
Employees’ Provident Fund Organisation (EPFO) के तहत न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। फिलहाल, Employees’ Pension Scheme (EPS) के तहत न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये है, जिसे सितंबर 2014 में केंद्र सरकार ने फिक्स किया था। पेंशनभोगियों का मानना है कि मौजूदा महंगाई और बढ़ते मेडिकल खर्चों को देखते हुए यह राशि अपर्याप्त है।
पेंशनभोगी और सामाजिक कार्यकर्ता न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 7,500 रुपये करने और इसके साथ महंगाई भत्ता (DA) जोड़ने की मांग कर रहे हैं। EPS-95 आंदोलन समिति और EPS-95 राष्ट्रीय आंदोलन समिति लगातार सरकार पर दबाव बना रही हैं।
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EPS-95 आंदोलन समिति की मांग और केंद्रीय श्रम मंत्री का आश्वासन
EPS-95 आंदोलन समिति (EPS-95 Agitation Committee) ने हाल ही में केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया से मुलाकात की। समिति ने न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी, सेवानिवृत्त कर्मचारियों और उनके जीवनसाथियों के लिए मुफ्त चिकित्सा सुविधाओं का प्रावधान और उच्च पेंशन लाभ के लिए आवेदनों में सुधार की मांग की है।
केंद्रीय मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि इन मुद्दों पर समय पर कार्रवाई की जाएगी। EPS-95 राष्ट्रीय आंदोलन समिति के अनुसार, केंद्र के सकारात्मक रुख के बाद उम्मीद जगी है कि EPS-95 के तहत न्यूनतम पेंशन में 10 सालों के बाद संशोधन संभव हो सकता है।
बजट 2025 में न्यूनतम पेंशन बढ़ोतरी की उम्मीद
EPS-95 सेवानिवृत्त कर्मचारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर न्यूनतम पेंशन को 7,500 रुपये प्रति माह करने और इसके साथ महंगाई भत्ता (DA) जोड़ने की मांग की है।
वित्त मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। पेंशनभोगी लगातार पिछले 7-8 वर्षों से पेंशन में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि 1000 रुपये की न्यूनतम पेंशन मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में बेहद कम है।
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EPFO Central Board of Trustees (CBT) की बैठक में होगा बड़ा फैसला?
EPFO के Central Board of Trustees (CBT) की बैठक 28 फरवरी 2025 को होने वाली है। इस बैठक में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर तय की जाएगी।
हालांकि, इस बैठक में ब्याज दर पर चर्चा मुख्य विषय होगा, लेकिन न्यूनतम पेंशन बढ़ोतरी का मुद्दा भी अहम हो सकता है। पेंशनभोगियों की लंबित मांगों और सामाजिक दबाव को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी पर भी विचार हो सकता है।
EPFO ब्याज दर में संभावित बदलाव
वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए EPFO ने ब्याज दर को 8.15% से संशोधित करते हुए 8.25% तय किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए EPFO ब्याज दर को 8% से 8.25% के बीच रख सकता है।
CBT की आगामी बैठक में ब्याज दर में कोई बदलाव होगा या नहीं, यह निर्णय लिया जाएगा। इसके अलावा, सरकार EPFO खाताधारकों के लिए स्थिर ब्याज दर योजना लागू करने पर भी विचार कर रही है, ताकि बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद उन्हें निश्चित रिटर्न मिल सके।
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Interest Stabilization Fund बनाने की योजना पर विचार
सरकार EPFO के लिए “Interest Stabilization Reserve Fund” बनाने की योजना पर भी विचार कर रही है। इसका उद्देश्य यह है कि खाताधारकों को निवेश प्रदर्शन के बावजूद स्थिर ब्याज दर मिलती रहे।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय इस प्रस्ताव की व्यवहार्यता (feasibility) का अध्ययन कर रहा है। यदि यह योजना लागू होती है, तो EPFO खाताधारकों को बाजार के उतार-चढ़ाव का असर नहीं झेलना पड़ेगा।
पेंशनभोगियों की बढ़ती मांग और सामाजिक दबाव
लंबे समय से EPF में योगदान दे रहे पेंशनभोगी मौजूदा पेंशन राशि को अपर्याप्त बता रहे हैं। उनका कहना है कि मौजूदा महंगाई और बढ़ते मेडिकल खर्चों को देखते हुए 1,000 रुपये प्रति माह की पेंशन बहुत कम है।
सरकार पर इस लंबित मांग को पूरा करने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। EPS-95 राष्ट्रीय आंदोलन समिति ने यह स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे अपने आंदोलन को जारी रखेंगे।
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क्या 2025 में बढ़ेगी न्यूनतम पेंशन?
EPFO के तहत न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी की संभावना पर सभी की निगाहें 28 फरवरी 2025 को होने वाली CBT बैठक पर हैं। अगर इस बैठक में न्यूनतम पेंशन बढ़ाने का फैसला लिया जाता है, तो यह देशभर के 78 लाख से ज्यादा पेंशनभोगियों के लिए एक बड़ी राहत होगी।
सरकार के सकारात्मक रुख और केंद्रीय श्रम मंत्री के आश्वासन के बाद उम्मीद है कि EPS-95 के तहत न्यूनतम पेंशन में 10 सालों के बाद आखिरकार संशोधन हो सकता है।