
हिमाचल प्रदेश सरकार इन दिनों पेंशन नियमों में बड़े बदलाव पर गंभीरता से विचार कर रही है। प्रस्तावित बदलावों के अनुसार, अब 10 वर्ष की न्यूनतम सेवा पर पेंशन की पात्रता और 25 वर्ष की सेवा पर पूर्ण पेंशन प्रदान करने का प्रावधान तय किया जा सकता है। इस दिशा में एक कैबिनेट सब-कमेटी की रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसमें इस संशोधन की सिफारिश की गई है। अगर यह प्रस्ताव लागू हो जाता है, तो राज्य सरकार के वे कर्मचारी, जिन्होंने 10 से 25 वर्ष तक की सेवा पूरी की है, उन्हें प्रो-रेटा (Pro-Rata) आधार पर पेंशन का लाभ दिया जाएगा।
पेंशन नियमों में पहले भी हुए हैं अहम बदलाव
यह पहला मौका नहीं है जब हिमाचल प्रदेश में पेंशन के नियमों में बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं। इससे पहले, 2006 से पहले तक राज्य में पूर्ण पेंशन प्राप्त करने के लिए 33 वर्ष की सेवा अनिवार्य थी। बाद में 2011 में इस अवधि को घटाकर 10 वर्ष कर दिया गया। हालांकि, उस बदलाव के बावजूद पेंशन की गणना में सेवा अवधि का पूरा मूल्यांकन किया जाता रहा है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि नया प्रस्ताव 10 वर्ष की न्यूनतम सेवा की मौजूदा पात्रता को बरकरार रखेगा या उसमें भी कोई परिवर्तन किया जाएगा। वर्तमान स्थिति में, हिमाचल प्रदेश सरकार के कर्मचारी तभी पेंशन (Pension) के लिए पात्र माने जाते हैं जब उन्होंने कम से कम 10 वर्ष की नियमित सेवा पूरी की हो। वहीं, अनुबंधित सेवा (Contractual Service) को अब भी पेंशन के लिए मान्य नहीं माना जाता।
मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल से मिलेगी अंतिम मंजूरी
यह प्रस्ताव इस समय विचाराधीन स्थिति में है और इसकी अंतिम मंजूरी मुख्यमंत्री और राज्य मंत्रिमंडल द्वारा दी जानी है। ऐसे में सरकारी कर्मचारियों और पेंशन योजनाओं से जुड़े सभी हितधारकों की नजरें अब मुख्यमंत्री कार्यालय पर टिकी हुई हैं। यदि प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है, तो इससे हजारों कर्मचारियों को लाभ हो सकता है, विशेषकर वे जो 10 से 25 वर्ष की सेवा के बीच कहीं आते हैं।
यह भी पढें- सरकारी नौकरी से जल्दी रिटायरमेंट! 3 साल घटाई गई सेवा अवधि – अफसरों में मचा हड़कंप
प्रो-रेटा आधार पर पेंशन का मतलब है कि कर्मचारी को उसकी सेवा के अनुपात में पेंशन दी जाएगी, यानी यदि किसी ने 25 वर्ष से कम लेकिन 10 वर्ष से अधिक सेवा की है, तो उसे पूर्ण पेंशन का आंशिक हिस्सा मिलेगा। यह प्रणाली अधिक समावेशी (inclusive) मानी जा रही है और इससे सेवानिवृत्ति के बाद की आर्थिक सुरक्षा में सुधार की उम्मीद की जा रही है।
1 अप्रैल से 30 जून 2025 तक GPF पर 7.1% ब्याज तय
इस बीच, सरकार ने सामान्य भविष्य निधि (GPF) के संबंध में भी एक अहम फैसला लिया है। 1 अप्रैल 2025 से 30 जून 2025 तक की अवधि के लिए GPF पर 7.1% की ब्याज दर निर्धारित की गई है। यह ब्याज दर वित्त मंत्रालय द्वारा अधिसूचित की गई है और सभी संबंधित विभागों को इस बाबत जानकारी दे दी गई है।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) को फिर से लागू किया है, जिसके बाद नए GPF खाते खोले जा रहे हैं। यह कदम उन कर्मचारियों के लिए अहम है जो NPS से OPS में स्विच कर रहे हैं या फिर नई सेवा में शामिल हुए हैं।
कर्मचारियों की उम्मीदें और संभावित प्रभाव
इन प्रस्तावित परिवर्तनों से कर्मचारियों में आशा की नई किरण दिखाई दे रही है। खासकर वे कर्मचारी जो नियमित सेवा में 10 से 25 वर्ष के बीच की अवधि तक सेवाएं दे चुके हैं, उन्हें अब पेंशन से बाहर नहीं रखा जाएगा।
इससे एक ओर जहां कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद की वित्तीय स्थिरता मिलेगी, वहीं दूसरी ओर सरकार के लिए वित्तीय भार का नया संतुलन भी जरूरी हो जाएगा। इसलिए ये निर्णय न केवल कर्मचारियों के लिए बल्कि सरकारी खजाने के लिहाज से भी रणनीतिक महत्व का है।
वहीं, GPF की ब्याज दर तय होने से उन कर्मचारियों को राहत मिलेगी जो अपनी बचत को सुरक्षित और लाभकारी माध्यम में रखना चाहते हैं। इससे सरकार द्वारा संचालित सेविंग स्कीम्स में भरोसा भी बना रहेगा।
यह भी देखें- Income Tax Alert: कैश लेन-देन की लिमिट पार तो आएगा नोटिस! जानें कितने रुपये तक है सुरक्षित सीमा
केंद्र के साथ तालमेल भी अहम
हिमाचल प्रदेश के इन प्रस्तावों को लागू करने से पहले यह देखना जरूरी होगा कि ये केंद्र सरकार के नियमों और अन्य राज्यों के पेंशन मॉडल से कितनी सामंजस्यता रखते हैं। यदि राज्य अपने पेंशन सिस्टम को ज्यादा लचीला और लाभकारी बना पाता है, तो इससे अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल खड़ा हो सकता है।
वर्तमान में कई राज्य ओल्ड पेंशन स्कीम को दोबारा लागू करने की मांग कर रहे हैं, और ऐसे में हिमाचल का यह निर्णय राष्ट्रीय पेंशन विमर्श में एक अहम भूमिका निभा सकता है।