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High Court: सजा के बाद सरकारी नौकरी जाएगी या बचेगी? हाईकोर्ट का बड़ा फैसला!

क्या बिना विभागीय जांच के आपको नौकरी से हटाया जा सकता है? जानिए हाई कोर्ट के इस अहम फैसले का असर और कैसे यह सरकारी कर्मचारियों को बचाव का मौका देता है।

By Saloni uniyal
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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी को अदालत से सजा मिलती है, तो उसे उसके पद से बर्खास्त नहीं किया जा सकता, जब तक कि उसके खिलाफ उचित विभागीय जांच न की जाए। यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों के सेवा नियमों और उनके अधिकारों से संबंधित महत्वपूर्ण पहलू को स्पष्ट करता है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का हवाला देते हुए अनुच्छेद 311(2) का उल्लेख किया, जिसमें सरकारी सेवकों को बर्खास्तगी से सुरक्षा दी गई है।

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बिना विभागीय जांच के बर्खास्तगी अवैध

हाई कोर्ट ने कहा कि बिना विभागीय जांच के किसी सरकारी कर्मचारी को बर्खास्त करना संविधान के अनुच्छेद 311(2) का उल्लंघन होगा। इस अनुच्छेद के तहत, किसी भी सरकारी कर्मचारी को उचित कानूनी प्रक्रिया के बिना उसके पद से हटाया नहीं जा सकता। कोर्ट ने कानपुर देहात के एक सरकारी स्कूल के सहायक शिक्षक की बर्खास्तगी को अवैध बताते हुए इसे रद्द कर दिया और विभाग को नए सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया।

मामला और अदालत का रुख

यह मामला कानपुर देहात के एक सहायक शिक्षक से जुड़ा है, जिन्हें दहेज हत्या के मामले में अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले के बाद, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ने शिक्षक को उनके पद से बर्खास्त कर दिया। शिक्षक ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी।

याचिकाकर्ता मनोज कटियार की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मंजीव शुक्ला ने यह फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बर्खास्तगी का निर्णय विभागीय जांच के बाद ही लिया जा सकता है, और बिना जांच के की गई कार्रवाई अवैध मानी जाएगी। कोर्ट ने बीएसए को आदेश दिया कि वह दो महीने के भीतर नए सिरे से मामले की समीक्षा करें और फिर उचित निर्णय लें।

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सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा

यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल स्थापित करता है। अदालत ने इस फैसले के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को बिना उचित प्रक्रिया अपनाए नौकरी से नहीं निकाला जा सकता। विभागीय जांच एक अनिवार्य प्रक्रिया है, जो यह सुनिश्चित करती है कि कर्मचारी को निष्पक्ष रूप से सुना जाए और उसे अपनी बात रखने का मौका मिले।

कानूनी विशेषज्ञों की राय

इस फैसले के बाद कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 311(2) का मुख्य उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को मनमानी कार्रवाई से बचाना है। यह फैसला उन मामलों में विशेष रूप से प्रभावी होगा, जहां कर्मचारियों को बिना किसी सुनवाई के सीधे बर्खास्त कर दिया जाता है।

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