
महाराष्ट्र सरकार की एक नई नीति के तहत किसानों को अब खेतों में तालाबों का निर्माण करने का विशेष अवसर मिलने जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्थानीय विकास को गति देना है, खासकर उन किसानों के लिए जो जल संरक्षण और खेती की आधुनिक तकनीकों को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार ने आवास योजनाओं के लाभार्थियों को भी बड़ी राहत दी है, जिससे वे अब रॉयल्टी या अनुमति शुल्क के बोझ से मुक्त होकर अपने निर्माण कार्य को आगे बढ़ा सकेंगे।
स्थानीय विकास परियोजनाओं के लिए खनिजों के उपयोग की मंजूरी
राज्य सरकार ने विभिन्न स्थानीय विकास परियोजनाओं के लिए मिट्टी, छोटे पत्थर, बोल्डर और रेत जैसे गौण खनिजों के उपयोग को मंजूरी दे दी है। इस फैसले से किसानों, ग्रामीण विकास योजनाओं और आवास योजना के लाभार्थियों को सीधा फायदा पहुंचेगा। अब खेतों में तालाब बनाने, जल स्रोतों को गहरा करने और सड़क निर्माण जैसे कार्यों के लिए जरूरी सामग्री सरकारी अनुमति के बिना रॉयल्टी मुक्त रूप से प्राप्त की जा सकेगी। इससे विकास कार्यों में गति आएगी और लागत में भारी कमी आएगी।
खेतों में तालाब निर्माण को मिलेगा बढ़ावा
किसानों को मिलेगा इस योजना का लाभ, क्योंकि अब वे अपने खेतों में आसानी से जल संरक्षण के लिए तालाब बनवा सकेंगे। सरकार की इस नीति का उद्देश्य जल संकट से जूझ रहे इलाकों में समाधान खोजना है। तालाब निर्माण से सिंचाई व्यवस्था बेहतर होगी और फसल की पैदावार में भी बढ़ोतरी होगी। जल भंडारण की यह व्यवस्था वर्षा जल संचयन को भी बढ़ावा देगी, जिससे खेती अधिक टिकाऊ और लाभकारी बनेगी।
ग्रामीण सड़कों के निर्माण में भी आएगी तेजी
महाराष्ट्र सरकार की यह पहल केवल किसानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके तहत ‘मातोश्री ग्राम समृद्धि शेट (खेत) सड़क योजना’ को भी समर्थन मिलेगा। इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण इलाकों में सड़क निर्माण के लिए इन खनिजों का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे गांवों में कनेक्टिविटी बेहतर होगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा और किसानों की उपज को बाजार तक पहुंचाना आसान होगा।
रॉयल्टी और अनुमति शुल्क में छूट से किसानों को राहत
अब तक किसानों और निर्माण कार्यों से जुड़े लोगों को खनिजों के उपयोग के लिए रॉयल्टी और अनुमति शुल्क देना पड़ता था, लेकिन अब यह पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। यह निर्णय न सिर्फ आवास योजना के लाभार्थियों बल्कि उन सभी ग्रामीण लोगों के लिए फायदेमंद होगा जो किसी भी निर्माण कार्य में लगे हैं। निर्माण लागत में यह कटौती उनके लिए वित्तीय बोझ को कम करेगी और कार्य को आसान बनाएगी।
पर्यावरणीय स्थिरता को ध्यान में रखती नई रेत खनन नीति
राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने हाल ही में नई रेत खनन नीति की घोषणा की है। इसका उद्देश्य अवैध खनन पर रोक लगाना और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना है। यह नीति सुनिश्चित करती है कि खनिजों का उपयोग एक अनुशासित और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत हो। इसके तहत खनन कार्यों को वैधानिक ढांचे में लाकर पर्यावरणीय नियमों का पालन अनिवार्य किया गया है। इससे भविष्य में भी विकास परियोजनाएं पर्यावरण के अनुकूल और स्थायी रह सकेंगी।
राज्य के समग्र विकास को मिलेगा बल
महाराष्ट्र सरकार के इस निर्णय से ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों के विकास कार्य अधिक प्रभावी और लागत प्रभावी बनेंगे। खनिजों के सुलभ और शुल्क मुक्त उपयोग से जल निकायों के निर्माण, सड़क विकास और आवास निर्माण जैसे कार्यों में तेजी आएगी। साथ ही इससे ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति और सामाजिक आधारभूत संरचना मजबूत होगी।