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क्या ई-पासपोर्ट सभी के लिए जरूरी है? मौजूदा पासपोर्ट धारकों के लिए क्या है नया नियम

भारत सरकार ने 2025 में पूरे देश में ई-पासपोर्ट सेवा को अनिवार्य रूप से लागू कर दिया है, लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि अब आपका पुराना पासपोर्ट अमान्य हो गया है? जानें मौजूदा पासपोर्ट धारकों को क्या करना होगा, किसे मिलेगा नया ई-पासपोर्ट और इससे जुड़ी पूरी प्रक्रिया और फायदे की जानकारी।

By Saloni uniyal
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क्या ई-पासपोर्ट सभी के लिए जरूरी है? मौजूदा पासपोर्ट धारकों के लिए क्या है नया नियम
क्या ई-पासपोर्ट सभी के लिए जरूरी है? मौजूदा पासपोर्ट धारकों के लिए क्या है नया नियम

ई-पासपोर्ट को लेकर कई नागरिकों के मन में भ्रम है। यह समझना जरूरी है कि यह महज एक डिजिटलीकृत पासपोर्ट नहीं, बल्कि एक उन्नत सुरक्षा तकनीक से लैस सरकारी दस्तावेज है।

इसमें लगा हुआ इलेक्ट्रॉनिक चिप पासपोर्ट के पहले पन्ने के भीतर लगाया जाता है और यह ICAO (International Civil Aviation Organization) के अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित होता है। इस चिप में आपके बायोमेट्रिक और बायोग्राफिक डेटा को डिजिटल रूप से स्टोर किया जाता है, जो फिजिकल जानकारी से मेल खाता है।

क्या ई-पासपोर्ट है अनिवार्य?

कानूनी रूप से ई-पासपोर्ट को मौजूदा पासपोर्ट धारकों के लिए अनिवार्य नहीं किया गया है। इसका मतलब यह है कि जिनके पास पारंपरिक पासपोर्ट है, वे उसकी वैधता अवधि तक उसका उपयोग कर सकते हैं।

लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि 2025 के बाद जो भी नया पासपोर्ट या रिन्यू किया गया पासपोर्ट जारी किया जाएगा, वह ई-पासपोर्ट ही होगा। यानी यह सेवा अब सरकार द्वारा ‘डिफॉल्ट’ के रूप में अपनाई जा चुकी है।

इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले 5 से 10 वर्षों में भारत की अधिकांश जनता के पास ई-पासपोर्ट ही होगा, और पारंपरिक पासपोर्ट पूरी तरह से अप्रचलित हो जाएंगे।

भारत सरकार का विजन और वैश्विक स्तर पर प्रभाव

ई-पासपोर्ट के माध्यम से भारत सरकार ने यह संकेत दिया है कि वह नागरिक सेवाओं को वैश्विक मानकों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह सिर्फ एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है।

ई-पासपोर्ट से भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि और मजबूत होती है क्योंकि इससे भारतीय नागरिकों का वेरिफिकेशन अन्य देशों में तेजी से और विश्वसनीय रूप से हो पाता है।

इसे एक तरह से भारत की डिजिटल डिप्लोमेसी की दिशा में उठाया गया कदम भी माना जा सकता है, जहां सुरक्षा, सुविधा और तकनीकी सशक्तिकरण को एक साथ जोड़ा गया है।

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