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Smart Bijli Meter पर सरकार का बड़ा फैसला! इन इलाकों में नहीं होंगे इंस्टॉल, जानें वजह

क्या सरकार सच में जबरदस्ती थोप रही है Smart Meter? विपक्ष का बड़ा आरोप! क्या आपको हर महीने 13 बार बिल चुकाना पड़ेगा? जानें पूरा सच और वो राज़ जो आपको अब तक नहीं पता था! स्मार्ट मीटर लगाने के फैसले पर मचा घमासान, आखिर क्यों नाराज है जनता? पढ़ें पूरी खबर और जानें इसकी अंदर की कहानी

By Saloni uniyal
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Smart Bijli Meter पर सरकार का बड़ा फैसला! इन इलाकों में नहीं होंगे इंस्टॉल, जानें वजह
Smart Bijli Meter पर सरकार का बड़ा फैसला! इन इलाकों में नहीं होंगे इंस्टॉल, जानें वजह

उत्तराखंड में Smart Bijli Meter लगाने की योजना को लेकर सरकार ने स्पष्ट किया है कि ये मीटर फिलहाल उन पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं लगाए जाएंगे, जहां इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध नहीं है। संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा में बताया कि यह योजना देशव्यापी स्तर पर लागू की जा रही है, जिसका उद्देश्य रियल टाइम में बिजली की खपत को ट्रैक करना है। इसके तहत उपभोक्ताओं को उनके द्वारा इस्तेमाल की गई बिजली के आधार पर ही बिजली बिल का भुगतान करना होगा।

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स्मार्ट मीटर: प्रीपेड नहीं, पोस्टपेड मोड पर होंगे लागू

सरकार ने स्पष्ट किया है कि ये स्मार्ट मीटर प्रीपेड (Prepaid) नहीं बल्कि पोस्टपेड (Postpaid) मोड पर ही लगाए जाएंगे। इस तकनीक के जरिए ऑनलाइन रीडिंग से बिजली चोरी पर लगाम लगेगी और बिलिंग प्रक्रिया में भी पारदर्शिता आएगी। लेकिन सरकार के इस फैसले से असंतुष्ट विपक्ष ने विधानसभा से बहिर्गमन किया और स्मार्ट मीटर लगाने के विरोध में सदन के बाहर धरना प्रदर्शन भी किया।

कांग्रेस का विरोध: जबरन थोपने का आरोप

कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया है कि स्मार्ट मीटर को जबरन थोपने की कोशिश की जा रही है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सदन में कहा कि पहले डिजिटल मीटर लगाए गए थे, जिनमें भ्रष्टाचार की शिकायतें आई थीं। अब फिर से इन्हें बदलने का निर्णय लिया गया है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने अदाणी समूह को प्रीपेड मीटर लगाने का ठेका सौंप दिया है, जिससे कंपनियों को मनमाना दबाव बनाने का अधिकार मिल जाएगा।

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नेटवर्क समस्या और बिलिंग के मुद्दे पर चिंता

कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि जहां इंटरनेट कनेक्शन नहीं होगा, वहां स्मार्ट मीटर का उपयोग कैसे संभव होगा। इसके अलावा, उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा कि इन मीटरों में 28 दिन में बिलिंग की सुविधा होगी, जिससे उपभोक्ताओं को 12 महीने की जगह 13 महीने का बिल भरना पड़ेगा।

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2027 करोड़ का ठेका और पारदर्शिता पर सवाल

विधायक तिलकराज बेहड़ ने बताया कि सरकार ने गढ़वाल और कुमाऊं में अलग-अलग कंपनियों को 2027 करोड़ की लागत से स्मार्ट मीटर लगाने का ठेका दिया है। गढ़वाल में यह ठेका जेनेसिस कंपनी को दिया गया है, जिस पर ईडी का छापा पड़ा था और उसके दो अधिकारी जेल में हैं। विपक्ष ने ठेका प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।

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सरकार का पक्ष: चोरी पर लगेगी रोक, बिलिंग होगी आसान

संसदीय कार्य मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि स्मार्ट मीटर लगाने से बिजली चोरी पर रोक लगेगी और ऑनलाइन रीडिंग से बिलिंग की समस्या समाप्त होगी। उन्होंने कहा कि ठेका देने की प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती गई है और सरकार ने सोच-समझ कर यह निर्णय लिया है।

भविष्य की योजनाएं और चुनौतियां

सरकार की योजना के तहत देशव्यापी स्तर पर स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड के पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्शन की कमी एक बड़ी चुनौती है। इन क्षेत्रों में मीटर लगाने का काम फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि ये मीटर प्रीपेड नहीं बल्कि पोस्टपेड मोड पर ही लगाए जाएंगे, जिससे उपभोक्ताओं को रिचार्ज की समस्या नहीं होगी।

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