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रिवर्स मॉर्गेज स्कीम: बुढ़ापे में नहीं चाहिए किसी पर निर्भरता – जानिए कैसे मिलती है हर महीने पेंशन जैसी मदद

अगर रिटायरमेंट के बाद आमदनी का कोई जरिया नहीं है और परिवार भी मददगार नहीं, तो घबराने की जरूरत नहीं! सरकार की रिवर्स मॉर्गेज स्‍कीम आपके घर के बदले हर महीने इनकम दे सकती है – वो भी बिना घर छोड़े। जानिए इस स्कीम के नियम, फायदे और कैसे आप इसमें अप्लाई कर सकते हैं।

By Saloni uniyal
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रिवर्स मॉर्गेज स्कीम: बुढ़ापे में नहीं चाहिए किसी पर निर्भरता – जानिए कैसे मिलती है हर महीने पेंशन जैसी मदद
रिवर्स मॉर्गेज स्कीम: बुढ़ापे में नहीं चाहिए किसी पर निर्भरता – जानिए कैसे मिलती है हर महीने पेंशन जैसी मदद

बुढ़ापे में जब आमदनी के सारे स्रोत बंद हो जाते हैं और बच्‍चों से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल होता है, तब वरिष्ठ नागरिकों के लिए रिवर्स मॉर्गेज स्‍कीम (Reverse Mortgage Scheme) एक बड़ा सहारा बन सकती है। यह स्‍कीम खासतौर पर उन लोगों के लिए है, जिनके पास अपना खुद का घर है लेकिन नियमित इनकम का कोई ज़रिया नहीं है। इस योजना के तहत घर को बैंक या किसी फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन के पास गिरवी रखकर हर महीने एक तय रकम पाई जा सकती है।

रिवर्स मॉर्गेज स्‍कीम क्या है?

रिवर्स मॉर्गेज स्‍कीम को समझने के लिए इसे सामान्य होम लोन से उल्टा मान सकते हैं। जैसे सामान्य लोन में व्यक्ति बैंक से पैसा लेकर हर महीने EMI चुकाता है, ठीक वैसे ही रिवर्स मॉर्गेज में वरिष्ठ नागरिक अपनी प्रॉपर्टी को बैंक के पास गिरवी रखते हैं और बदले में बैंक उन्हें हर महीने एक तयशुदा राशि देता है। यह राशि व्यक्ति की जीवन जरूरतों को पूरा करने में मदद करती है।

इस स्‍कीम की खास बात यह है कि जीवनकाल में व्यक्ति को यह लोन नहीं चुकाना पड़ता। व्यक्ति की मृत्यु के बाद बैंक उस प्रॉपर्टी को बेच सकता है। यदि परिवार वाले चाहें तो बैंक को मकान की पूरी कीमत चुकाकर प्रॉपर्टी वापस ले सकते हैं। बची हुई राशि, अगर कुछ बचती है, तो उसे कानूनी उत्तराधिकारियों को लौटा दिया जाता है।

किन वरिष्ठ नागरिकों को मिल सकता है इस स्कीम का लाभ?

रिवर्स मॉर्गेज स्‍कीम का लाभ वे भारतीय नागरिक ले सकते हैं जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक है। यदि पति-पत्नी दोनों मिलकर इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं तो पत्नी की उम्र कम से कम 58 वर्ष होनी चाहिए। इस योजना के तहत केवल उन्हीं वरिष्ठ नागरिकों को शामिल किया जाता है जिनके पास खुद का रजिस्टर्ड घर या प्रॉपर्टी है।

कितने समय तक मिलता है भुगतान?

बैंक आमतौर पर इस योजना के तहत 10 से 15 वर्षों तक एक निश्चित मासिक भुगतान करते हैं। यह रकम कितनी होगी, यह प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू पर निर्भर करता है। अलग-अलग बैंकों की ब्याज दरें भी अलग-अलग होती हैं और समय-समय पर इनमें बदलाव होता रहता है।

स्कीम के फायदे क्या हैं?

रिवर्स मॉर्गेज स्‍कीम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि व्यक्ति को अपने घर से कहीं और जाने की जरूरत नहीं पड़ती। बुजुर्ग अपने उसी घर में रहकर नियमित मासिक आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। उन्हें इस लोन को चुकाने की चिंता नहीं करनी होती और मृत्यु के बाद भी उनके परिजनों के पास विकल्प होता है कि वे उस प्रॉपर्टी को बैंक से वापस खरीद सकें।

यह योजना ऐसे बुजुर्गों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है जिनके पास पेंशन, ब्याज या किसी अन्य माध्यम से कोई आमदनी नहीं होती।

क्यों नहीं ले पाते ज्यादातर बुजुर्ग इस स्कीम का लाभ?

भारत में अभी भी रिवर्स मॉर्गेज स्‍कीम (Reverse Mortgage Scheme) के बारे में जानकारी बहुत कम लोगों को है। जागरूकता की कमी के चलते बहुत से योग्य वरिष्ठ नागरिक इस लाभकारी योजना से वंचित रह जाते हैं। इसके अलावा कई बुजुर्गों को यह डर भी होता है कि कहीं उनके मरने के बाद उनके बच्चों को घर से हाथ ना धोना पड़े। जबकि सच्चाई यह है कि कानूनी उत्तराधिकारी चाहें तो उस प्रॉपर्टी को खरीदकर अपने पास रख सकते हैं।

कौन-कौन से बैंक देते हैं यह स्कीम?

देश के प्रमुख बैंक जैसे कि HDFC, SBI, PNB सहित कई प्राइवेट और सरकारी बैंक रिवर्स मॉर्गेज स्‍कीम प्रदान करते हैं। हर बैंक की शर्तें, ब्याज दरें और मूल्यांकन प्रक्रिया अलग-अलग होती हैं, इसलिए किसी भी बैंक से इस स्कीम का लाभ लेने से पहले उसकी शर्तों को ध्यानपूर्वक पढ़ना जरूरी है।

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