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जमीन मालिकों के लिए बड़ा अपडेट! बदला E-KYC फॉर्मेट, अब ऐसे कराना होगा अनिवार्य सत्यापन

जानिए कैसे हिमाचल प्रदेश में भूमि मालिकों के लिए ई-केवाईसी प्रक्रिया में सुधार किया गया है और इसके क्या प्रभाव होंगे। क्या आप तैयार हैं अपनी ई-केवाईसी पूरी करने के लिए?

By Saloni uniyal
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हिमाचल प्रदेश में राजस्व विभाग ने हाल ही में भूमि मालिकों के लिए ई-केवाईसी प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। पहले भूमि खाता आधारित ई-केवाईसी प्रक्रिया को लागू किया जाता था, जिसमें एक भूमि खाता होने पर पूरे खाते का सत्यापन मान लिया जाता था। हालांकि, इसमें कई विसंगतियां थीं, क्योंकि एक ही खाते में कई मालिक हो सकते थे, जिससे सबकी ई-केवाईसी अधूरी रह जाती थी। केंद्र सरकार ने इस प्रणाली में सुधार करने के लिए नई दिशा में कदम उठाया है। अब हर भूमि मालिक को व्यक्तिगत रूप से अपनी ई-केवाईसी करवानी होगी, ताकि सभी मालिकों का सत्यापन सही तरीके से किया जा सके।

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नए बदलाव की आवश्यकता और उद्देश्य

राज्य में डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) के तहत भूमि को आधार से लिंक किया जा रहा है। पहले की प्रणाली में भूमि खातों की आधार पर ई-केवाईसी की जाती थी, लेकिन यह प्रक्रिया कई बार गलत साबित हुई क्योंकि एक खाते में कई मालिक होते थे, जिनका सत्यापन नहीं हो पाता था। इसके परिणामस्वरूप गलत या अधूरी जानकारी सरकारी अभिलेखों में दर्ज हो जाती थी, जिससे भूमि विवादों के समाधान में परेशानी आती थी। इसलिए केंद्र सरकार ने भूमि मालिकों की व्यक्तिगत पहचान की आवश्यकता पर जोर दिया और हर एक को ई-केवाईसी के दायरे में लाने का निर्णय लिया।

ई-केवाईसी की वर्तमान स्थिति

नई प्रक्रिया के तहत अब तक हिमाचल प्रदेश में केवल 27 प्रतिशत भूमि मालिकों की ई-केवाईसी पूरी हो पाई है। पहले के मुकाबले यह संख्या कम है क्योंकि अब भूमि मालिकों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया जा रहा है। इससे काम की गति धीमी हो गई है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि सभी मालिकों का सत्यापन सही तरीके से हो सके। हालांकि, अधिकारियों का मानना है कि इस प्रक्रिया को गति देने के लिए और अधिक प्रयास किए जा रहे हैं।

जिलावार स्थिति

अगर हम जिलावार स्थिति की बात करें, तो किन्नौर जिला में सबसे अधिक 44 प्रतिशत भूमि मालिकों की ई-केवाईसी पूरी हुई है। वहीं, कांगड़ा और शिमला जिले में सबसे कम कार्य हुआ है। कांगड़ा जिले में केवल 22 प्रतिशत और शिमला जिले में 22 प्रतिशत भूमि मालिकों की ई-केवाईसी पूरी हो पाई है। अन्य जिलों में भी स्थिति कुछ इस प्रकार है: बिलासपुर में 35 प्रतिशत, चम्बा में 28 प्रतिशत, हमीरपुर में 40 प्रतिशत, कुल्लू में 29 प्रतिशत, लाहौल-स्पीति में 37 प्रतिशत, मंडी में 31 प्रतिशत, सिरमौर में 23 प्रतिशत, सोलन में 27 प्रतिशत और ऊना में 28 प्रतिशत भूमि मालिकों की ई-केवाईसी पूरी हो पाई है।

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तहसीलवार स्थिति और प्रगति

राज्य में तहसीलवार प्रगति की बात करें तो कांगड़ा जिले की लगड़ू और खुंडियां तहसील में सबसे अधिक 49 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। वहीं, शिमला शहरी तहसील में सबसे कम 11 प्रतिशत कार्य हुआ है। अन्य तहसीलों में भी विभिन्न स्तरों पर कार्य जारी है, जैसे कि बड़सर और डटवाल तहसील में 45 प्रतिशत कार्य, मुरंग और सांगला में 48 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। वहीं, बैजनाथ, धर्मशाला, नूरपुर, पालमपुर, और शाहपुर तहसीलों में 15 प्रतिशत से कम कार्य पूरा हुआ है।

अधिकारियों की अपील

राजस्व विभाग की निदेशक रितिका ने सभी भूमि मालिकों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द अपनी ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी करें। इससे सरकारी रिकॉर्ड को अपडेट किया जा सकेगा और भविष्य में भूमि विवादों से बचने में मदद मिलेगी। उनका मानना है कि इस प्रक्रिया के पूर्ण होने के बाद भूमि रिकॉर्ड अधिक पारदर्शी और सटीक होंगे, जिससे लोगों को जमीन संबंधित मामलों में न्याय मिलने में आसानी होगी।

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