनों में वेरिफिकेशन कर देता है, लेकिन एम्प्लॉयर को औसतन 13 दिन लग जाते हैं प्रक्रिया को अप्रूव करने में। इससे न केवल विलंब होता है बल्कि एम्प्लॉयर पर काम का अतिरिक्त बोझ भी पड़ता है।
EPFO ने विश्लेषण कर पाया कि यह एम्प्लॉयर अप्रूवल स्टेप केवल देरी का कारण बनता है, और इसका कोई अतिरिक्त मूल्य नहीं है। इसी कारण से अब इस अप्रूवल को पूरी तरह से हटा दिया गया है, जिससे बैंक अकाउंट सीडिंग प्रक्रिया अब अधिक सरल और तेज हो गई है।
पहले से लिंक्ड बैंक अकाउंट को बदलने की प्रक्रिया क्या है?
EPFO ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो सदस्य अपने पहले से लिंक्ड बैंक खाते को बदलना चाहते हैं, वे भी इस नई सरल प्रक्रिया का लाभ उठा सकते हैं।
इसके लिए सदस्य को केवल अपना नया बैंक खाता नंबर और IFSC कोड दर्ज करना होगा। यह जानकारी आधार-आधारित ओटीपी के माध्यम से प्रमाणित की जाएगी।
ईपीएफओ का कहना है कि रोज़ाना करीब 36,000 सदस्य बैंक अकाउंट सीडिंग के लिए रिक्वेस्ट भेजते हैं। ऐसे में नई व्यवस्था न सिर्फ नए अकाउंट को लिंक करने वालों के लिए बल्कि पुराने खाते को बदलने वालों के लिए भी उपयोगी साबित होगी।
यह बदलाव क्यों जरूरी था?
EPFO के अनुसार, क्लेम रिजेक्शन के प्रमुख कारणों में से एक था— अपठनीय या खराब क्वालिटी की चेक लीफ या पासबुक की इमेज। साथ ही, एम्प्लॉयर अप्रूवल की वजह से प्रक्रिया में देरी भी एक बड़ा मसला था।
अब जब बैंक स्वयं वेरिफिकेशन कर देता है और सिस्टम में KYC पहले से मौजूद है, तो इन अतिरिक्त चरणों की आवश्यकता नहीं रह जाती। इससे न केवल प्रक्रिया तेज़ होगी, बल्कि कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों का समय और श्रम बचेगा।
EPFO का यह कदम डिजिटल इंडिया और ई-गवर्नेंस की दिशा में एक और मजबूत कदम माना जा रहा है।
50-शब्दों का सारांश
EPFO Online Claim Settlement Rule 2025 के तहत अब पीएफ क्लेम के लिए चेक लीफ या पासबुक की इमेज अपलोड करना जरूरी नहीं होगा और न ही बैंक अकाउंट सीडिंग के लिए एम्प्लॉयर की मंजूरी की जरूरत होगी। आधार OTP से नए अकाउंट लिंक करना और पुराने को बदलना अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है।