
बेंगलुरु की एक उपभोक्ता अदालत ने पीवीआर सिनेमाज और आईनॉक्स पर फिल्म की स्क्रीनिंग से पहले लंबे विज्ञापन दिखाने के लिए ₹1 लाख का जुर्माना लगाया है। अदालत ने आदेश दिया है कि सिनेमाघर अपने टिकटों पर फिल्म के वास्तविक प्रारंभ समय को स्पष्ट रूप से अंकित करें, ताकि दर्शकों का समय अनावश्यक विज्ञापनों में बर्बाद न हो।
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बेंगलुरु की उपभोक्ता अदालत का यह फैसला सिनेमाघरों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि वे दर्शकों के समय का सम्मान करें और फिल्म के वास्तविक प्रारंभ समय को स्पष्ट रूप से टिकट पर अंकित करें। यह निर्णय उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम है और उम्मीद है कि अन्य सिनेमाघर भी इससे सीख लेंगे।
मामला क्या है?
बेंगलुरु निवासी अभिषेक एम.आर. ने शिकायत दर्ज कराई कि उन्होंने 26 दिसंबर 2023 को शाम 4:05 बजे का शो ‘सैम बहादुर’ देखने के लिए तीन टिकट बुक किए थे। हालांकि, फिल्म वास्तविक रूप से शाम 4:30 बजे शुरू हुई, क्योंकि पहले 25 मिनट तक विज्ञापन और फिल्म ट्रेलर दिखाए गए। इस देरी के कारण उनका शेड्यूल प्रभावित हुआ और अन्य निर्धारित कार्यों में बाधा आई।
अदालत का निर्णय
अदालत ने पीवीआर सिनेमाज और आईनॉक्स को निर्देश दिया कि वे शिकायतकर्ता को समय की बर्बादी के लिए ₹50,000, मानसिक पीड़ा के लिए ₹5,000, और शिकायत दर्ज करने के खर्च के लिए ₹10,000 का भुगतान करें। साथ ही, उपभोक्ता कल्याण कोष में ₹1 लाख का जुर्माना जमा करने का आदेश दिया गया है।
अदालत की टिप्पणी
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “तेज रफ्तार जिंदगी में समय बहुत कीमती है, और कोई भी व्यवसाय उपभोक्ताओं के समय और पैसे का अनुचित लाभ नहीं उठा सकता।” अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सार्वजनिक सेवा घोषणाएँ (PSA) अधिकतम 10 मिनट तक ही होनी चाहिए और इन्हें फिल्म शुरू होने से पहले या इंटरवल के दौरान दिखाया जाना चाहिए।
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बचाव पक्ष की दलील
पीवीआर सिनेमाज और आईनॉक्स ने अपने बचाव में कहा कि कानून के तहत जागरूकता फैलाने के लिए कुछ सार्वजनिक सेवा घोषणाएँ दिखाना उनकी जिम्मेदारी है। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि ये घोषणाएँ अधिकतम 10 मिनट तक ही सीमित होनी चाहिए।
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उपभोक्ताओं के लिए संदेश
यह निर्णय उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सुनिश्चित करता है कि सिनेमाघर दर्शकों के समय का सम्मान करें और अनावश्यक विज्ञापनों के माध्यम से उन्हें असुविधा न पहुंचाएँ।