
Bank Nominee Rules केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह आपके प्रियजनों को भविष्य में वित्तीय असुरक्षा से बचाने का एक सशक्त तरीका है। धन-संपत्ति बनाना सिर्फ सेविंग्स और निवेश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि आपकी अनुपस्थिति में आपके परिजन आपकी संपत्ति तक आसानी से पहुंच सकें। बैंक खाता, फिक्स्ड डिपॉज़िट, म्यूचुअल फंड या बीमा पॉलिसी में नामांकन की व्यवस्था इसी मकसद से की गई है।
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Bank Nominee Rules का पालन करना हर निवेशक और खाताधारक के लिए अनिवार्य है। यह आपकी वित्तीय योजना का वह महत्वपूर्ण हिस्सा है जो सुनिश्चित करता है कि आपके परिजनों को आपकी अनुपस्थिति में किसी प्रकार की आर्थिक कठिनाई का सामना न करना पड़े।
भारत में नामांकन के नियम
भारत में नामांकन को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश मौजूद हैं, जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा समय-समय पर परिभाषित किया गया है। नए नियमों के तहत, बैंक खाताधारक अब बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक के अनुसार अपने खाते में चार तक नामांकित व्यक्ति जोड़ सकते हैं।
म्यूचुअल फंड में एक फोलियो पर अधिकतम तीन नामांकित व्यक्ति जोड़े जा सकते हैं। बीमा पॉलिसी में भी एक से अधिक नामांकित व्यक्तियों का प्रावधान है, हालांकि अंतिम दावा करने का अधिकार कानूनी उत्तराधिकारी के पास रहता है।
नामांकन क्यों है महत्वपूर्ण
नामांकन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आपके निधन के बाद आपकी वित्तीय संपत्तियां बिना किसी कानूनी जटिलता के आपके नामांकित व्यक्ति को स्थानांतरित हो जाएं। यदि आपने सही ढंग से नामांकन नहीं कराया है, तो आपके परिवार को न केवल भावनात्मक सदमे से गुजरना पड़ेगा, बल्कि आर्थिक असुरक्षा का भी सामना करना पड़ सकता है।
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बिना नामांकन के संपत्ति के हस्तांतरण में कई महीनों से लेकर वर्षों तक का समय लग सकता है और इस दौरान कोर्ट के आदेश, उत्तराधिकार प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ती है।
नामांकित व्यक्ति न होने पर क्या होता है
भारत में बिना दावा किए बैंक जमा एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो 78,213 करोड़ रुपये से अधिक तक पहुंच गई है। जब बैंक खाता, म्यूचुअल फंड या बीमा पॉलिसी में नामांकित व्यक्ति नहीं होता, तो मृतक के परिवार को संपत्ति प्राप्त करने के लिए जटिल कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
अक्सर परिवार के सदस्य यह भी नहीं जानते कि मृतक ने कहां-कहां निवेश कर रखा था, जिससे उनकी मेहनत की कमाई का फायदा नहीं मिल पाता। इसलिए, नामांकन एक आसान और प्रभावी उपाय है जिससे इस समस्या से बचा जा सकता है।
कौन हो सकता है नामांकित व्यक्ति
कोई भी विश्वसनीय व्यक्ति जैसे कि जीवनसाथी, माता-पिता, संतान, भाई-बहन या मित्र को नामांकित किया जा सकता है। जरूरी नहीं कि नामांकित व्यक्ति कानूनी उत्तराधिकारी हो।
हालांकि, अगर उत्तराधिकार कानून के अनुसार किसी और का हक बनता है, तो नामांकित व्यक्ति संपत्ति का केवल संरक्षक माना जाएगा, असली मालिक नहीं। ऐसे मामलों में कोर्ट का हस्तक्षेप भी संभव है।
एक से अधिक नामांकित व्यक्ति होने के फायदे
जब आपके कई आश्रित हों, तो एक से अधिक नामांकित व्यक्ति रखने से संपत्ति का संतुलित वितरण सुनिश्चित किया जा सकता है। इससे न केवल सभी परिजनों को बराबरी से आर्थिक सुरक्षा मिलती है, बल्कि भविष्य में कानूनी विवाद की संभावना भी कम हो जाती है।
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उदाहरण के लिए, अगर किसी बीमा पॉलिसी में जीवनसाथी और बच्चों दोनों को नामांकित किया गया है और उनके हिस्से स्पष्ट किए गए हैं, तो भुगतान उनके बीच विभाजित हो जाता है। इससे पारिवारिक तनाव भी टलता है।
एक से अधिक नामांकित व्यक्ति होने के नुकसान
जहां एक ओर एक से अधिक नामांकित व्यक्ति रखने के फायदे हैं, वहीं कुछ चुनौतियां भी हैं। यदि आप यह स्पष्ट नहीं करते कि किसे कितना हिस्सा मिलेगा, तो विवाद की स्थिति बन सकती है।
म्यूचुअल फंड में यदि वितरण प्रतिशत तय नहीं है, तो सामान्यतः राशि को बराबर बांट दिया जाता है। लेकिन अगर कानूनी उत्तराधिकारी इस पर आपत्ति जताते हैं, तो भुगतान प्रक्रिया लंबी खिंच सकती है। इसके अलावा, नामांकित व्यक्ति अंतिम मालिक नहीं होता, केवल संरक्षक होता है, जिससे संपत्ति के असली अधिकार को लेकर जटिलता उत्पन्न हो सकती है।
नामांकित व्यक्ति चुनते समय ध्यान देने योग्य बातें
नामांकन एक बार का कार्य नहीं है, बल्कि इसे समय-समय पर अपडेट करना आवश्यक है। जीवन में आने वाले बड़े बदलाव जैसे शादी, तलाक, बच्चे का जन्म आदि के बाद नामांकन विवरणों को संशोधित करना जरूरी है।
अगर अपडेट नहीं किया गया, तो संपत्ति का गलत व्यक्ति तक पहुंचना संभव है। उदाहरण के लिए, यदि तलाक के बाद बीमा पॉलिसी में नामांकित व्यक्ति को नहीं बदला गया, तो भुगतान पूर्व जीवनसाथी को हो सकता है। परिवार के सदस्यों को नामांकन की जानकारी देना भी जरूरी है ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में भ्रम की स्थिति न बने।