
मंदिर में घंटी कब बजानी चाहिए – यह सवाल हर भक्त के मन में कभी न कभी जरूर आता है। मंदिर में बजाई जाने वाली घंटी का न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक महत्व भी है। हालांकि, यह हर समय बजाना उचित नहीं माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, घंटी बजाने के भी नियम निर्धारित हैं और यदि इन्हें न माना जाए तो धार्मिक दृष्टि से दोष का भागी बनना पड़ सकता है।
ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स के अनुसार, घंटी केवल भगवान को प्रसन्न करने या ध्यान आकर्षित करने के लिए नहीं होती, बल्कि इसके पीछे गहन धार्मिक और मानसिक कारण छिपे हुए हैं। आइये विस्तार से समझते हैं मंदिर में घंटी कब और कैसे बजानी चाहिए, कब इससे बचना चाहिए और इसके पीछे की मान्यता क्या है।
मंदिर में घंटी बजाने का सही समय
जब कोई श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश करता है, तो सबसे पहले उसे घंटी बजानी चाहिए। यह न केवल एक परंपरा है, बल्कि यह दर्शाता है कि भक्त भगवान की उपस्थिति में आ चुका है। घंटी बजाने से वातावरण शुद्ध होता है और पूजा के लिए एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
इसके अलावा, जब मंदिर में भगवान की आरती हो रही होती है, उस समय लयबद्ध तरीके से घंटी बजाना अत्यंत शुभ माना गया है। यह भक्त और भगवान के बीच एक विशेष ऊर्जा संचार स्थापित करता है।
भगवान को भोग लगाते समय और उन्हें सुलाते समय भी घंटी बजाना शास्त्रसम्मत बताया गया है। इससे भगवान की सेवा पूर्ण मानी जाती है और यह एक प्रकार की नित्य सेवा का हिस्सा है।
कब नहीं बजानी चाहिए मंदिर की घंटी
जहां एक ओर घंटी बजाने के कई शुभ समय बताए गए हैं, वहीं कुछ अवसरों पर घंटी बजाना वर्जित भी माना गया है। उदाहरण के लिए, जब मंदिर में कोई विशेष ध्यान, जाप या मौन साधना चल रही हो, तब घंटी बजाने से उस एकाग्रता में विघ्न पड़ता है।
इसके अलावा, रात्रि के समय (विशेषकर मध्य रात्रि के बाद) बिना कारण घंटी बजाना अनुचित माना गया है, क्योंकि यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से दोषपूर्ण हो सकता है बल्कि अन्य भक्तों की शांति में भी बाधा उत्पन्न कर सकता है।
घंटी बजाने का शास्त्रीय तरीका
घंटी बजाने के पीछे केवल ध्वनि उत्पन्न करना ही उद्देश्य नहीं होता। इसे बजाने का एक विशेष शास्त्रीय तरीका है। मंदिर में प्रवेश करते ही पहले घंटी को धीरे से, फिर एक निश्चित लय में बजाया जाता है ताकि वह ध्वनि पूरे मंदिर परिसर में गूंज सके।
घंटी बजाते समय मन को एकाग्र कर भगवान के नाम का स्मरण करना चाहिए। इससे घंटी की ध्वनि के साथ एक आध्यात्मिक तरंग उत्पन्न होती है जो मानसिक शांति प्रदान करती है।
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घंटी बजाने से होने वाले लाभ
धार्मिक मान्यता के अनुसार, घंटी की ध्वनि नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और वातावरण को पवित्र बनाती है। साथ ही, यह मन और मस्तिष्क को एकाग्र करने में भी सहायक होती है।
वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखें तो घंटी की आवाज़ मस्तिष्क की तरंगों को एक विशेष आवृत्ति पर लाकर ध्यान की स्थिति उत्पन्न करती है। यह व्यक्ति के तनाव को कम करती है और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है।
घंटी की ध्वनि से उत्पन्न ध्वनि तरंगें सकारात्मक कंपन उत्पन्न करती हैं, जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और पूजा का वातावरण अधिक आध्यात्मिक बनता है।
घर में पूजा के दौरान घंटी का प्रयोग
केवल मंदिरों में ही नहीं, बल्कि घरों में पूजा करते समय भी घंटी बजाने की परंपरा है। घर की पूजा में घंटी बजाने से वह स्थान पवित्र होता है और देवताओं की कृपा बनी रहती है।
विशेष रूप से सुबह और शाम की पूजा में घंटी बजाना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वातावरण बनता है।