ब्रेकिंग न्यूज

अपने बैंक अकाउंट में कितना कैश रख सकते हैं? RBI के इस नियम को नहीं जानते तो हो सकता है पछतावा!

क्या आप भी अपने सेविंग अकाउंट में बड़ी रकम जमा कर रहे हैं? जानिए RBI की लिमिट, कब देना होगा पैन नंबर और कैसे बचें टैक्स की जांच से। एक गलती पड़ सकती है भारी पूरी जानकारी जरूर पढ़ें!

By Saloni uniyal
Published on
अपने बैंक अकाउंट में कितना कैश रख सकते हैं? RBI के इस नियम को नहीं जानते तो हो सकता है पछतावा!
अपने बैंक अकाउंट में कितना कैश रख सकते हैं? RBI के इस नियम को नहीं जानते तो हो सकता है पछतावा!

आज के डिजिटल युग में लगभग हर व्यक्ति के पास बैंक खाता होना अनिवार्य हो गया है। Cash Deposit Rules को लेकर अक्सर लोगों के मन में सवाल रहते हैं कि वे अपने बैंक खाते में कितना कैश जमा कर सकते हैं, और कितनी राशि रखने पर आरबीआई-RBI या इनकम टैक्स विभाग की नजर में आ सकते हैं। खासकर जब बात सेविंग अकाउंट (Saving Account) की हो, तो उसकी लिमिट और नियमों को जानना जरूरी हो जाता है।

सेविंग अकाउंट में कैश रखने की लिमिट क्या है?

आरबीआई द्वारा सेविंग अकाउंट में कैश जमा करने की एक निर्धारित सीमा तय की गई है। किसी भी व्यक्ति के लिए अपने सेविंग अकाउंट में 10 लाख रुपये तक की राशि जमा करना सामान्य माना जाता है। लेकिन अगर आपकी खाते में जमा राशि इस लिमिट से ज्यादा हो जाती है, तो आपको इसकी जानकारी संबंधित विभागों को देनी होती है।

सेविंग अकाउंट का मुख्य उद्देश्य बचत को बढ़ावा देना होता है, लेकिन इस खाते का उपयोग बड़े लेनदेन या भारी रकम जमा करने के लिए नहीं किया जाता। यदि आप बार-बार बड़ी राशि जमा कर रहे हैं या 10 लाख रुपये से अधिक कैश सेविंग अकाउंट में रखा जा रहा है, तो यह Annual Information Return (AIR) के दायरे में आ सकता है।

लिमिट से ज्यादा कैश रखने पर क्या कार्रवाई हो सकती है?

अगर आप निर्धारित सीमा से अधिक राशि सेविंग अकाउंट में रखते हैं और इसकी सूचना नहीं देते, तो यह Income Tax Department की नजर में आ सकता है। इससे न केवल स्पष्टीकरण देना पड़ सकता है, बल्कि इनकम टैक्स की जांच का सामना भी करना पड़ सकता है।

हालांकि इस राशि पर टैक्स देना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि जमा की गई राशि आपकी घोषित आय से मेल नहीं खाती, तो आपको उसका स्रोत स्पष्ट करना होगा। अन्यथा, आयकर विभाग यह मान सकता है कि यह आय छुपाने का प्रयास है, और फिर आप पर जुर्माना या अन्य कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

करंट अकाउंट में कैश लिमिट क्या है?

जहां सेविंग अकाउंट में 10 लाख रुपये की सीमा तय है, वहीं करंट अकाउंट (Current Account) में यह सीमा बढ़कर 50 लाख रुपये तक हो जाती है। यह अकाउंट मुख्यतः व्यवसायिक गतिविधियों के लिए होता है, इसलिए इसमें ट्रांजेक्शन की सीमा अधिक है।

अगर कोई व्यक्ति व्यापारी है और उसके पास करंट अकाउंट है, तो वह अधिक कैश हैंडल कर सकता है। लेकिन इस स्थिति में भी बड़ी राशि के लेनदेन पर नजर रखी जाती है और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को जानकारी देना जरूरी हो सकता है।

बड़े ट्रांजेक्शन के लिए PAN नंबर क्यों जरूरी है?

अगर कोई व्यक्ति 50 हजार रुपये या उससे अधिक की नकद जमा या निकासी करता है, तो ऐसे मामलों में पैन कार्ड की जानकारी देना जरूरी हो जाता है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि लेनदेन की पारदर्शिता बनी रहे और काले धन पर रोक लगाई जा सके।

सालभर में यदि आप बार-बार बड़ी राशि जमा करते हैं या एक विशेष सीमा पार करते हैं, तो बैंक और आयकर विभाग आपके PAN नंबर के आधार पर इन ट्रांजेक्शन को ट्रैक कर सकते हैं। इसलिए पैन कार्ड देना एक तरह से निगरानी तंत्र का हिस्सा बन जाता है, जो ट्रांजेक्शन की वैधता की पुष्टि करता है।

जमा राशि का स्रोत बताना क्यों जरूरी है?

जब भी आप सेविंग या करंट अकाउंट में बड़ी रकम जमा करते हैं, तो आपसे पूछा जा सकता है कि यह पैसे कहां से आए। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने के लिए होती है कि जमा की गई राशि अवैध स्रोतों से न आई हो। ऐसे में आपके पास प्रूफ ऑफ इनकम, जैसे सैलरी स्लिप, बिजनेस इनकम स्टेटमेंट या किसी प्रकार का इनवॉइस होना जरूरी हो सकता है।

अगर आप यह साबित कर देते हैं कि यह रकम आपकी वैध आय से आई है, तो फिर किसी भी तरह की समस्या नहीं आती। लेकिन अगर आप जवाब नहीं दे पाते, तो आयकर विभाग यह मान सकता है कि आपने टैक्स चोरी की है, जिससे आपको भारी पेनल्टी भी झेलनी पड़ सकती है।

ज्यादा कैश रखने के बजाय निवेश करें

अगर आपके सेविंग अकाउंट में बार-बार बड़ी राशि जमा हो रही है, तो उसे किसी FD (Fixed Deposit), म्यूचुअल फंड या किसी सरकारी योजना जैसे डाकघर योजनाएं (Post Office Schemes) में निवेश करना बेहतर रहेगा। इससे आपको सुरक्षित निवेश के साथ-साथ अच्छा ब्याज भी मिलेगा।

कुछ बैंक आपको यह सुविधा भी देते हैं कि आप अपने सेविंग अकाउंट को ऑटोमैटिक फिक्स्ड डिपॉजिट में बदल सकते हैं, जहां एक तय राशि के ऊपर का बैलेंस खुद-ब-खुद एफडी में बदल जाता है। इससे टैक्स की परेशानी भी नहीं होगी और ब्याज भी अधिक मिलेगा।

बैंक नियमों की जानकारी कहां से लें?

हर बैंक अपने कस्टमर को ट्रांजेक्शन और लिमिट से संबंधित जानकारी देता है। लेकिन अगर आपको कोई संदेह है, तो आप अपने बैंक की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर या ब्रांच में जाकर भी पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही, आरबीआई की वेबसाइट पर भी बैंकिंग नियमों को विस्तार से बताया गया है।

Leave a Comment