
दिल्ली में इलेक्ट्रिक व्हीकल (Electric Vehicle) को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। केंद्र सरकार की तरह अब दिल्ली सरकार भी EV सेक्टर को रफ्तार देने के लिए अपनी नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी (Delhi EV Policy 2.0) लाने की तैयारी में है। खास बात ये है कि इस बार का फोकस खास तौर पर ऑटोरिक्शा (Auto Rickshaw) सेक्टर पर रहेगा। अगर आप दिल्ली में ऑटो चलाते हैं या इससे जुड़ा कोई व्यवसाय करते हैं, तो ये खबर आपके लिए बेहद अहम हो सकती है।
दिल्ली में EV पॉलिसी 2.0 की दस्तक
साल 2020 में लागू की गई पहली ईवी पॉलिसी (Delhi EV Policy) 2024 में समाप्त हो चुकी है। अब दिल्ली सरकार ने अगली पॉलिसी की रूपरेखा तैयार करनी शुरू कर दी है। इस पॉलिसी का सबसे बड़ा बदलाव पुराने CNG ऑटो रिक्शा को हटाकर उनकी जगह इलेक्ट्रिक ऑटो (Electric Auto Rickshaw) लाना है। इस योजना के तहत 10 साल से ज्यादा पुराने CNG ऑटोरिक्शा को चरणबद्ध तरीके से स्क्रैप कर इलेक्ट्रिक वर्जन में बदला जाएगा।
कितने हैं दिल्ली में ऑटोरिक्शा?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, साल 2011 में दिल्ली में ऑटोरिक्शा की अधिकतम संख्या 1 लाख निर्धारित की गई थी। 2024 के जून महीने तक के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली की सड़कों पर करीब 94,000 ऑटोरिक्शा दौड़ रहे हैं, जिनमें से अधिकांश अभी भी CNG आधारित हैं। हालांकि कुछ इलेक्ट्रिक ऑटोरिक्शा पहले से ही शामिल हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है।
10 साल पुराने ऑटो होंगे रिप्लेस
Delhi EV Policy 2.0 के तहत प्रस्तावित योजना में 10 साल से पुराने CNG ऑटो रिक्शा को हटाया जाएगा। अगर मान लिया जाए कि मौजूदा 94,000 ऑटोरिक्शा में से सिर्फ 20% ही 10 साल से पुराने हैं, तो भी कम से कम 18,000 ऑटो को इलेक्ट्रिक में बदलने की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए सरकार को ड्राइवर्स को वित्तीय सहायता यानी सब्सिडी देनी होगी, जिससे वे आसानी से नए ईवी ऑटो खरीद सकें।
ऑटोरिक्शा चालकों को होंगे ये फायदे
ईवी पॉलिसी के तहत सरकार ऑटोरिक्शा चालकों को कई प्रकार के फायदे देने की योजना बना रही है। उदाहरण के लिए, अगर कोई चालक अपना पुराना CNG ऑटो स्क्रैप करता है, तो उसे नया इलेक्ट्रिक ऑटो खरीदने पर डिस्काउंट मिल सकता है। साथ ही रजिस्ट्रेशन चार्ज में छूट और अतिरिक्त इंसेंटिव भी मिल सकते हैं।
देश में पहले से लागू पीएम ई-ड्राइव योजना (PM e-Drive Scheme) के तहत इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों पर 5000 रुपये प्रति किलोवॉट तक की सब्सिडी मिलती है, जिसकी अधिकतम सीमा 50,000 रुपये तक है। अगर दिल्ली सरकार केंद्र की इस योजना के साथ अतिरिक्त सब्सिडी ऑफर करती है, तो यह ऑटो चालकों के लिए दोहरा फायदा होगा।
CNG बनाम इलेक्ट्रिक ऑटोरिक्शा: कौन ज्यादा फायदे में?
वर्तमान में एक नया CNG ऑटो खरीदने में 4 से 6 लाख रुपये तक का खर्च आता है, जबकि इलेक्ट्रिक ऑटोरिक्शा की कीमत भी लगभग इतनी ही है। महिंद्रा, बजाज, टीवीएस और पियाजियो जैसी कंपनियों ने अपने ईवी मॉडल मार्केट में लॉन्च किए हैं। इन ईवी ऑटो में बैटरी पर 5 से 8 साल तक की वारंटी भी मिलती है।
CNG की मौजूदा कीमत दिल्ली में लगभग 75 रुपये प्रति किलो है और एक किलो CNG में ऑटो करीब 35 किलोमीटर चलता है। इसके मुकाबले इलेक्ट्रिक ऑटो एक बार फुल चार्ज होने पर औसतन 150 किमी की रेंज देते हैं और प्रति किलोमीटर चलने की लागत सिर्फ 50 पैसे से 1 रुपये तक आती है। यानी ईवी ऑटो लंबी दूरी तय करने में कहीं ज्यादा किफायती हैं।
सरकार पर कितना आएगा खर्च?
अगर सरकार सिर्फ 18,000 पुराने ऑटो को इलेक्ट्रिक में बदलने के लिए 50,000 रुपये प्रति यूनिट की अधिकतम सब्सिडी देती है, तो उस पर 90 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसमें रजिस्ट्रेशन चार्ज में छूट और अतिरिक्त इंसेंटिव की राशि शामिल नहीं है। वहीं अगर सभी 94,000 ऑटो रिक्शा को इलेक्ट्रिक में बदलने की योजना बने, तो सरकार को करीब 470 करोड़ रुपये की सब्सिडी देनी पड़ेगी।
राइड शेयरिंग कंपनियों के लिए भी बदल सकता है गेम
दिल्ली में ऑटोरिक्शा हमेशा से ट्रांसपोर्ट और पॉलिटिक्स दोनों का अहम हिस्सा रहे हैं। इनकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ओला, उबर, रैपिडो जैसी राइड शेयरिंग कंपनियों को भी अपना बिजनेस मॉडल ऑटो चालकों के हिसाब से ढालना पड़ा। अब जब इलेक्ट्रिक ऑटो का स्कोप बढ़ेगा, तो इन कंपनियों के लिए भी EV इंटीग्रेशन एक जरूरी पहल बन जाएगी।
EV पॉलिसी के आने से बदलेगा ऑटो इंडस्ट्री का चेहरा
Delhi EV Policy 2.0 सिर्फ एक पॉलिसी नहीं बल्कि ऑटोरिक्शा सेक्टर के लिए क्रांतिकारी बदलाव हो सकता है। जहां एक तरफ ड्राइवर्स को कम ऑपरेटिंग कॉस्ट का फायदा मिलेगा, वहीं दूसरी तरफ पॉल्यूशन कंट्रोल में भी बड़ा कदम माना जाएगा। राज्य सरकार और केंद्र सरकार की सम्मिलित सब्सिडी योजनाएं ऑटो चालकों को नया रास्ता दिखा सकती हैं।