
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बिजली दरों में 30% तक की वृद्धि का प्रस्ताव राज्य विद्युत नियामक आयोग को भेजा है। यदि यह प्रस्ताव मंजूरी पाता है, तो प्रदेश के उपभोक्ताओं को बिजली के लिए अधिक भुगतान करना पड़ेगा। UPPCL का दावा है कि पिछले पांच वर्षों में बिजली दरों में कोई वृद्धि नहीं हुई है, जिससे राजस्व घाटा 12.4% तक बढ़ गया है।
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₹19,600 करोड़ का राजस्व घाटा: UPPCL की आर्थिक स्थिति संकट में
UPPCL के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 में केवल 88% बिलों की वसूली हो पाई, जिसके परिणामस्वरूप राजस्व घाटा ₹13,542 करोड़ तक पहुंच गया। वित्तीय वर्ष 2025-26 में यह घाटा ₹19,600 करोड़ तक बढ़ने की संभावना है, भले ही सरकार द्वारा सब्सिडी प्रदान की जा रही हो।
बकाया बिल और तकनीकी खामियां: संकट के अन्य कारण
राज्य में लगभग 54.24 लाख उपभोक्ताओं ने कभी भी बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है, जिन पर कुल ₹36,353 करोड़ का बकाया है। इसके अलावा, 78.65 लाख उपभोक्ताओं ने पिछले छह महीनों में बिल नहीं चुकाया है, जिन पर ₹36,117 करोड़ का बकाया है। राज्य में लगभग 10% ट्रांसफॉर्मर भी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, जिससे बिजली आपूर्ति में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।
उपभोक्ता संगठनों का विरोध: निजीकरण और महंगी बिजली पर सवाल
UPPCL के प्रस्तावित दर वृद्धि के खिलाफ उपभोक्ता संगठनों और ऊर्जा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। उनका आरोप है कि सरकार निजी बिजली कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए आम जनता पर वित्तीय बोझ डाल रही है। संघर्ष समिति और UPPCL के बीच घाटे के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जिससे विवाद और गहराता जा रहा है।
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बिजली की उपलब्धता: मांग से अधिक आपूर्ति
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025-26 में उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग 33,849 मेगावाट होगी, जबकि उपलब्धता 38,240 मेगावाट रहने की संभावना है, जिससे 13% की अधिशेष स्थिति बनेगी। इससे संकेत मिलता है कि राज्य में बिजली की आपूर्ति मांग से अधिक होगी।