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लोन के लिए किया था अप्लाई? 30 लाख लोगों की लिस्ट में कहीं आपका नाम तो नहीं!

माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में डिफॉल्ट बढ़ने के बाद बैंकों ने लाखों ग्राहकों को लोन से कर दिया बाहर। अब साहूकारों से महंगे ब्याज पर कर्ज लेने को मजबूर लोग। सरकार जल्द लाएगी BULA बिल, जानिए आपकी स्थिति क्या है?

By Saloni uniyal
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लोन के लिए किया था अप्लाई? 30 लाख लोगों की लिस्ट में कहीं आपका नाम तो नहीं!
लोन के लिए किया था अप्लाई? 30 लाख लोगों की लिस्ट में कहीं आपका नाम तो नहीं!

30 लाख लोगों को नहीं मिलेगा लोन – यह खबर उन सभी के लिए चिंताजनक है जो बैंक या वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेने की योजना बना रहे हैं। बीते नौ महीनों में करीब 30 लाख ऐसे लोग हैं जिन्हें अब बैंक लोन नहीं दे रहे। इसकी वजह है कर्ज वसूली में गिरावट और डिफॉल्ट दरों में तेजी से हुआ इजाफा। बैंकों और NBFC जैसी संस्थाओं ने ऐसे ग्राहकों को भविष्य में लोन देने से मना कर दिया है जो पूर्व में समय पर कर्ज नहीं चुका पाए। अब इन लोगों को अपनी जरूरतों के लिए अनौपचारिक स्रोतों, जैसे साहूकारों की ओर रुख करना पड़ रहा है, जो बेहद ऊंची ब्याज दर पर कर्ज देते हैं।

माइक्रोफाइनेंस सेक्टर की बिगड़ती हालत

माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में एनपीए-NPA का स्तर दिसंबर 2024 तक 13% तक पहुंच गया है। इसका सीधा असर कर्ज देने वाली कंपनियों और बैंकों पर पड़ा है। ऐसे कर्ज जिन्हें 180 दिनों से ज्यादा समय से नहीं चुकाया गया है, उनकी दर 11% तक पहुंच गई है। एक साल पहले यही आंकड़ा 9% था। इस गिरावट के चलते वित्तीय संस्थानों की आय पर नकारात्मक असर पड़ा है और वे अब जोखिम भरे ग्राहकों को लोन देने से हिचक रहे हैं।

गरीब और छोटे ग्राहक सबसे ज्यादा प्रभावित

बैंकों और NBFC द्वारा कर्ज से वंचित किए गए ग्राहक ज्यादातर निम्न आय वर्ग और गरीब तबके से आते हैं। पहले ये ग्राहक माइक्रोफाइनेंस कंपनियों या स्मॉल फाइनेंस बैंकों से छोटे लोन लेकर अपना काम चलाते थे, लेकिन अब इनके लिए फॉर्मल क्रेडिट सिस्टम से बाहर निकलने का खतरा मंडरा रहा है। ‘सा-धन’ (Sa-Dhan) के कार्यकारी निदेशक जीजी मम्मन के अनुसार, जिन ग्राहकों का ₹3,000 या उससे ज्यादा का बकाया है और जिन्होंने 60 दिनों से ज्यादा समय से किश्तें नहीं चुकाई हैं, उन्हें अब नए लोन नहीं दिए जा रहे।

इंडसइंड बैंक और बंधन बैंक को बड़ा नुकसान

इंडसइंड बैंक को माइक्रोफाइनेंस से जुड़े लोन में डिफॉल्ट की वजह से भारी नुकसान हुआ है। वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में बैंक का शुद्ध मुनाफा 40% तक गिर गया। वहीं, बंधन बैंक ने ₹1,266 करोड़ के कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया है, यानी इन कर्जों की वसूली की कोई संभावना नहीं बची है। बैंकिंग विशेषज्ञों का मानना है कि चौथी तिमाही में यह स्थिति और खराब हो सकती है, जिससे फॉर्मल लोन सिस्टम से और भी लोग बाहर हो सकते हैं।

साहूकारों के पास जाना मजबूरी बनता जा रहा

जब बैंकों से लोन नहीं मिलता, तो आम आदमी को मजबूरी में अनियमित साहूकारों से कर्ज लेना पड़ता है। ये लोग बेहद ऊंची ब्याज दर पर कर्ज देते हैं, जिससे ग्राहक की वित्तीय हालत और बिगड़ जाती है। मुथूट माइक्रोफिन के सीईओ सादफ सईद के अनुसार, “जो लोग औपचारिक वित्तीय प्रणाली से बाहर हो रहे हैं, वे अब महंगे ब्याज पर साहूकारों से कर्ज लेंगे, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति और खराब हो सकती है।”

सरकार से की गई कड़ी कदम उठाने की अपील

वित्तीय विशेषज्ञों ने सरकार से अपील की है कि वह इस स्थिति पर नियंत्रण के लिए ‘बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड लेंडिंग एक्टिविटीज (BULA) बिल’ को जल्द से जल्द लागू करे। इस बिल के लागू होने से गैरकानूनी और अनियमित ऋणदाताओं पर अंकुश लगाया जा सकेगा। साथ ही गरीब और जरूरतमंदों को सुरक्षित और कम ब्याज दर पर कर्ज मिल सकेगा।

कर्ज प्रणाली से बाहर होते लोग

वित्तीय वर्ष 2025 की शुरुआत में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों, छोटे बैंकों और एनबीएफसी से कर्ज लेने वालों की संख्या 8.7 करोड़ थी, लेकिन दिसंबर 2024 तक यह घटकर 8.4 करोड़ रह गई। यानी करीब 30 लाख लोग इस सिस्टम से बाहर हो गए। यह आंकड़ा आने वाले महीनों में और बढ़ सकता है, अगर कर्ज नियमों में कोई नरमी नहीं लाई गई।

किसको मिलेगा लोन, किसको नहीं?

अब नए कर्ज के लिए वही ग्राहक पात्र हैं जो:

  • समय पर पुराना कर्ज चुका चुके हैं
  • जिनका बकाया ₹3,000 से कम है
  • और जिन्होंने पिछले 60 दिनों में कोई डिफॉल्ट नहीं किया है

बाकी ग्राहकों को बैंक और फाइनेंस कंपनियां अब जोखिम मानती हैं और उन्हें लोन देने से बच रही हैं।

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