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भारत में भ्रष्टाचार बढ़ा! ग्लोबल रैंकिंग में कितने पायदान फिसला देश? जानें पूरी रिपोर्ट

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट ने खोली पोल – जानिए भारत का स्कोर, पड़ोसी देशों से तुलना और भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए क्या कर रही है सरकार?

By Saloni uniyal
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CPI मुख्य रूप से सरकारी और सार्वजनिक संस्थानों में भ्रष्टाचार के स्तर को मापता है। यह सूचकांक वैश्विक स्तर पर पारदर्शिता और प्रशासनिक स्वच्छता का आकलन करने में मदद करता है। भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण संकेतक है, क्योंकि यह दिखाता है कि सरकारी नीतियां और सुधार भ्रष्टाचार पर किस हद तक नियंत्रण स्थापित कर पा रहे हैं।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी 2025 के भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI) के अनुसार, भारत को 180 देशों में से 94वां स्थान प्राप्त हुआ है। यह पिछले वर्ष की तुलना में मामूली सुधार को दर्शाता है, जब भारत 96वें स्थान पर था। हालांकि, भारत का स्कोर 38 से बढ़कर 40 हो गया है, लेकिन यह अभी भी एक संकेत है कि देश को भ्रष्टाचार के खिलाफ और अधिक प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।

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कैसे मापा जाता है भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक?

CPI को 0 से 100 के स्केल पर मापा जाता है, जहां 0 का मतलब है अत्यधिक भ्रष्टाचार और 100 का अर्थ है पूरी तरह से पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन। यह सूचकांक निम्नलिखित कारकों के आधार पर तैयार किया जाता है:

  • रिश्वतखोरी और सार्वजनिक कार्यालयों का निजी लाभ के लिए दुरुपयोग
  • सरकारी धन का अपव्यय और अनुचित आवंटन
  • भ्रष्टाचार को रोकने की क्षमता और नीति निर्माण में पारदर्शिता
  • भाई-भतीजावाद और प्रशासनिक लालफीताशाही

CPI के लिए डेटा स्रोत विश्व बैंक, विश्व आर्थिक मंच और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा एकत्रित किए जाते हैं, जो विभिन्न देशों में सार्वजनिक क्षेत्र की पारदर्शिता का विश्लेषण करते हैं।

भारत की वैश्विक स्थिति और पड़ोसी देशों की तुलना

2025 के CPI में भारत का स्कोर 40 तक पहुंचा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, यह अभी भी भ्रष्टाचार मुक्त देशों की श्रेणी से बहुत दूर है।

भारत के पड़ोसी देशों की बात करें तो:

  • पाकिस्तान का स्कोर 28 रहा, जो इसे अत्यधिक भ्रष्ट देशों की श्रेणी में रखता है।
  • श्रीलंका का स्कोर 34 है, जो भारत से कम है लेकिन सुधार की ओर बढ़ रहा है।
  • चीन का स्कोर 46 तक पहुंचा है, जो प्रशासनिक सख्ती और पारदर्शिता की ओर इशारा करता है।
  • बांग्लादेश का स्कोर 29 रहा, जो गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है।

2025 CPI में सबसे पारदर्शी और सबसे भ्रष्ट देश

शीर्ष 5 सबसे पारदर्शी देश:

इन देशों ने सरकारी पारदर्शिता और प्रशासनिक स्वच्छता में सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। यहां सार्वजनिक संस्थानों में भ्रष्टाचार का स्तर बेहद कम है।

  1. डेनमार्क
  2. फिनलैंड
  3. न्यूजीलैंड
  4. नॉर्वे
  5. सिंगापुर

निचले 5 सबसे भ्रष्ट देश:

इन देशों में भ्रष्टाचार का स्तर अत्यधिक गंभीर है, जो शासन और आर्थिक विकास को प्रभावित कर रहा है।

  1. दक्षिण सूडान
  2. सीरिया
  3. सोमालिया
  4. वेनेजुएला
  5. यमन

भारत में भ्रष्टाचार के प्रमुख कारण और चुनौतियां

भारत में भ्रष्टाचार के प्रमुख कारणों में नौकरशाही में पारदर्शिता की कमी, धीमी न्याय प्रक्रिया, राजनीतिक हस्तक्षेप, और प्रभावी नीतियों का अभाव शामिल हैं। हालांकि, सरकार ने भ्रष्टाचार को कम करने के लिए डिजिटलीकरण, कड़े कानून, और पारदर्शी नीतियों को अपनाने की दिशा में प्रयास किए हैं, लेकिन अभी और सुधार की आवश्यकता है।

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भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन के बीच संबंध

2025 की CPI रिपोर्ट में एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह भी दिया गया है कि भ्रष्टाचार का प्रभाव जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों पर भी पड़ता है। जब भ्रष्टाचार के कारण जलवायु नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जाता, तो इससे पर्यावरणीय संकट और संसाधनों की बर्बादी बढ़ जाती है।

क्या हो सकते हैं समाधान?

भारत में भ्रष्टाचार कम करने के लिए सरकार और नागरिकों को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। इसके लिए आवश्यक कदम हो सकते हैं:

  • कड़े भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों को लागू करना
  • डिजिटल ट्रांसपेरेंसी बढ़ाना
  • रिश्वतखोरी को रोकने के लिए सख्त दंड व्यवस्था लागू करना
  • सरकारी खर्चों और नीतियों में पूर्ण पारदर्शिता लाना
  • जनता को भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करना

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