
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtunkhwa) प्रांत में हाल ही में हुए ड्रोन हमलों ने देशभर में चिंता और आक्रोश की लहर दौड़ा दी है। इन हमलों में निर्दोष नागरिकों की मौत और घायल होने की घटनाएं सामने आई हैं, जबकि सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान की चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
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ड्रोन हमलों की घटनाएं और नागरिकों का आक्रोश
19 मई 2025 को उत्तरी वजीरिस्तान के मीर अली तहसील के हुरमुज गांव में एक ड्रोन हमले में एक ही परिवार के चार बच्चों की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए। इसके बाद, 27 मई की रात को दक्षिण वजीरिस्तान के आज़म वारसक में एक वॉलीबॉल मैच के दौरान हुए ड्रोन हमले में 22 लोग घायल हो गए, जिनमें सात बच्चे शामिल हैं।
इन घटनाओं के बाद स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। मीर अली में हजारों लोगों ने बच्चों के शवों को मुख्य सड़क पर रखकर न्याय की मांग की और सरकार से हमलों के जिम्मेदारों की पहचान करने की अपील की।
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सरकार और सेना की चुप्पी पर उठते सवाल
इन हमलों के बाद सरकार और सेना की ओर से कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया, जिससे जनता में और अधिक नाराजगी फैल गई।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि आतंकियों से निपटने के नाम पर सुरक्षा बलों ने ही ये हमले किए हैं और अब सरकार इसी कारण से चुप्पी साधे हुए है। हालांकि, सेना ने इन आरोपों से इनकार किया है और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) पर इन हमलों का आरोप लगाया है।
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मानवाधिकार संगठनों और नेताओं की प्रतिक्रिया
खैबर पख्तूनख्वा के राहत मंत्री हाजी नेक मुहम्मद दावर ने इन हमलों की कड़ी निंदा की और कहा कि सभी प्रकार के सैन्य अभियानों को नागरिक आबादी से दूर रखा जाना चाहिए।