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अब गर्मियों की छुट्टियों में स्कूलों में पढ़ाई जाएगी वेद और रामायण! हाई कोर्ट ने दी मंजूरी

उत्तर प्रदेश में बच्चों की पढ़ाई का नया रंग, हाई कोर्ट ने समर कैंप में वेद और रामायण पढ़ाने की दी मंजूरी। जानिए इससे कैसे बदलेगा शिक्षा का स्वरूप और बच्चों के व्यक्तित्व में कैसे आएगा नया निखार

By Saloni uniyal
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अब गर्मियों की छुट्टियों में स्कूलों में पढ़ाई जाएगी वेद और रामायण! हाई कोर्ट ने दी मंजूरी
अब गर्मियों की छुट्टियों में स्कूलों में पढ़ाई जाएगी वेद और रामायण! हाई कोर्ट ने दी मंजूरी

उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में इस वर्ष गर्मियों की छुट्टियों के दौरान वेद और रामायण का पाठ पढ़ाया जाएगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के सांस्कृतिक विभाग की इस पहल को मंजूरी दे दी है, जिससे बच्चों में नैतिकता और संस्कारों का विकास हो सके।

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इस निर्णय के तहत, प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद से संबद्ध स्कूलों में समर कैंप के दौरान वेद और रामायण पर आधारित कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। हाई कोर्ट ने इस योजना के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह पहल बच्चों के नैतिक और सांस्कृतिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

सांस्कृतिक शिक्षा के माध्यम से नैतिक मूल्यों का संचार

उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम बच्चों में भारतीय संस्कृति, परंपरा और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। राज्य के संस्कृति विभाग ने इस पहल को “संस्कृति शिक्षा” कार्यक्रम के तहत शुरू किया है, जिसमें वेद और रामायण के पाठ के माध्यम से बच्चों को नैतिकता, अनुशासन और सामाजिक मूल्यों की शिक्षा दी जाएगी।

इस कार्यक्रम के तहत, समर कैंप में बच्चों को वेदों के मंत्रों, रामायण की कहानियों और उनके नैतिक संदेशों के बारे में बताया जाएगा। इससे बच्चों में आत्मविश्वास, सहिष्णुता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना विकसित होगी।

हाई कोर्ट का निर्णय और उसकी प्रतिक्रिया

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस योजना के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह पहल बच्चों के नैतिक और सांस्कृतिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्यक्रम वैकल्पिक है और इसमें भाग लेना अनिवार्य नहीं है।

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राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि यह कार्यक्रम किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य बच्चों में नैतिकता और संस्कारों का विकास करना है। कोर्ट ने सरकार की इस दलील को स्वीकार करते हुए योजना को मंजूरी दी।

शिक्षाविदों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया

शिक्षाविदों और अभिभावकों ने इस पहल का स्वागत किया है। उनका मानना है कि बच्चों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने के लिए यह एक सकारात्मक कदम है। हालांकि, कुछ लोगों ने यह भी सुझाव दिया है कि इस कार्यक्रम में अन्य धार्मिक ग्रंथों और नैतिक शिक्षाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि सभी धर्मों के बच्चों को समान अवसर मिल सके।

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