![लाखों परिवारों का सपना चकनाचूर! सरकार ने बंद की सस्ते घरों वाली आवास योजना – जानिए पूरा मामला](https://newzoto.com/wp-content/uploads/2025/02/Dreams-of-millions-of-families-shattered-1024x576.jpg)
प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (इडब्ल्यूएस) के लिए सस्ती दरों पर फ्लैट का सपना अब टूट चुका है। हरियाणा सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अंतर्गत चल रही अफॉर्डेबल हाउसिंग पार्टनरशिप (एएचपी) योजना को रद्द कर दिया है। इस निर्णय ने लाखों लोगों को निराश किया है, जो इस योजना के जरिए सस्ते फ्लैट्स का सपना देख रहे थे। सरकार के इस कदम के पीछे कुछ अहम कारण हैं, जिनमें प्रदेश में जमीन की बढ़ती कीमतें और मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स की बनावट की चुनौतियाँ प्रमुख हैं।
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क्यों रद्द की गई यह योजना?
प्रदेश में जमीन महंगी हो चुकी है और कई शहरों में मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स का निर्माण करना आर्थिक रूप से कठिन हो गया है। यह कारण सरकार के हाउसिंग फॉर ऑल विभाग के लिए प्रमुख मुद्दा बने, जिसके चलते उन्होंने इस योजना को बंद करने का निर्णय लिया। विभाग ने इस फैसले की सूचना सभी शहरों में कार्यरत नगर निगम आयुक्तों और जिला नगर आयुक्तों को पत्र द्वारा दे दी है। इसके साथ ही, केंद्र सरकार द्वारा इस योजना के तहत निर्धारित लक्ष्य को भी वापस कर दिया गया है।
क्या था अफॉर्डेबल हाउसिंग पार्टनरशिप योजना का उद्देश्य?
इस योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सस्ते घर प्रदान करना था। इसके तहत, सरकार ने निर्णय लिया था कि प्राइवेट बिल्डरों से मिलकर शहरों में मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स का निर्माण कराया जाएगा और इडब्ल्यूएस परिवारों को पांच से सात लाख रुपये में फ्लैट उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके लिए प्राइवेट बिल्डर्स को केंद्रीय और राज्य सरकार से वित्तीय सहायता भी मिल रही थी, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा प्रति फ्लैट 1.5 लाख रुपये और हरियाणा सरकार से एक लाख रुपये की सहायता राशि दी जाती थी।
2017 में हुआ था सर्वे, लाखों लोग थे पात्र
योजना की शुरुआत से पहले, 2017 में प्रदेश के सभी शहरों में घर-घर जाकर एक सर्वेक्षण किया गया था। इस सर्वे में लगभग 1,80,879 लोग पात्र पाए गए थे, जो इस योजना के तहत सस्ते घरों के लिए आवेदन कर सकते थे। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया था कि केवल जरूरतमंद लोगों को ही इसका लाभ मिल सके।
अफॉर्डेबल हाउसिंग पार्टनरशिप योजना का स्वरूप
यह योजना एक केंद्र-प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और शहरों के निजी क्षेत्र के साथ मिलकर इडब्ल्यूएस के लिए घरों का निर्माण करना था। एएचपी के तहत, प्रत्येक परियोजना में कम से कम 250 फ्लैट्स होते, जिनमें कम से कम 35 प्रतिशत फ्लैट इडब्ल्यूएस श्रेणी के होते। विकलांग व्यक्ति, वरिष्ठ नागरिक, एससी/एसटी/ओबीसी, अल्पसंख्यक समुदाय, एकल महिलाएँ, ट्रांसजेंडर और समाज के अन्य कमजोर वर्गों को प्राथमिकता दी जाती थी।
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समाप्ति और आगामी चुनौती
अब, इस योजना के रद्द होने से प्रदेश में हजारों लोगों की उम्मीदों को बड़ा धक्का लगा है। सरकार ने इस निर्णय के पीछे जमीन की बढ़ती कीमतों और शहरी विकास की चुनौतियों को कारण बताया है। हालांकि, यह निर्णय प्रदेश के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बनकर सामने आया है। सरकार को अब यह सोचना होगा कि भविष्य में इस वर्ग के लिए सस्ती आवास की उपलब्धता कैसे सुनिश्चित की जाए।