
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में स्थित एक प्राइवेट स्कूल में रोज़ाना की तरह होने वाली प्रार्थना सभा के दौरान गाए जाने वाले राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। यह मामला अब साम्प्रदायिक तनाव का कारण बनता दिखाई दे रहा है। स्कूल प्रबंधन के अनुसार, स्कूल जिस क्षेत्र में स्थित है, वह मुस्लिम बहुल इलाका है और वहीं के कुछ लोगों ने राष्ट्रगान के दौरान उत्पन्न होने वाली आवाज को लेकर आपत्ति जताई है। उन्होंने न सिर्फ इस आवाज को लेकर शिकायत की है, बल्कि राष्ट्रगान को पूरी तरह बंद करने की धमकी तक दे डाली है।
राष्ट्रगान से नींद में खलल की बात कहकर जताई गई नाराज़गी
स्कूल की प्रबंधक शोभना ने बताया कि प्रतिदिन की तरह सुबह राष्ट्रगान के साथ प्रार्थना सभा आयोजित की जाती है। लेकिन हाल ही में कुछ स्थानीय निवासियों ने राष्ट्रगान के समय होने वाले ध्वनि स्तर (Sound Level) पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि राष्ट्रगान की आवाज से उनकी नींद खराब होती है, और यह उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर रहा है। यही नहीं, इस आपत्ति के साथ धमकी भी दी गई है कि अगर राष्ट्रगान नहीं रोका गया तो वे स्कूल को जबरन बंद करवा देंगे।
स्कूल प्रबंधन को दी गई धमकी, इस्लामी नज़्म की मांग
प्रबंधक शोभना के अनुसार, कुछ लोगों ने खुलेआम स्कूल के सामने आकर धमकी दी कि अगर स्कूल में राष्ट्रगान जारी रहा, तो वे वहां अशांति फैलाएंगे और स्कूल को बंद करवा देंगे। एक स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विरोध करने वालों ने इस हद तक जाकर मांग की कि राष्ट्रगान की जगह पर इस्लामी नज़्म (Islamic Nazm) बजाई जाए। हालांकि, स्कूल प्रबंधन ने इस मांग को न सिर्फ खारिज किया, बल्कि इसे असंवैधानिक (Unconstitutional) बताया।
प्रशासन के संज्ञान में मामला, पुलिस ने शुरू की जांच
घटना की गंभीरता को देखते हुए बरेली पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने मामले का संज्ञान लिया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि उन्हें इस संबंध में शिकायत प्राप्त हुई है और अब वह इसकी जांच कर रहे हैं। हालांकि अब तक किसी की गिरफ्तारी (Arrest) नहीं हुई है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि वे पूरे मामले को अत्यंत संवेदनशीलता (Sensitivity) से हैंडल कर रहे हैं और सभी पहलुओं की गहनता से जांच की जा रही है।
राष्ट्रगान पर संवैधानिक अधिकारों को लेकर बढ़ी बहस
इस विवाद ने एक बार फिर भारत में संवैधानिक अधिकारों (Constitutional Rights) और कर्तव्यों पर बहस को जन्म दे दिया है। ‘जन गण मन’ भारत का राष्ट्रीय गान (National Anthem) है, जिसे भारतीय संविधान के तहत हर नागरिक को सम्मान देना अनिवार्य बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले राष्ट्रगान की गरिमा और इसके महत्व को रेखांकित कर चुके हैं। ऐसे में किसी धार्मिक या सामाजिक दबाव के चलते राष्ट्रगान को रोकने की मांग को संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ माना जा रहा है।
साम्प्रदायिक सौहार्द पर असर डालने की आशंका
हालांकि अब तक बरेली में इस घटना को लेकर किसी तरह की हिंसा की सूचना नहीं है, लेकिन स्थानीय निवासियों के बीच तनाव (Tension) का माहौल जरूर महसूस किया जा रहा है। साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए प्रशासन को सभी पक्षों के बीच संवाद (Dialogue) स्थापित करने की ज़रूरत है, ताकि यह मुद्दा ज़्यादा नहीं बढ़े और क्षेत्र की शांति और एकता बनी रहे।
राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर प्रतिक्रियाएं
इस मामले ने राजनीतिक और सामाजिक संगठनों को भी सक्रिय कर दिया है। कई संगठनों ने इसे भारत के गौरव और अस्मिता से जुड़ा मुद्दा बताते हुए कड़ा रुख अपनाने की मांग की है। वहीं कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और संगठनों ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए अपील की है कि सभी पक्ष संयम बरतें और साम्प्रदायिक सौहार्द को बनाए रखें।
सोशल मीडिया पर बंटा समाज, बहस तेज
घटना से संबंधित वीडियो और खबरें जैसे कि Bareilly News: स्कूल में राष्ट्रगान बंद करो, नींद खराब होती है … तेजी से सोशल मीडिया (social media) पर वायरल हो रही हैं। इसके चलते समाज दो हिस्सों में बंटा नज़र आ रहा है—एक ओर राष्ट्रगान के समर्थन में खड़े लोग हैं, तो दूसरी ओर कुछ लोग इसे धार्मिक भावना से जोड़कर देख रहे हैं। इस डिजिटल बहस ने भी पूरे मामले को और अधिक जटिल (Complex) बना दिया है।
संविधान, कानून और संवाद ही समाधान
बरेली की यह घटना महज एक स्थानीय विवाद (Local Dispute) नहीं है, बल्कि यह इस बात का संकेत है कि किस तरह आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी कुछ बुनियादी राष्ट्रीय प्रतीकों को लेकर समाज में मतभेद मौजूद हैं। राष्ट्रगान जैसे राष्ट्रीय गौरव (National Pride) से जुड़े विषय को साम्प्रदायिक चश्मे से देखने की प्रवृत्ति देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बन सकती है। इस संवेदनशील मुद्दे का समाधान केवल संविधान, कानून और आपसी समझदारी के माध्यम से ही संभव है।