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सरकारी नौकरी से जल्दी रिटायरमेंट! 3 साल घटाई गई सेवा अवधि – अफसरों में मचा हड़कंप

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने नई संविदा नीति के विरोध में शुरू की अनिश्चितकालीन हड़ताल, रिटायरमेंट उम्र घटाई, सुविधाएं छीनीं, वादे भूली सरकार जानिए इस फैसले से कैसे चरमराई प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था!

By Saloni uniyal
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सरकारी नौकरी से जल्दी रिटायरमेंट! 3 साल घटाई गई सेवा अवधि – अफसरों में मचा हड़कंप
सरकारी नौकरी से जल्दी रिटायरमेंट! 3 साल घटाई गई सेवा अवधि – अफसरों में मचा हड़कंप

Retirement Age को लेकर मध्यप्रदेश में हाल ही में लिए गए शासन के निर्णय ने संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच जबरदस्त असंतोष पैदा कर दिया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-NHM के अंतर्गत कार्यरत 32,000 से अधिक संविदा कर्मचारी व अधिकारी वर्तमान में सरकार की नई संविदा नीति 2025 के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।

रिटायरमेंट की उम्र 65 से घटाकर 62, कर्मचारियों में भारी नाराजगी

सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष से घटाकर 62 वर्ष किए जाने के फैसले ने प्रदेशभर के स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मचारियों में असंतोष की ज्वाला भड़का दी है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि इससे न केवल उनके भविष्य की आर्थिक सुरक्षा प्रभावित हुई है, बल्कि यह निर्णय बिना समुचित संवाद और तैयारी के लिया गया है।

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि संविदा नीति 2023 के तहत घोषित वादों को अब तक पूरी तरह लागू नहीं किया गया है। इनमें वेतन समकक्षता, स्वास्थ्य बीमा, एनपीएस, डीए और ग्रेच्युटी जैसी सुविधाओं को शामिल करने की बातें की गई थीं, लेकिन इनका ज़मीनी स्तर पर कोई असर नहीं दिख रहा।

1 अप्रैल से शुरू हुआ चरणबद्ध आंदोलन, अब अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदला

एनएचएम के अंतर्गत कार्यरत संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने 1 अप्रैल से चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया था। इसके तहत 16 अप्रैल को कर्मचारियों ने एक दिन का सामूहिक अवकाश भी लिया, लेकिन सरकार द्वारा कोई ठोस प्रतिक्रिया न मिलने पर 24 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की गई।

भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर समेत प्रदेश के सभी ज़िलों में इस हड़ताल का असर देखा जा रहा है। संविदा कर्मचारी अपने-अपने अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में ड्यूटी से गैरहाजिर हैं, जिससे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ गया है।

संविदा नीति 2025 बनी असंतोष की जड़

संविदा नीति 2025 को लेकर कर्मचारियों का आरोप है कि यह नीति एकतरफा तरीके से लागू की गई है और इसके प्रावधान कर्मचारियों के हित में नहीं हैं। विशेषकर रिटायरमेंट एज घटाने, Earned Leave-EL और मेडिकल लीव को अलग-अलग करने जैसे प्रावधानों से कर्मचारी नाराज हैं।

इसके अलावा अनुबंध प्रणाली को पूरी तरह समाप्त नहीं किया गया है, और अप्रेजल (प्रदर्शन मूल्यांकन) की प्रणाली को भी यथावत रखा गया है। कर्मचारी संगठन इसे अस्थिरता और असुरक्षा का प्रतीक मानते हैं।

नियमितिकरण और रिक्त पदों पर संविलियन भी मांगों में शामिल

कर्मचारियों की मांगों में प्रमुख बिंदु यह भी है कि रिक्त पदों पर 50 प्रतिशत संविदा कर्मचारियों को संविलियन के माध्यम से नियमित किया जाए। वर्तमान में यह प्रक्रिया ठप पड़ी हुई है। कर्मचारियों का कहना है कि 2016 से लेकर 2025 के बीच रिटायर हुए कर्मचारियों को भी पदोन्नति का लाभ नहीं दिया गया है, जो अनुचित है।

सरकार की वादाखिलाफी से नाराज कर्मचारी

विधानसभा चुनाव 2023 से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के हित में कई घोषणाएं की थीं, जिनमें नियमितिकरण और सेवा शर्तों में सुधार शामिल थे। लेकिन चुनाव के बाद इन घोषणाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

इसी के विरोध में कर्मचारी पहले चरणबद्ध और अब पूरी तरह से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। उन्होंने उच्चाधिकारियों को इसकी सूचना पहले ही दे दी थी, बावजूद इसके शासन ने अब तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया।

आंदोलन का असर और संभावित परिणाम

प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। कई सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बाधित हो रही हैं। वहीं, ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं पहले से ही सीमित हैं, ऐसे में यह हड़ताल और भी ज्यादा असर डाल रही है।

सरकार के सामने अब यह चुनौती है कि या तो वह संविदा नीति में संशोधन कर कर्मचारियों को संतुष्ट करे, या फिर स्वास्थ्य व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने जैसे कड़े कदम उठाए।

संविदा कर्मचारी संघ का कहना है कि जब तक उनकी 8 सूत्रीय मांगों को नहीं माना जाता, वे अपनी हड़ताल जारी रखेंगे।

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