
हिमाचल प्रदेश में चल रही एचपी शिवा परियोजना (HP Shiva Project) के तहत सोलर पैनल (Solar Panel) लगाने वाली कंपनियों पर सरकार ने सख्त रवैया अपनाया है। निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप कार्य न करने के चलते इन कंपनियों पर पेनल्टी (Penalty) लगाने के आदेश दिए गए हैं। बागबानी और राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बुधवार को सचिवालय में हुई गवर्निंग काउंसिल की बैठक में इस आशय के निर्देश जारी किए। बैठक में परियोजना के क्रियान्वयन, वित्तीय खर्च, आगामी योजनाओं और डिजिटल एकीकरण जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई।
एशियन विकास बैंक के सहयोग से चल रही है 1292 करोड़ की एचपी शिवा परियोजना
एचपी शिवा परियोजना एशियन विकास बैंक (ADB) के सहयोग से प्रदेश के सात जिलों में चलाई जा रही है। इस परियोजना की कुल लागत 1292 करोड़ रुपये है, जिसमें से 1030 करोड़ रुपये एडीबी का ऋण और 262 करोड़ रुपये राज्य सरकार का अंशदान है। अब तक इस परियोजना के तहत 190 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
परियोजना का उद्देश्य बागवानी क्षेत्र का सशक्तिकरण करना, किसानों को Renewable Energy आधारित समाधानों से जोड़ना और उत्पादन की गुणवत्ता व ट्रैकिंग सुनिश्चित करना है।
2750 हेक्टेयर भूमि पर जून 2025 तक पूरा करना है सोलर फेंसिंग का कार्य
परियोजना के अंतर्गत कुल 4000 हेक्टेयर भूमि पर सोलर फेंसिंग (Solar Fencing) का कार्य प्रस्तावित है, जिसमें से जून 2025 तक 2750 हेक्टेयर भूमि पर कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हालांकि अब तक केवल 828 हेक्टेयर भूमि पर ही कार्य पूरा हो सका है। यह देरी उन फर्मों द्वारा की गई है जो सोलर फेंसिंग और फील्ड तैयारी जैसे कार्यों की जिम्मेदारी निभा रही हैं।
मंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि जो कंपनियां तय समयसीमा के भीतर कार्य पूर्ण नहीं कर रही हैं, उनके खिलाफ अनुबंध की शर्तों के अनुरूप पेनल्टी लगाई जाए।
किसानों को मिलेंगे 1 लाख से अधिक फलदार पौधे, नौणी विवि की अहम भूमिका
बैठक में जानकारी दी गई कि नौणी विश्वविद्यालय द्वारा फरवरी 2026 तक 40-40 हजार प्लम (Plum) और जापानी फल (Japanese Fruit) के पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे। इसके अतिरिक्त वर्ष 2027 तक कुल एक लाख पौधे किसानों को प्रदान किए जाएंगे। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि केवल रूट टाइप पौधे (Root-type Plants) ही किसानों को बांटे जाएं ताकि उनकी उत्पादकता दीर्घकालिक बनी रहे।
कृषि उपकरणों की ब्रांडेड खरीद और तकनीकी नवाचार पर जोर
जगत सिंह नेगी ने कृषि विभाग को निर्देश दिए कि ब्रांडेड कंपनियों से ही पानी में घुलनशील पोषक तत्व (Water-soluble Nutrients) और कीटनाशक की खरीद सुनिश्चित की जाए। साथ ही एचपीएमसी (HPMC) के सहयोग से उच्च तकनीक युक्त स्प्रे किट, पंप और अन्य आधुनिक उपकरणों की खरीद की जाए ताकि किसानों को आधुनिक तकनीक का सीधा लाभ मिल सके।
एआई आधारित डिजिटल प्लेटफॉर्म करेगा बागवानी को स्मार्ट
परियोजना के अंतर्गत एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म (Integrated Digital Platform) विकसित किया जा रहा है जिसमें कृत्रिम मेधा (AI) आधारित 75 प्रकार की सेवाएं किसानों को उपलब्ध करवाई जाएंगी। इन सेवाओं में पौध सुरक्षा, रोग प्रबंधन, मिट्टी की जांच, नमी का स्तर, मौसम पूर्वानुमान, उत्पादन की ट्रेसिंग व ट्रैकिंग, क्षमता निर्माण, और विपणन से जुड़े विकल्प शामिल होंगे। यह डिजिटल प्रणाली किसानों को स्मार्ट फैसले लेने में मददगार होगी।
क्लस्टर किसानों को मिलेगा कार्बन क्रेडिट का सीधा लाभ
बैठक में इस बात पर भी जोर दिया गया कि क्लस्टर आधारित खेती करने वाले किसानों को उनके बागीचों से उत्पन्न होने वाले कार्बन क्रेडिट (Carbon Credit) का सीधा लाभ दिया जाएगा। यह कदम बागवानी क्षेत्र को जलवायु अनुकूल बनाने के साथ-साथ किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत भी प्रदान करेगा।
ड्रिप सिंचाई में देरी पर भी होगी सख्ती, नियमित निरीक्षण के आदेश
मंत्री ने ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण करवाने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि जिन फर्मों द्वारा कार्यों में देरी की जा रही है, उन पर भी तत्काल पेनल्टी लगाई जाए।
इस महत्वपूर्ण बैठक में बागवानी निदेशक विनय सिंह, कृषि निदेशक कुमुद सिंह, सुदेश मोक्टा, सौरभ जस्सल, देवेंद्र ठाकुर, विशाल जसवाल और तुलसी राम शर्मा सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।