
हाल ही में सोशल मीडिया और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि सरकार ₹2000 से अधिक की UPI ट्रांजैक्शन पर 18% जीएसटी-GST लगाने की योजना बना रही है। यह खबर तेजी से वायरल हुई और लोगों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। हालांकि अब यह स्पष्ट हो चुका है कि इस प्रकार का कोई निर्णय सरकार द्वारा नहीं लिया गया है।
सरकार की ओर से कोई भी आधिकारिक अधिसूचना या प्रस्ताव इस विषय में जारी नहीं किया गया है। यह दावा पूरी तरह से असत्य और भ्रामक है, और इसे एक काल्पनिक रिपोर्ट के आधार पर फैलाया गया है, जिसका मकसद केवल सार्वजनिक विमर्श को जन्म देना था, न कि किसी नीति का संकेत देना।
कैसे फैली यह अफवाह?
इस अफवाह की शुरुआत एक ऐसी रिपोर्ट से हुई जिसमें यह प्रश्न उठाया गया था कि अगर भविष्य में UPI ट्रांजैक्शन पर 18% GST लगाया जाए, तो इसका क्या असर होगा। रिपोर्ट में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि यह एक काल्पनिक परिदृश्य है और इसका उद्देश्य सिर्फ चर्चा को प्रेरित करना है।
रिपोर्ट के तथ्यों को अनदेखा करते हुए कई सोशल मीडिया पेजों और वेबसाइट्स ने इसे सरकार की संभावित नीति बताकर प्रस्तुत किया, जिससे लोगों में भ्रम फैल गया।
सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय और NPCI (National Payments Corporation of India) ने इस प्रकार की किसी योजना का खंडन किया है और स्पष्ट किया है कि अभी तक UPI ट्रांजैक्शन पर कोई GST लागू नहीं किया गया है।
वर्तमान में UPI ट्रांजैक्शन पर क्या शुल्क लागू होता है?
सामान्यतः UPI आधारित ट्रांजैक्शन, जो कि बैंक-टू-बैंक होते हैं, उन पर किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लगता। लेकिन अप्रैल 2023 में सरकार ने एक नई व्यवस्था लागू की थी, जो केवल PPI यानी Prepaid Payment Instruments के जरिये होने वाले ट्रांजैक्शन पर लागू होती है।
यदि कोई ग्राहक ₹2000 से अधिक की राशि का भुगतान किसी व्यापारी को PPI के माध्यम से करता है—जैसे कि पेटीएम वॉलेट, फोनपे वॉलेट, अमेज़न पे वॉलेट आदि—तो उस स्थिति में 1.1% का इंटरचेंज शुल्क लागू होता है।
यह शुल्क केवल व्यापारिक लेन-देन (Merchant Transactions) पर लागू होता है, न कि व्यक्तिगत बैंक खातों के बीच ट्रांसफर (Peer-to-Peer या P2P) पर। इससे आम उपभोक्ताओं को कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ता है।
UPI पर GST लगाने की चर्चा क्यों होती रहती है?
भारत में UPI की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। यह भुगतान प्रणाली न केवल तेज और सुरक्षित है, बल्कि आम नागरिकों के लिए निःशुल्क भी है। सरकार और RBI द्वारा इसे बढ़ावा दिया गया है ताकि डिजिटल इंडिया की दिशा में और अधिक प्रगति हो सके।
UPI का उपयोग वर्तमान में लाखों व्यापारी और करोड़ों ग्राहक करते हैं। ऐसे में यह चर्चा समय-समय पर होती रहती है कि सरकार इस सेवा से राजस्व अर्जन का विकल्प तलाश सकती है। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई आधिकारिक पहल नहीं की गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर UPI पर कर लगाया जाता है, तो इससे इसकी लोकप्रियता और उपयोग पर असर पड़ सकता है, जो कि सरकार की डिजिटल इकॉनॉमी की रणनीति के विपरीत होगा।
सरकार की स्थिति क्या है?
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि UPI ट्रांजैक्शन पर फिलहाल किसी प्रकार का GST लगाने की कोई योजना नहीं है।
वित्त मंत्रालय और NPCI की ओर से यह बार-बार कहा गया है कि UPI एक सार्वजनिक डिजिटल सेवा है जिसे नागरिकों को निःशुल्क प्रदान किया जा रहा है और इस व्यवस्था को जारी रखने के लिए सरकार ने बैंकों और भुगतान प्रदाताओं को सहायता देने की भी योजना बनाई है।
सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि UPI का संचालन सुचारु रूप से होता रहे और नागरिकों को इसका भरपूर लाभ मिले।