
Bank Closed from May 1: अगर आपका खाता किसी ग्रामीण बैंक में है, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। 1 मई 2025 से देशभर में 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (Regional Rural Banks – RRBs) को बंद कर दिया जाएगा। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आपकी बैंकिंग सेवाएं रुक जाएंगी। दरअसल, ये बैंक पूरी तरह से बंद नहीं हो रहे हैं, बल्कि इन्हें सरकार की “एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक” नीति के तहत आपस में मिलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़, संगठित और तकनीकी रूप से मजबूत बनाना है।
क्यों बंद हो रहे हैं 15 ग्रामीण बैंक?
भारत सरकार ने देश के ग्रामीण बैंकिंग तंत्र को और अधिक कुशल और सरल बनाने के लिए एक नई नीति अपनाई है — “एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक”। इस नीति के तहत, 11 राज्यों में कार्यरत 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का अन्य बैंकों में विलय कर दिया गया है। इसका सीधा उद्देश्य है प्रशासनिक खर्चों को कम करना, बैंकिंग सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाना और ग्रामीण क्षेत्रों को मजबूत डिजिटल बैंकिंग (Digital Banking) सेवाएं प्रदान करना।
किन राज्यों में हो रहा है यह बदलाव?
यह बड़ा बदलाव देश के 11 प्रमुख राज्यों में लागू किया गया है, जिनमें शामिल हैं: आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान। इन राज्यों में पहले कई अलग-अलग ग्रामीण बैंक (Rural Banks) काम कर रहे थे, जो अब मिलकर एक ही बैंक बन जाएंगे।
उदाहरण के तौर पर, आंध्र प्रदेश में मौजूद चैतन्य गोदावरी ग्रामीण बैंक, सप्तगिरी ग्रामीण बैंक और आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक को मिलाकर अब एक नया बैंक बनेगा — आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक (Andhra Pradesh Gramin Vikas Bank) । इसी तरह अन्य राज्यों में भी ग्रामीण बैंकों को मिलाकर एकीकृत बैंक तैयार किए जा रहे हैं।
बैंक खाताधारकों को क्या होगा असर?
इस निर्णय के बाद सबसे बड़ा सवाल है कि खाताधारकों को क्या कोई परेशानी होगी? इसका सीधा जवाब है — नहीं। ग्राहकों की सेवाएं पहले की तरह चालू रहेंगी। आपके बैंक खाता (Bank Account), जमा राशि, ऋण, एटीएम कार्ड, नेट बैंकिंग जैसी सेवाएं बिना किसी बाधा के चालू रहेंगी।
हालांकि, विलय के बाद आपको नया खाता नंबर, पासबुक (Passbook), चेकबुक (Cheque Book) या नया IFSC कोड मिल सकता है। इस बदलाव की पूरी जानकारी आपको आपके बैंक द्वारा SMS या ईमेल के माध्यम से दे दी जाएगी। इसलिए घबराने की कोई जरूरत नहीं है, बस अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और ईमेल पर नजर बनाए रखें।
इस विलय से ग्राहकों को क्या होंगे फायदे?
सरकार के इस फैसले का उद्देश्य सिर्फ बैंकों को मिलाना नहीं है, बल्कि इसके पीछे व्यापक सोच है। एकीकृत बैंकिंग प्रणाली से बैंक मजबूत होंगे और ग्राहकों को मिलेंगी बेहतर सेवाएं।
इससे मिलने वाले प्रमुख लाभ हैं:
बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर: बैंक अब Renewable Energy और सुरक्षित तकनीकी ढांचे में निवेश कर सकेंगे, जिससे ऑनलाइन लेन-देन और डिजिटल सेवा तेज और सुरक्षित बनेंगी।
मजबूत ग्राहक सेवा (Customer Service): अब ग्राहकों की समस्याओं का समाधान तेज़ी से होगा, क्योंकि सभी शाखाएं एक ही सिस्टम से जुड़ी होंगी।
सुलभ लोन और क्रेडिट डिलीवरी: एकीकृत बैंक बड़े स्तर पर ऋण प्रदान कर सकेंगे, जिससे किसानों, छोटे व्यापारियों और ग्रामीण उद्यमियों को फायदा मिलेगा।
कम प्रशासनिक खर्च: अब एक बैंक के अंतर्गत काम करने से लागत में कटौती होगी, जिससे बैंक आर्थिक रूप से मजबूत बन सकेंगे।
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बंद हो रहे प्रमुख ग्रामीण बैंकों की सूची
इस बदलाव के तहत जिन 15 बैंकों का विलय हो रहा है, उनमें प्रमुख नाम हैं:
आंध्र प्रदेश के चैतन्य गोदावरी ग्रामीण बैंक और सप्तगिरी ग्रामीण बैंक, उत्तर प्रदेश के आर्यावर्त बैंक और प्रथम यूपी ग्रामीण बैंक, पश्चिम बंगाल के बंगिया ग्रामीण बैंक और उत्तर बंगाल RRB, बिहार के दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक, गुजरात का सौराष्ट्र ग्रामीण बैंक, जम्मू-कश्मीर के जे एंड के ग्रामीण बैंक और इलाकाई ग्रामीण बैंक।
यह बदलाव क्यों है जरूरी?
ग्रामीण भारत आज भी बुनियादी बैंकिंग सेवाओं के लिए संघर्ष कर रहा है। सरकार चाहती है कि गांवों में रहने वाले लोगों को भी वही सुविधाएं मिलें जो शहरों में मौजूद हैं — जैसे तेज़ इंटरनेट बैंकिंग, सुरक्षित ट्रांजेक्शन, त्वरित ऋण वितरण और आसान खाता संचालन।
एकीकृत ग्रामीण बैंक प्रणाली से अब ग्रामीण ग्राहक भी डिजिटल IPO, सरकारी योजनाएं, बीमा, और पेंशन जैसी सेवाओं तक आसानी से पहुंच बना सकेंगे। इससे भारत की वित्तीय समावेशन नीति को मजबूती मिलेगी।