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फोन को चार्ज करने में लगता है कितना बिजली बिल? जानिए कितनी यूनिट खपत और कैसे करें बचत

फोन चार्ज करने से बढ़ रहा है बिजली बिल? जानिए सच्चाई जो आपके पैसे बचा सकती है! हर दिन फोन चार्ज करते हैं? तो जान लीजिए कितनी यूनिट बिजली खर्च होती है और साल भर में कितना बढ़ सकता है बिल। साथ ही, जानें ऐसे आसान ट्रिक जिससे आप कर सकते हैं बचत पैसे की भी और बिजली की भी!

By Saloni uniyal
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फोन को चार्ज करने में लगता है कितना बिजली बिल? जानिए कितनी यूनिट खपत और कैसे करें बचत
फोन को चार्ज करने में लगता है कितना बिजली बिल? जानिए कितनी यूनिट खपत और कैसे करें बचत

आज के दौर में स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। हर दिन इसका इस्तेमाल करना और उसे चार्ज करना एक आम प्रक्रिया है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि Mobile Charging से बिजली का बिल कितना बढ़ता है? क्या रोजाना फोन चार्ज करने से आपकी जेब पर असर पड़ता है? अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो यह जानकारी आपके लिए है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि एक फोन को पूरी तरह चार्ज करने में कितनी बिजली (Electricity Consumption) लगती है और इससे सालभर में बिजली के बिल (Electricity Bill) पर कितना असर पड़ता है।

फोन चार्जिंग में कितनी बिजली खर्च होती है?

सामान्यत: जो चार्जर आजकल इस्तेमाल किए जाते हैं, उनकी पावर रेटिंग 5 वॉट से लेकर 20 वॉट तक होती है। अधिकांश स्मार्टफोन यूजर्स 10 वॉट या 18-20 वॉट के फास्ट चार्जर का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप 10 वॉट के चार्जर से अपने फोन को चार्ज करते हैं और उसे फुल चार्ज होने में लगभग 2 घंटे का समय लगता है, तो कुल बिजली की खपत होती है:

10 वॉट × 2 घंटे = 20 वॉट-आवर यानी 20 Wh
1 यूनिट बिजली = 1000 Wh
तो, 20 Wh = 0.02 यूनिट (kWh)

इसका मतलब हुआ कि एक बार फोन को फुल चार्ज करने में केवल 0.02 यूनिट बिजली खर्च होती है, जो बेहद मामूली है।

साल भर में कितनी बिजली की खपत होती है?

अब अगर आप रोजाना एक बार अपने स्मार्टफोन को फुल चार्ज करते हैं, तो पूरे साल में कुल खपत होगी:

0.02 यूनिट × 365 दिन = 7.3 यूनिट

अगर हम इसे थोड़ा ऊपर-नीचे करके देखें, तो यह आंकड़ा 7 से 10 यूनिट सालाना पहुंचता है। अब अगर आपके इलाके में बिजली की दर 7 रुपये प्रति यूनिट है, तो सालभर में फोन चार्ज करने पर अधिकतम खर्च होता है:

10 यूनिट × ₹7 = ₹70

यानी सालभर में मोबाइल चार्जिंग से आपके बिजली के बिल में सिर्फ ₹70 तक का इजाफा होता है।

स्टैंडबाय पावर: छुपा हुआ खर्च

कई लोग फोन चार्ज होने के बाद भी चार्जर को प्लग में ही लगे रहने देते हैं। ये आदत छोटी जरूर है, लेकिन इससे स्टैंडबाय पावर की खपत होती है। हालांकि यह खपत 0.5 से 1 वॉट के बीच होती है, लेकिन जब यह हर दिन और हर घंटे होती है, तो इसका असर कुल खपत पर पड़ता है।

अगर आप चार्जर को सालभर प्लग में ही लगे रहने देते हैं, तो यह अकेले ही 2 से 4 यूनिट तक की बिजली खर्च कर सकता है। यानी यह आदत आपके सालाना बिजली बिल में ₹15 से ₹30 तक की बढ़ोतरी कर सकती है।

फास्ट चार्जिंग बनाम नॉर्मल चार्जिंग

आजकल अधिकतर लोग फास्ट चार्जर का उपयोग कर रहे हैं, जिनकी पावर रेटिंग 18 वॉट से ऊपर होती है। इससे फोन जल्दी तो चार्ज होता है, लेकिन बिजली की खपत भी थोड़ी ज्यादा होती है। उदाहरण के लिए अगर आप 20 वॉट के चार्जर से फोन को 1.5 घंटे में चार्ज करते हैं, तो:

20 वॉट × 1.5 घंटे = 30 Wh = 0.03 यूनिट

इस हिसाब से सालभर में खर्च बढ़कर 10.95 यूनिट यानी ₹77 तक पहुंच सकता है। हालांकि यह अंतर बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन जानकारी में होना जरूरी है।

बिजली बचाने के आसान उपाय

फोन चार्जिंग के दौरान बिजली की बचत करना संभव है। इसके लिए कुछ सरल उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  • चार्जिंग पूरी होने के बाद चार्जर को प्लग से निकालें
  • पुराने चार्जर की जगह नया और Energy Efficient Charger इस्तेमाल करें
  • सोलर पावर या Renewable Energy आधारित चार्जिंग समाधान अपनाएं
  • एक मल्टीपल डिवाइस चार्जिंग स्टेशन का उपयोग करें जिससे बिजली की दक्षता बढ़े

फोन चार्जिंग से बिजली बिल पर कितना असर?

अगर आंकड़ों की बात करें तो एक औसत स्मार्टफोन को रोजाना चार्ज करने से साल भर में महज 7 से 10 यूनिट बिजली खर्च होती है, जिससे बिजली के बिल पर ₹70 तक का फर्क पड़ता है। यानी Mobile Charging से आपके बिजली के खर्च पर बहुत ही मामूली असर पड़ता है। लेकिन अगर चार्जर को लगातार प्लग में ही लगे रहने दिया जाए तो ये खर्च कुछ यूनिट और बढ़ सकता है।

इसलिए, स्मार्ट तरीके से चार्जिंग करना न सिर्फ आपके बिजली बिल को कंट्रोल में रखता है, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी एक सकारात्मक कदम है।

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