
केंद्र सरकार ने हाल ही में नेशनल काउंसिल ऑफ ज्वाइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NC-JCM) से 8वें वेतन आयोग की शर्तों (Terms of Reference, ToR) के लिए सुझाव मांगे हैं। इसके जवाब में, NC-JCM के कर्मचारी पक्ष ने सिफारिश की है कि नए वेतन आयोग को सेवा अवधि में न्यूनतम 5 प्रमोशन की सिफारिश करनी चाहिए।
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8वें वेतन आयोग के गठन के साथ, केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को अपने वेतन, प्रमोशन और अन्य लाभों में सुधार की उम्मीद है। NC-JCM द्वारा प्रस्तुत सिफारिशें यदि स्वीकार की जाती हैं, तो यह कर्मचारियों के करियर विकास और वित्तीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
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मौजूदा प्रमोशन व्यवस्था
वर्तमान में, केंद्र सरकार की मॉडिफाइड एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (MACP) योजना के तहत, कर्मचारियों को 10, 20 और 30 वर्षों की सेवा के बाद तीन प्रमोशन का आश्वासन दिया जाता है। हालांकि, NC-JCM का मानना है कि यह व्यवस्था पर्याप्त नहीं है और इसमें सुधार की आवश्यकता है।
प्रस्तावित बदलाव
NC-JCM ने सुझाव दिया है कि 8वां वेतन आयोग निम्नलिखित बदलावों पर विचार करे:
- प्रमोशन की संख्या बढ़ाना: सेवा अवधि में कम से कम 5 प्रमोशन सुनिश्चित करना, ताकि कर्मचारियों की करियर ग्रोथ में सुधार हो सके।
- वेतन संरचना का पुनर्गठन: लेवल 1 से 6 तक के वेतनमानों का एकीकरण, जिससे वेतन वृद्धि में विसंगतियों को दूर किया जा सके।
- महंगाई भत्ता (DA) का विलय: बेहतर वित्तीय सुरक्षा के लिए DA को मूल वेतन और पेंशन के साथ मिलाना।
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संभावित वेतन वृद्धि
विशेषज्ञों का अनुमान है कि नया वेतन आयोग 1.92 से 2.86 के बीच फिटमेंट फैक्टर पर विचार कर सकता है। इसके आधार पर, केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन में 92% से 186% तक की वृद्धि संभव है। उदाहरण के लिए, 2.86 के फिटमेंट फैक्टर के साथ, लेवल 1 के कर्मचारियों का वर्तमान मूल वेतन ₹18,000 से बढ़कर ₹51,480 हो सकता है।
अन्य महत्वपूर्ण सिफारिशें
NC-JCM ने वेतन आयोग के लिए अन्य सिफारिशें भी प्रस्तुत की हैं, जिनमें शामिल हैं:
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- न्यूनतम वेतन का निर्धारण: अकरोयड फॉर्मूला और 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के आधार पर एक सम्मानजनक न्यूनतम वेतन तय करना।
- सेवानिवृत्ति लाभों में सुधार: पेंशन, ग्रेच्युटी और पारिवारिक पेंशन लाभों को संशोधित करना, और 1 जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों के लिए परिभाषित पेंशन योजना को बहाल करना।
- चिकित्सा लाभों का विस्तार: कैशलेस और परेशानी मुक्त चिकित्सा सेवाओं के लिए केंद्रीय सरकारी स्वास्थ्य योजना (CGHS) सुविधाओं में सुधार करना।
- शिक्षा भत्ता में वृद्धि: स्नातकोत्तर स्तर तक बच्चों के शिक्षा भत्ते और छात्रावास सब्सिडी को बढ़ाना।