
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पावर कारपोरेशन पर स्मार्ट मीटर (Smart Meter) लगाने में अनियमितताओं का आरोप लगाया है। परिषद का कहना है कि पावर कारपोरेशन ने आरडीएसएस योजना (RDSS Scheme) के नियमों के विपरीत जाकर स्मार्ट मीटर की निर्माता कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए गलत तरीके से कार्य किए हैं। नियमों के अनुसार, पहले स्मार्ट मीटर सरकारी कार्यालयों और औद्योगिक वाणिज्यिक श्रेणी के उपभोक्ताओं के यहाँ लगाए जाने थे, लेकिन इसके विपरीत आम उपभोक्ताओं के घरों में इन्हें पहले ही लगा दिया गया।
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सरकारी आदेशों के विपरीत हुआ स्मार्ट मीटर का इंस्टॉलेशन
आरडीएसएस योजना के तहत पहले स्मार्ट मीटर को सरकारी कार्यालयों, औद्योगिक और वाणिज्यिक श्रेणी के उपभोक्ताओं के यहाँ लगाना था। इसके बाद ही घरेलू उपभोक्ताओं के यहाँ इन्हें लगाना था, लेकिन इसके विपरीत कार्य करते हुए आम उपभोक्ताओं के घरों में पहले ही स्मार्ट मीटर लगा दिए गए।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश में अब तक कुल 9,79,371 स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए गए हैं। इनमें से 45,734 चेक मीटर भी लगाए गए हैं, लेकिन अभी तक इनका मिलान नहीं किया गया है। इसके अलावा, पांच फरवरी तक प्रदेश में 1,15,055 सरकारी कार्यालयों में से केवल 17,440 पर ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा सके हैं। यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि योजना का कार्यान्वयन आदेशों के विपरीत हुआ है।
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अनुदान के लिए 31 मार्च तक सभी पर स्मार्ट मीटर लगाने का निर्देश
पावर कारपोरेशन ने 31 मार्च तक सभी सरकारी कार्यालयों और अन्य श्रेणियों के उपभोक्ताओं पर स्मार्ट मीटर लगाने के निर्देश दिए हैं। यदि यह कार्य समय पर पूरा नहीं होता है तो अनुदान नहीं मिलेगा।
योजना के अनुसार, प्रदेश में कुल 2,59,57,026 स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने थे, जिनमें से 9,79,371 मीटर अब तक लगाए जा चुके हैं। इसके साथ ही, पुराने मीटरों का 5 प्रतिशत चेक मीटर के रूप में स्थापित करना था, लेकिन अभी तक 45,734 चेक मीटर ही लगाए गए हैं और उनका मिलान भी नहीं हुआ है।
घटिया गुणवत्ता के आरोप, चीन के कलपुर्जों के उपयोग का शक
क्वालिटी कंट्रोल के आधार पर सभी स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अंदर के कलपुर्जों की जांच की मांग की गई है। परिषद ने आरोप लगाया है कि इन मीटरों में बड़े पैमाने पर चीन के कलपुर्जे इस्तेमाल किए गए हैं।
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परिषद के अनुसार, परियोजना पूरा होने के बाद ही पावर कारपोरेशन को यह पता चलेगा कि घटिया गुणवत्ता वाले मीटरों के कारण प्रदेश को अपेक्षित लाभ नहीं मिलेगा और निर्माता कंपनियों ने इस परियोजना में धांधली की है।
बिजली निजीकरण के खिलाफ 26 जून को राष्ट्रव्यापी हड़ताल
इन गड़बड़ियों और निजीकरण की प्रक्रिया के खिलाफ नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स (NCCOEEE) ने 26 जून को राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। यह हड़ताल बिजली निजीकरण (Electricity Privatization) के विरोध में की जाएगी।
इसके लिए अप्रैल और मई में देश के विभिन्न प्रांतों में बड़े सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश में चल रही निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में समिति के राष्ट्रीय पदाधिकारी चार रैलियां भी करेंगे।
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ट्रेड यूनियनों की हड़ताल में भी भागीदारी
कोआर्डिनेशन कमेटी ने यह भी निर्णय लिया है कि ऑल इंडिया ट्रेड यूनियनों की मई में होने वाली हड़ताल में भी वे भाग लेंगे और उस दिन देश भर में काम बंद रखा जाएगा।
एनसीसीओईईई के नागपुर में हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के महासचिव जितेन्द्र सिंह गुर्जर और बिजली कर्मचारी संघ के प्रमुख महासचिव महेन्द्र राय ने निजीकरण की प्रक्रिया और कर्मचारियों के आंदोलन की जानकारी दी।