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जल्द निपटा लें बैंकिंग काम! दो दिन की हड़ताल पर रहेंगे बैंक कर्मचारी, जानिए क्या हैं उनकी मांगें

बैंक यूनियनों ने की बड़ी घोषणा – पांच दिन के वर्क वीक, पर्याप्त भर्ती और ग्रेच्युटी सीमा बढ़ाने की मांग पर अड़े कर्मचारी। जानिए इस हड़ताल का आपकी बैंकिंग सेवाओं पर क्या असर पड़ेगा और क्यों बढ़ रहा है सरकार और बैंक कर्मचारियों के बीच तनाव?

By Saloni uniyal
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जल्द निपटा लें बैंकिंग काम! दो दिन की हड़ताल पर रहेंगे बैंक कर्मचारी, जानिए क्या हैं उनकी मांगें

देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कर्मचारियों की लगातार बढ़ती मांगों को लेकर बैंक यूनियनों ने 24 मार्च से दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। यह हड़ताल यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) द्वारा बुलाई गई है, जो नौ प्रमुख बैंक कर्मचारी संघों का संयुक्त संगठन है। यूनियनों का कहना है कि उनकी प्रमुख मांगों में पांच दिन का वर्क वीक लागू करना और सभी विभागों में पर्याप्त भर्ती सुनिश्चित करना शामिल है। इसके अलावा, सार्वजनिक बैंकों में कर्मचारी और अधिकारी निदेशकों के खाली पदों को भरने की भी मांग की जा रही है, ताकि कार्यभार को संतुलित किया जा सके।

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14 फरवरी से शुरू होगा विरोध प्रदर्शन

यूएफबीयू ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि उचित विचार-विमर्श के बाद 24 और 25 मार्च 2025 को लगातार दो दिन की हड़ताल के साथ आंदोलन कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इससे पहले, यूनियनें 14 फरवरी से विरोध प्रदर्शन की शुरुआत करेंगी। इस दिन देशभर के जिला मुख्यालयों में विरोध सभाएं आयोजित की जाएंगी। इसके बाद 3 मार्च को संसद भवन के सामने बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा, जहां वित्त मंत्री और वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहनों पर आपत्ति

बैंक यूनियनों ने डीएफएस द्वारा हाल ही में जारी प्रदर्शन समीक्षा और प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहनों के निर्देशों पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका मानना है कि यह नीतियां कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा को खतरे में डालती हैं और उनके बीच विभाजन पैदा करती हैं। यूनियनों ने इन नीतियों को तत्काल वापस लेने की मांग की है।

ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ाने की मांग

कर्मचारी संघों की प्रमुख मांगों में से एक ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा को बढ़ाकर 25 लाख रुपये करना है। उनका कहना है कि ग्रेच्युटी अधिनियम में संशोधन कर इसे सरकारी कर्मचारियों की योजना के अनुरूप किया जाना चाहिए और इसे आयकर से मुक्त किया जाना चाहिए। यूनियनों का मानना है कि इस कदम से बैंक कर्मचारियों को समान वित्तीय सुरक्षा मिल सकेगी।

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बोर्ड की स्वायत्तता पर उठाए सवाल

यूएफबीयू ने डीएफएस पर आरोप लगाया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के नीतिगत मामलों में अत्यधिक हस्तक्षेप किया जा रहा है, जिससे बैंक बोर्ड की स्वायत्तता प्रभावित हो रही है। उन्होंने भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के साथ लंबित मुद्दों के शीघ्र समाधान की भी मांग की है। यूनियनों का कहना है कि बैंक प्रबंधन को अधिक स्वतंत्रता मिलनी चाहिए ताकि वे कर्मचारी कल्याण और बैंकिंग सेवाओं को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

कौन-कौन से संगठन शामिल हैं?

यूएफबीयू में कई प्रमुख बैंक यूनियनें शामिल हैं, जिनमें अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए), अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी), राष्ट्रीय बैंक कर्मचारी परिसंघ (एनसीबीई), अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ (एआईबीओए) और भारतीय बैंक कर्मचारी परिसंघ (बीईएफआई) शामिल हैं।

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