
प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले कर्मचारी हर महीने ईपीएफओ (EPFO) में योगदान करते हैं। इसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का कॉन्ट्रीब्यूशन शामिल होता है। यह योगदान दो हिस्सों में बंटता है – एक हिस्सा रिटायरमेंट फंड में जाता है और दूसरा ईपीएस (Employee Pension Scheme) में। ईपीएस के जरिए ही कर्मचारियों को बुढ़ापे में पेंशन मिलती है। इसके अलावा, अटल पेंशन योजना (APY) भी एक ऐसा विकल्प है, जो रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम सुनिश्चित करती है। आइए जानते हैं इन योजनाओं के बारे में विस्तार से।
यह भी देखें: घर खरीदें या किराए पर रहें? एक्सपर्ट्स का जवाब आपको हैरान कर देगा!
बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए ईपीएफओ (EPFO) और अटल पेंशन योजना (APY) दोनों ही बेहतरीन विकल्प हैं। ईपीएफओ में जहां कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान होता है, वहीं अटल पेंशन योजना में निवेशक को स्वयं अंशदान करना होता है। दोनों योजनाओं के लाभ और पात्रता के अनुसार, निवेशकों को अपनी आवश्यकताओं और वित्तीय स्थिति को देखते हुए सही विकल्प चुनना चाहिए।
ईपीएफओ (EPFO) में कॉन्ट्रीब्यूशन और पेंशन का फायदा
ईपीएफओ (EPFO) में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान होता है। इसमें 12% कर्मचारी और 12% नियोक्ता की सैलरी का हिस्सा शामिल होता है। इसमें से एक हिस्सा रिटायरमेंट फंड में जाता है और दूसरा ईपीएस (Employee Pension Scheme) में।
ईपीएस में यदि कोई कर्मचारी कम से कम 10 सालों तक लगातार योगदान करता है, तो वह रिटायरमेंट की उम्र पर पेंशन पाने का हकदार हो जाता है। यह पेंशन कर्मचारी के कॉन्ट्रीब्यूशन और सेवा अवधि पर निर्भर करती है। इसके तहत कर्मचारी को जीवनभर पेंशन मिलती है, जो उनके रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है।
ईपीएफओ में पेंशन की पात्रता और लाभ
- पेंशन पात्रता: कम से कम 10 सालों तक लगातार ईपीएस में योगदान।
- पेंशन शुरू होने की उम्र: रिटायरमेंट की उम्र, जो आमतौर पर 58 वर्ष होती है।
- पेंशन की राशि: यह कर्मचारी के योगदान और सेवा अवधि पर निर्भर करती है।
- आर्थिक सुरक्षा: यह पेंशन रिटायरमेंट के बाद एक नियमित आय का स्रोत बनती है, जिससे कर्मचारी बुढ़ापे में आत्मनिर्भर रह सकता है।
यह भी देखें: खत्म हुआ इंतजार! भारत में धमाकेदार एंट्री कर रही है Tesla, जानें कीमत और फीचर्स
अटल पेंशन योजना (APY) से बुढ़ापे की पेंशन का प्रबंध
अटल पेंशन योजना (APY) उन लोगों के लिए है, जो टैक्सपेयर्स नहीं हैं और असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। यह योजना 18 से 40 साल तक की उम्र के लोगों के लिए उपलब्ध है। इसमें निवेशक को हर महीने 60 साल की उम्र तक अंशदान करना होता है, जिसके बाद उन्हें 1000 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक की मासिक पेंशन मिलती है।
अटल पेंशन योजना के प्रमुख लाभ
- उम्र सीमा: 18 से 40 साल के लोग इसमें शामिल हो सकते हैं।
- नियमित अंशदान: 60 साल की उम्र तक हर महीने अंशदान देना होता है।
- मासिक पेंशन: 60 साल के बाद 1000 से 5000 रुपए तक की मासिक पेंशन मिलती है।
- पेंशन राशि का निर्धारण: जितनी अधिक पेंशन चाहिए, उतना ही अधिक अंशदान देना होता है।
- आर्थिक सुरक्षा: यह योजना असंगठित क्षेत्र के लोगों को बुढ़ापे में नियमित आय का साधन प्रदान करती है।
यह भी देखें: Traffic Challan: कैमरे ने चुपके से काट दिया आपका चालान? घर बैठे ऐसे मिनटों में करें ऑनलाइन चेक!
ईपीएफओ और अटल पेंशन योजना में अंतर
बिंदु | ईपीएफओ (EPFO) | अटल पेंशन योजना (APY) |
---|---|---|
लक्ष्य समूह | प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले | असंगठित क्षेत्र के कामगार और गैर-टैक्सपेयर |
योगदान करने वाले | कर्मचारी और नियोक्ता दोनों | केवल निवेशक स्वयं |
पेंशन की उम्र | 58 वर्ष | 60 वर्ष |
मासिक पेंशन | कर्मचारी के कॉन्ट्रीब्यूशन पर निर्भर | 1000 से 5000 रुपए तक |
पात्रता | कम से कम 10 साल का योगदान | 18 से 40 साल के बीच की उम्र में निवेश |
किसके लिए बेहतर है कौन सी योजना?
- ईपीएफओ (EPFO): यह योजना उन लोगों के लिए उपयुक्त है, जो प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करते हैं और वेतन का एक हिस्सा नियमित रूप से रिटायरमेंट फंड में निवेश कर सकते हैं।
- अटल पेंशन योजना (APY): यह योजना असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए बेहतर है, जो टैक्सपेयर्स नहीं हैं और बुढ़ापे में नियमित आय का साधन चाहते हैं।